बाड़मेर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को याद आया बचपन का दोस्त, तंग गलियों में मिलने पहुंचे; लोग बोले- दोस्ती हो तो ऐसी h3>
बीते शनिवार की देर रात बाड़मेर शहर के जोशियों के मोहल्ले की तंग गलियां अचानक से गुलजार हो गईं। पुलिस और प्रशासनिक अफसर अपने लाव-लश्कर के साथ इन गलियों में आ धमके। कुछ देर तक तो लोगों को पता नहीं चला क्या हो रहा, लेकिन कुछ देर बाद जब राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन तंग गलियों में पहुंचे तो लोग देखते रह गए। गहलोत इन तंग गलियों में अपने बचपन के दोस्त से मिलने पहुंचे थे।
पुराने साथी हैं अशोक गहलोत और जोशी
बाड़मेर कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता यज्ञदत्त जोशी और अशोक गहलोत की दोस्ती सालों पुरानी है। गहलोत और जोशी जोधपुर यूर्निवर्सिटी में साथ पढ़ते थे। उसके बाद गहलोत राजनीति में आगे बढ़ गए और यज्ञदत्त जोशी ने बाड़मेर आकर वकालत शुरू कर दी। लेकिन तब भी दोनों की दोस्ती में कोई फर्क नहीं आया। गहलोत जब भी बाड़मेर आए अपने इस पुराने साथी से मिलना नहीं भूले।
कैंसर से लड़ रहे हैं जोशी
यज्ञदत्त जोशी इस वक्त कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। हाल ही में उनका चौथी बार ऑपरेशन हुआ है। गहलोत को जब इस बात का पता चला तो वह बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अपने व्यस्त दौरे को छोड़कर सीधे अपने दोस्त के घर पहुंचे और उनकी कुशलक्षेम पहुंची।
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गहलोत ने पूछा-जयपुर में इलाज क्यों नहीं कराते
जोशी के घर पहुंचने के बाद गहलोत करीब 20 मिनट से ज्यादा समय तक उनके घर पर रुके। इस दौरान उनकी बीमारी और उपचार के बारे में जानकारी ली। गहलोत को जब पता चला कि जोशी का उपचार मुंबई में चल रहा है तो उन्होंने उनसे पूछा कि जयपुर में उपचार क्यों नहीं करवाते, वहां सब सुविधांए है और मैं भी हूं।
यूर्निवर्सिटी चुनाव में जोशी के साथ से अभिभूत थे गहलोत
जोशी के नजदीकी साथी मेवाराम सोनी ने बताया कि जोधपुर यूर्निवसिटी चुनावों में तीन उम्मीदवार खड़े थे। अशोक गहलोत, पन्नेसिंह रातड़ी और अजयसिंह पुरोहित। सोनी ने बताया कि उस समय छात्रसंघ चुनावों में जातिवाद और क्षेत्रवाद चरम पर था। पन्नेसिंह रातड़ी और अजयसिंह पुरोहित में एक जोशी की जाति का था और एक ही क्षेत्र, लेकिन जोशी ने जातिवाद और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर गहलोत का साथ दिया। सोनी ने बताया कि जोशी की इस भावना से गहलोत अभिभूत हो गए थे।
परिवार के सभी सदस्यों से मिले गहलोत
अपने मित्र जोशी से मिलने उनके घर पहुंचे मुख्यमंत्री गहलोत ने जोशी के साथ उनके परिवार के सभी छोटे-बड़े सदस्यों से भी मुलाकात की। जोशी की धर्मपत्नी कांता जोशी, पुत्र सचिन जोशी के साथ ही उनकी पोती को अपनी गोद में खिलाया।
लोगों ने कहा- दोस्त हो तो ऐसा
मुख्यमंत्री जैसे बड़े ओहदे पर होने के बावजूद गहलोत जिस आत्मीयता अपने दोस्त से मिलने पहुंचे, उससे इलाके के लोग अभिभूत हो गए। लोगों का कहना है कि दोस्त हो तो ऐसा। जोशी के घर के बाहर खड़े लोगों ने इस कृष्ण-सुदामा की दोस्ती की संज्ञा दे डाली।
