बावड़ी हादसे में बड़ा एक्शन, 36 लोगों की मौत के जिम्मेदार अध्यक्ष, सचिव को कोर्ट ने भेजा जेल | Indore Bawadi Accident: 2 accused were arrested and sent to jail. | News 4 Social h3>
शुक्रवार को सुबह अचानक जूनी इंदौर पुलिस सक्रिय हुई। बावड़ी हादसे के आरोपी सेवाराम गलानी और मुरली सबनानी को गिरफ्तार कर थाने लाया गया, जहां पर लिखा पढ़ी करने के बाद उन्हें जिला कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश जारी कर दिया। पुलिस ने मेडिकल कराने के बाद दोनों को जेल भेजने की कार्रवाई कर दी। इधर, दोनों के वकीलों ने तुरंत ही सेशन कोर्ट में जमानत की अर्जी भी लगाई जिसे स्वीकार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद बोली पुलिस
डीसीपी ऋषिकेश मीणा ने बताया कि आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा है। रही बात इतने दिन बाद क्यों गिरफ्तारी हुई तो हाल ही में मैने ज्वाईन किया है। हमने पूरी डायरी का अध्ययन कर समीक्षा की है। जांच अधिकारी को निर्देश दिए है। यह बाद में पता चलेगा कि केस में आरोपी बढ़ेंगे या नहीं। नगर निगम भी जांच का हिस्सा है। जांच में जो साक्ष्य सामने आऐंगे उस आधार पर अग्रिम कार्रवाई होगी। वहीं मजिस्ट्रीयज जांच भी हमारी इन्वेस्टीगेशन का पार्ट है।
इन बातों का किया जिक्र
डीसीपी मीणा ने बताया कि मंदिर में हवन के दौरान हादसा हुआ था। जहां पर हवन हो रहा था उस स्थान पर कभी बावड़ी थी। पूर्व मे बावड़ी पर स्लैब डालकर ढंक दिया गया था। बावड़ी की छत गिरने से 36 लोगों की मौत हुई तो 27 घायल हो गए थे। घटना की जांच के बाद पुलिस ने धारा 304, 34 के तहत केस दर्ज किया था। हाई कोर्ट का था सख्त रूख गौरतलब है कि 19 जनवरी की हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई में कहा था कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को एक साल से ज्यादा समय बितने वाला है।
न आरोपियों मुकदमा चलाया गया और नहीं विभागीय जांच पूरी की गई। मजिस्ट्रेट जांच व पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया जाता है कि अब सीबीआई जांच या उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त उच्च जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करने और सुझाव को लागू करने का निर्देश दिया जाता है। मामले में टीआइ जूनी इंदौर को एफआईआर में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया। वहीं पुलिस कमिश्नर को जांच के निगरानी के आदेश दिए गए थे।
जांच में सामने आई थी ये बात
पुलिस ने बावड़ी हादसे के बाद कई लोगों के बयान लिए थे और कई बिंदुओं पर जांच की। उसके प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर ….. – सरकारी रिकार्ड में बावड़ी थी या नहीं?
