‘बाबर के घर की बेटियां’ बिहार क्यों आईं? उज्बेकिस्तानी युवतियों के मंशा का नहीं हुआ खुलासा

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‘बाबर के घर की बेटियां’ बिहार क्यों आईं? उज्बेकिस्तानी युवतियों के मंशा का नहीं हुआ खुलासा

‘बाबर के घर की बेटियां’ बिहार क्यों आईं? उज्बेकिस्तानी युवतियों के मंशा का नहीं हुआ खुलासा


Sitamarhi News: ‘बाबर के घर की बेटियां’ नेपाल के रास्ते बिहार क्यों आईं, इस बात का खुलासा अब तक नहीं हो सका है। सीतामढ़ी पुलिस ने उज्बेकिस्तानी युवतियों से पूछताछ कर खुलासा करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। पूछताछ के बाद दोनों को जेल भेज दिया है।

 

सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिला के इंडो-नेपाल के सोनबरसा बॉर्डर से गिरफ्तार उज्बेकिस्तान की दो युवतियों और एक भारतीय युवक से पूछताछ के बाद पुलिस ने शुक्रवार को शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिसिया पूछताछ में इसका खुलासा नहीं हो सका है कि दोनों युवतियां किस मंशा से भारतीय क्षेत्र में पहुंची थी। वह कब और किसके साथ भारतीय क्षेत्र में पहुंची थी, इसका भी कोई पता नहीं चल सका है। सोनबरसा पुलिस ने धारा 420, 212, 120 (बी) 34 एवं 12 पासपोर्ट एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें उक्त तीनों के आलावा सोनबरसा थाना क्षेत्र के मढ़िया गांव के स्व रामविलास ठाकुर के पुत्र मनोज कुमार को नामजद किया गया है। पुलिस इन तीनों को जेल भेजने के साथ ही मनोज की तलाश में जुट गई है।

भाषा समझने को गूगल ट्रांसलेटर

गौरतलब है कि आठ फरवरी को एसएसबी ने उक्त दोनों विदेशी महिला रेनो उर्फ रानो (24) और ओगोलीजन (23) को भारतीय क्षेत्र से नेपाल जाने के दौरान बॉर्डर पर गिरफ्तार किया था। साथ में अमित कुमार को भी पकड़ा गया था। यह युवक सोनबरसा थाना क्षेत्र के हरिबेला गांव का निवासी है। पूछताछ के बाद एसएसबी ने तीनों को सोनबरसा पुलिस को सौंप दिया था। दोनों युवतियां उज्बेकिस्तान की है। पुलिस की पूछताछ में दोनों युवती उज्बेजी भाषा बोल रही थी। इस कारण पुलिस इनकी बातों को नहीं समझ पा रही थी। इनकी भाषा समझने के लिए पुलिस ने गूगल ट्रांसलेटर की मदद ली। यानी उज्बेजी भाषा को हिंदी में अनुवाद कर समझने की कोशिश की गई।

अवैध निकला वीजा और पासपोर्ट

पुलिस की पूछताछ में युवतियों ने भारतीय मोबाइल नंबर- 971713…. का जिक्र किया और बताया कि यह नंबर उसकी बहन का है, जो दिल्ली में रहती है। यह भी बताया कि उसके पास वीजा और पासपोर्ट नहीं है। तब पुलिस ने उक्त मोबाइल नंबर पर संपर्क कर इन दोनों का वीजा/पासपोर्ट हासिल की। उसके बाद पुलिस द्वारा दिल्ली/पटना एयरपोर्ट पर पिछले तीन माह के अंदर इन दोनों युवतियों के आगमन को ट्रेस की, तो कोई जानकारी नहीं मिली। सोनबरसा पुलिस का मानना है कि युवतियों की कथित बहन के द्वारा वाट्सऐप जो वीजा और पासपोर्ट उपलब्ध कराया गया है, वह वैध नहीं है।

अमित ने मनोज का नाम उगला

पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार युवक अमित कुमार ने खुलासा किया कि उक्त दोनों युवतियां सोनबरसा थाना क्षेत्र के मढ़िया के मनोज कुमार के संपर्क में रहती थी। मनोज ने ही उसे नेपाल के मलगवां से बस से बर्दीवास पहुंचा देने को कहा था। वह दोनों को पहुंचाने जा रहा था कि युवतियों के साथ बॉर्डर पर पकड़ा गया। पुलिस ने अमित के पास से उसका आधार कार्ड, गाड़ी का कागज, बैंक ऑफ इंडिया का एटीएम कार्ड, बहन के नाम का मतदाता परिचय-पत्र और हरिबेला के अमर कुमार के नाम का ड्राइविंग लाइसेंस समेत अन्य कागजात जब्त की है।

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