बाल न्यायालय का फैसला: सरकारी स्कूल में दो घंटे करनी होगी साफ सफाई, एक साल तक करना होगा काम, बालक को मारपीट व तोड़फोड़ का माना दोषी – Jhunjhunu News

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बाल न्यायालय का फैसला:  सरकारी स्कूल में दो घंटे करनी होगी साफ सफाई, एक साल तक करना होगा काम, बालक को मारपीट व तोड़फोड़ का माना दोषी – Jhunjhunu News

बाल न्यायालय का फैसला: सरकारी स्कूल में दो घंटे करनी होगी साफ सफाई, एक साल तक करना होगा काम, बालक को मारपीट व तोड़फोड़ का माना दोषी – Jhunjhunu News

बाल न्यायालय ने विधि से संघर्षरत एक बालक को एक साल तक सरकारी विद्यालय में साफ-सफाई करने की सजा सुनाई है। सेशन न्यायाधीश दीपा गुर्जर ने फैसला सुनाते हुए बालक को मारपीट कर साधारण चोटें पहुंचाने और बोलेरो गाड़ी में तोड़फोड़ करने का दोषी पाया।

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न्यायाधीश ने आदेश दिया कि दोषी बालक को एक साल तक राजकीय प्राथमिक विद्यालय में कार्य दिवसों के दौरान सुबह-शाम दो-दो घंटे साफ-सफाई का काम करना होगा।

यह सेवा डीईओ प्रारंभिक के निर्देशन और देखरेख में दी जाएगी। डीईओ प्रारंभिक बालक के निवास स्थान के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित संचालित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में उक्त सामुदायिक सेवा कराया जाना सुनिश्चित करेंगे।

इसकी सम्पूर्ण पालना रिपोर्ट प्रत्येक तीन महीने से डीईओ प्रारंभिक व परिवीक्षा अधिकारी को न्यायालय में पेश करनी होगी।

ठंडी पकौड़ी देने पर हुई थी मारपीट व तोड़फोड़

यह घटना 14 अगस्त 2019 की है। परिवादी मोतीराम ने उदयपुरवाटी पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मोतीराम के अनुसार, उसका बेटा सचिन मीणा अपने दोस्तों राहुल, सुमित, विकास, नरेंद्र और सुभाष के साथ कोट बांध पर घूमने आया था। वहां उन्होंने ठेले से पकौड़ी खरीदी, लेकिन दुकानदार ने गर्म पकौड़ी देने की बजाय ठंडी पकौड़ी दी। सचिन व उसके दोस्तों ने इसका विरोध किया तो दुकानदार रामावतार के साथ पिंटू, रतन व बालक वी ने उसके पुत्र व उसके दोस्तों के साथ पकौड़ी उतारने की झर, कूचा, लाठी व पत्थरों से मारपीट की। हमले में सचिन को गंभीर चोट आई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद सचिन के दोस्त उसे गाड़ी में अस्पताल लेकर जा रहे थे। इस दौरान रास्ते में फूला व उसके आठ-दस साथियों ने फिर से हमला कर गाड़ी के शीशे तोड़ दिए। बाद में वे उदयपुरवाटी अस्पताल पहुंचे। जहां चिकित्सकों ने सचिन को मृत घोषित कर दिया।

22 गवाह के हुए बयान और 40 दस्तावेज प्रदर्शित

पुलिस ने मामला दर्ज कर बालक वी के अलावा अन्य लोगों के विरूद्ध संबंधित न्यायालय में चालान पेश कर दिया। बालक वी के विरूद्ध किशोर न्याय बोर्ड में आरोप पत्र पेश किया गया। जहां से पहले यह मामला विशेष न्यायालय, पॉक्सो न्यायालय झुंझुनूं और फिर वहां से उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार बाल न्यायालय में चला गया। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा ने मामले में 22 गवाहान के बयान और 40 दस्तावेज पेश किए। इस पर न्यायालय ने निर्णय देते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 24 के तहत बालक किसी निरर्हता से ग्रस्त नही होगा, जो विधि के अधीन दोषसिद्दी से सलंग्र हो तथा बालक के नौकरी, पासपोर्ट या अन्य किसी प्रकार से यह निर्णय बालक को प्रभावित नही करेगा।

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