– किन-किन वजहों से बावड़ी गिर सकती है
– हादसे के जिम्मेदारों को पता था कि बावड़ी पर स्लैब है लेकिन फिर भी वहां सुरक्षा दृष्टि से साइन बोर्ड नहीं लगाए गए।
एक्सपर्ट ने किया था खुलासा
पुलिस ने एक्सपर्ट से भी जानकारी ली थी। तब ये बात सामने आई कि स्लैब बिना पिल्लर के डाली गई थी। बावडी के पानी से कई तरह की गैस निकल रही थी जिसे गार्डर कमजोर हो गई। गर्डर में जंग लग चुका था जिसकी वजह से वह कमजोर हो गया था। हवन की आग से गरम होने की वजह से स्लैब कमजोर हो गई जिसकी वजह से वह टूटकर गिर पड़ी। यह बात भी सामने आई कि 1974 में बावड़ी में किसी युवक की डूबने से जान चली गई थी। पुलिस ने उसके परिवार के बयान लिए है।
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शुक्रवार को सुबह अचानक जूनी इंदौर पुलिस सक्रिय हुई। बावड़ी हादसे के आरोपी सेवाराम गलानी और मुरली सबनानी को गिरफ्तार कर थाने लाया गया, जहां पर लिखा पढ़ी करने के बाद उन्हें जिला कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश जारी कर दिया। पुलिस ने मेडिकल कराने के बाद दोनों को जेल भेजने की कार्रवाई कर दी। इधर, दोनों के वकीलों ने तुरंत ही सेशन कोर्ट में जमानत की अर्जी भी लगाई जिसे स्वीकार कर लिया गया।
गिरफ्तारी के बाद बोली पुलिस
डीसीपी ऋषिकेश मीणा ने बताया कि आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा है। रही बात इतने दिन बाद क्यों गिरफ्तारी हुई तो हाल ही में मैने ज्वाईन किया है। हमने पूरी डायरी का अध्ययन कर समीक्षा की है। जांच अधिकारी को निर्देश दिए है। यह बाद में पता चलेगा कि केस में आरोपी बढ़ेंगे या नहीं। नगर निगम भी जांच का हिस्सा है। जांच में जो साक्ष्य सामने आऐंगे उस आधार पर अग्रिम कार्रवाई होगी। वहीं मजिस्ट्रीयज जांच भी हमारी इन्वेस्टीगेशन का पार्ट है।
इन बातों का किया जिक्र
डीसीपी मीणा ने बताया कि मंदिर में हवन के दौरान हादसा हुआ था। जहां पर हवन हो रहा था उस स्थान पर कभी बावड़ी थी। पूर्व मे बावड़ी पर स्लैब डालकर ढंक दिया गया था। बावड़ी की छत गिरने से 36 लोगों की मौत हुई तो 27 घायल हो गए थे। घटना की जांच के बाद पुलिस ने धारा 304, 34 के तहत केस दर्ज किया था। हाई कोर्ट का था सख्त रूख गौरतलब है कि 19 जनवरी की हाईकोर्ट की डबल बेंच ने मामले की सुनवाई में कहा था कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को एक साल से ज्यादा समय बितने वाला है।
न आरोपियों मुकदमा चलाया गया और नहीं विभागीय जांच पूरी की गई। मजिस्ट्रेट जांच व पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया जाता है कि अब सीबीआई जांच या उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त उच्च जांच की कोई आवश्यकता नहीं है। मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई करने और सुझाव को लागू करने का निर्देश दिया जाता है। मामले में टीआइ जूनी इंदौर को एफआईआर में जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया। वहीं पुलिस कमिश्नर को जांच के निगरानी के आदेश दिए गए थे।
जांच में सामने आई थी ये बात
पुलिस ने बावड़ी हादसे के बाद कई लोगों के बयान लिए थे और कई बिंदुओं पर जांच की। उसके प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर ….. – सरकारी रिकार्ड में बावड़ी थी या नहीं?
– किन-किन वजहों से बावड़ी गिर सकती है
– हादसे के जिम्मेदारों को पता था कि बावड़ी पर स्लैब है लेकिन फिर भी वहां सुरक्षा दृष्टि से साइन बोर्ड नहीं लगाए गए।
एक्सपर्ट ने किया था खुलासा
पुलिस ने एक्सपर्ट से भी जानकारी ली थी। तब ये बात सामने आई कि स्लैब बिना पिल्लर के डाली गई थी। बावडी के पानी से कई तरह की गैस निकल रही थी जिसे गार्डर कमजोर हो गई। गर्डर में जंग लग चुका था जिसकी वजह से वह कमजोर हो गया था। हवन की आग से गरम होने की वजह से स्लैब कमजोर हो गई जिसकी वजह से वह टूटकर गिर पड़ी। यह बात भी सामने आई कि 1974 में बावड़ी में किसी युवक की डूबने से जान चली गई थी। पुलिस ने उसके परिवार के बयान लिए है।