बीते शनिवार की देर रात बाड़मेर शहर के जोशियों के मोहल्ले की तंग गलियां अचानक से गुलजार हो गईं। पुलिस और प्रशासनिक अफसर अपने लाव-लश्कर के साथ इन गलियों में आ धमके। कुछ देर तक तो लोगों को पता नहीं चला क्या हो रहा, लेकिन कुछ देर बाद जब राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उन तंग गलियों में पहुंचे तो लोग देखते रह गए। गहलोत इन तंग गलियों में अपने बचपन के दोस्त से मिलने पहुंचे थे।
पुराने साथी हैं अशोक गहलोत और जोशी
बाड़मेर कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता यज्ञदत्त जोशी और अशोक गहलोत की दोस्ती सालों पुरानी है। गहलोत और जोशी जोधपुर यूर्निवर्सिटी में साथ पढ़ते थे। उसके बाद गहलोत राजनीति में आगे बढ़ गए और यज्ञदत्त जोशी ने बाड़मेर आकर वकालत शुरू कर दी। लेकिन तब भी दोनों की दोस्ती में कोई फर्क नहीं आया। गहलोत जब भी बाड़मेर आए अपने इस पुराने साथी से मिलना नहीं भूले।
कैंसर से लड़ रहे हैं जोशी
यज्ञदत्त जोशी इस वक्त कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। हाल ही में उनका चौथी बार ऑपरेशन हुआ है। गहलोत को जब इस बात का पता चला तो वह बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अपने व्यस्त दौरे को छोड़कर सीधे अपने दोस्त के घर पहुंचे और उनकी कुशलक्षेम पहुंची।
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गहलोत ने पूछा-जयपुर में इलाज क्यों नहीं कराते
जोशी के घर पहुंचने के बाद गहलोत करीब 20 मिनट से ज्यादा समय तक उनके घर पर रुके। इस दौरान उनकी बीमारी और उपचार के बारे में जानकारी ली। गहलोत को जब पता चला कि जोशी का उपचार मुंबई में चल रहा है तो उन्होंने उनसे पूछा कि जयपुर में उपचार क्यों नहीं करवाते, वहां सब सुविधांए है और मैं भी हूं।
यूर्निवर्सिटी चुनाव में जोशी के साथ से अभिभूत थे गहलोत
जोशी के नजदीकी साथी मेवाराम सोनी ने बताया कि जोधपुर यूर्निवसिटी चुनावों में तीन उम्मीदवार खड़े थे। अशोक गहलोत, पन्नेसिंह रातड़ी और अजयसिंह पुरोहित। सोनी ने बताया कि उस समय छात्रसंघ चुनावों में जातिवाद और क्षेत्रवाद चरम पर था। पन्नेसिंह रातड़ी और अजयसिंह पुरोहित में एक जोशी की जाति का था और एक ही क्षेत्र, लेकिन जोशी ने जातिवाद और क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर गहलोत का साथ दिया। सोनी ने बताया कि जोशी की इस भावना से गहलोत अभिभूत हो गए थे।
परिवार के सभी सदस्यों से मिले गहलोत
अपने मित्र जोशी से मिलने उनके घर पहुंचे मुख्यमंत्री गहलोत ने जोशी के साथ उनके परिवार के सभी छोटे-बड़े सदस्यों से भी मुलाकात की। जोशी की धर्मपत्नी कांता जोशी, पुत्र सचिन जोशी के साथ ही उनकी पोती को अपनी गोद में खिलाया।
लोगों ने कहा- दोस्त हो तो ऐसा
मुख्यमंत्री जैसे बड़े ओहदे पर होने के बावजूद गहलोत जिस आत्मीयता अपने दोस्त से मिलने पहुंचे, उससे इलाके के लोग अभिभूत हो गए। लोगों का कहना है कि दोस्त हो तो ऐसा। जोशी के घर के बाहर खड़े लोगों ने इस कृष्ण-सुदामा की दोस्ती की संज्ञा दे डाली।