बार-बार टल जाता है मास्टर प्लान, छोटे-छोटे मुद्दे पर भटकाते ध्यान | Master plan gets postponed again and again, attention gets diverted on | News 4 Social

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बार-बार टल जाता है मास्टर प्लान, छोटे-छोटे मुद्दे पर भटकाते ध्यान | Master plan gets postponed again and again, attention gets diverted on | News 4 Social

बार-बार टल जाता है मास्टर प्लान, छोटे-छोटे मुद्दे पर भटकाते ध्यान | Master plan gets postponed again and again, attention gets diverted on | News 4 Social

2. सितंबर 2009 में 2021 के लिए नया प्लान बनवाया और ड्राफ्ट प्रकाशित किया।
कितनी का आत्तियां- 1600 से अधिक आपत्तियां आई।
किस तरह की आपत्तियां-
– बड़े तालाब के किनारे बैरागढ़ के दक्षिण से रोड पर आपत्ति।
– केरवा डेम, बरखेड़ी कला, सेंवनियां गौंड, कोलार रोड के बैरागढ़ चिचली गांवों में प्रस्तावित भूउपयोग बदलें।
– वन विहार के 500 मीटर तक निर्माण न हो। एक किलोमीटर तक के क्षेत्र में भी छह मीटर से ज्यादा ऊंचे भवन की अनुमति न दी जाए।
– भदभदा विश्रामघाट से लगी जमीन ग्रीन बेल्ट में ही हो
– मिक्स लैंड यूज का विरोध
– बड़े तालाब के जलग्रहण क्षेत्र में निर्माण प्रतिबंधित।
– झुग्गी विस्थापन की अलग योजना बने
– प्रस्तावित मास्टर प्लान रोड रद्द हो
– अरेरा कॉलोनी में बढ़ाए व्यवसायिक क्षेत्र
– पुरातत्व महत्व की धरोहरों का प्लान में अलग उल्लेख हो। टूरिज्म प्लान बने।
कितनी आपत्ति का निराकरण- संसोधन जारी नहीं किया। प्लान को 2011 में रद्द कर दिया गया। नया प्लान बनाने के निर्देश।

3. वर्ष 2012 में पांच विशेषज्ञों की समिति बनाकर नया प्लान बनाने की कवायद
कितनी आपत्तियां- आपत्तियां आमंत्रित नहीं की।
कितनी निराकृत- आपत्तियों पर सुनवाई की प्रक्रिया पूरी नहीं की। 4. 05 मार्च 2020 को 2031 के लिए प्लान का ड्राफ्ट जारी किया गया।
कितनी आपत्तियां- 1731 सुझाव आपत्तियां प्राप्त हुई।
किस तरह की आपत्तियां-
– पुराने शहर में बेस एफएआर दो पर के साथ शहर में फ्लेक्जीबल एफएआर पर आपत्ति।
– बड़ा तालाब कैचमेंट में निर्माण के लिए तय प्रावधान पर आपत्ति।
– शहर किनारे कोर एरिया में एफएआर महज 0.25 करने का विरोध।
– बाघभ्रमण क्षेत्र में पीएसपी व वनभूमि के बीच आपत्ति
– केरवा के एफटीएल पर आपत्ति।
– तालाब में चार लेन रोड, किनारे पर सेटेलाइट टाउन- मैरिज गार्डन को मंजूरी पर आपत्ति।
– अरेरा कॉलोनी इ1 से इ5 चूनाभट्टी, विजय नगर जैसे क्षेत्रों को लो-डेंसिटी करने पर आपत्ति।
कितनी निराकृत- तालाब और वनभूमि से जुड़ी आपत्तियां निराकृत की। तालाब में सडक़ें, सेटेलाइट टाउन रद्द किए, कैचमेंट में निर्माण के लिए न्यूनतम 4000 वर्गमीटर जमीन जरूरी की, मिक्सलैंड यूज से निर्माण के साथ ही कोर एरिया में कम एफएआर से शहर के फैलाव को रोका गया।

ये समस्या अब तक यथावत
– नया औद्योगिक क्षेत्र नहीं।
– शहर के भीतर डेयरी समेत लकड़ी पीठा और इसी तरह के बड़े व दिक्कतभरे कामों की शिफ्टिंग नहीं।
– बाजारों पर स्पष्टता नहीं, जिसे पार्किंग-जाम बढ़ रहा।
– तालाब किनारे, नदी किनारे व वनभूमि में लगातार निर्माण। शहर की पहाडिय़ां खत्म हो रही, प्राकृतिक संपदा में लगातार कमी। ग्रीन क्षेत्र घट रहा।
– घर व कार्यालय के बीच दूरी घटी नहीं। प्रदूषण नई समस्या बना। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के रूट की दिक्कत। मास्टर प्लान रोड नहीं बन रही।

अन्य शहरों में ऐसी स्थिति
– इंदौर में 2021 के लिए मास्टर प्लान बनाकर लागू किया था, अब नया प्लान बनाने की प्रक्रिया की जा रही।
– जयपुर में 2025 में प्लान खत्म होगा, उसके पहले नया प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी
– नोएडा में मास्टर प्लान 2041 मंजूर कर लिया गया
– ग्वालियर में भी मास्टर प्लान बनाया जा रहा है।

तालाब- वन में जमीनों पर निर्माण की चाह अटका रही प्लान
– रद्द किए गए ड्राफ्ट 2031 में शहर के मौजूदा और पूर्व विधायक बतौर आपत्तिकर्ता शामिल हुए। 80 फीसदी की जमीनें बड़ा तालाब कैचमेंट और कलियासोत वनक्षेत्र में है जहां से अनुमति की मांग कर रहे। तालाब के कैचमेंट में किसानों को निर्माण का अधिकार देने विधायक रामेश्वर शर्मा खुलकर बोल चुके हैं। इसी तरह तालाब किनारे प्रेमपुरा में जमीनों पर आवासीय लैंडयूज के लिए पूर्व विधायक जितेंद्र डागा, धु्रवनारायण सिंह आपत्तिकर्ता के तौर पर उपस्थित हुए। शहर के बड़े उद्यमी, कारोबारी, बिल्डर्स ने नदी किनारे से तालाब किनारे, कैचमेंट, वनक्षेत्र में जमीनों पर निर्माण की चाह रखकर आपत्तियां दर्ज कराई थी।

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