बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर बोले सनातन संस्कृति का महाकुंभ: यह रील का नहीं रिसर्च का केंद्र, धर्मांतरण को लेकर बोले गांव-गांव बनाएंगे संगठन – Jodhpur News

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बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर बोले सनातन संस्कृति का महाकुंभ:  यह रील का नहीं रिसर्च का केंद्र, धर्मांतरण को लेकर बोले गांव-गांव बनाएंगे संगठन – Jodhpur News

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर बोले सनातन संस्कृति का महाकुंभ: यह रील का नहीं रिसर्च का केंद्र, धर्मांतरण को लेकर बोले गांव-गांव बनाएंगे संगठन – Jodhpur News

बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री जोधपुर एक शादी समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे।

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री महाराज बुधवार को जोधपुर पहुंचे। यहां पर उन्होंने एयरपोर्ट पर मीडियाकर्मियों से बात की। इस दौरान उन्होंने हिंदुत्व से लेकर कई मुद्दों पर मीडिया के सवालों के जवाब दिए।

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उन्होंने कहा भारतीय सनातन संस्कृति इतनी अद्भुत है। जिस सनातन संस्कृति में हम हैं यह गौरव की बात है कि 144 वर्ष बाद महाकुंभ का आगाज हो रहा है। जो भाव है दिव्य है एकता का प्रतीक है।

सामाजिक समरसता का प्रतीक है। सबको एकत्व करने का प्रतीक है।

अन्य जितने भी दुनिया के मजहब है उनमें इतनी संकुचित स्थिति है कि वो कहते हैं अन्य लोग काफिर है। केवल हमारे ही अपने है।

हमारे सनातन धर्म की महिमा देखो स्टीव जॉब्स की वाइफ भी आकर कमला बन जाती है। वह भी डुबकी लगा लेती है। फ्रांसीसी भी डुबकी लगा लेते हैं। अमेरिकन भी डुबकी लगा लेते हैं। हम उस सनातन परंपरा से आते हैं कि दोनों हाथ फैलाकर पूरी दुनिया का स्वागत करें कि वसुदेव कुटुंबकम। आइए आपका महाकुंभ में स्वागत है।

उन्होंने कहा कि इस बार हमने 19 जनवरी को आदिवासी महासम्मेलन रखा। जिसमें 1200 आदिवासी परिवार महाकुंभ की यात्रा में निकले थे। उसके उद्देश्य सिर्फ यही है कि धर्मांतरण के लिए सबसे सॉफ्ट टारगेट हमारे आदिवासी भाई परिवार है। वह प्रकृति मित्र है प्रकृति के नजदीक है। धर्मांतरण करने वालों को रोकने के लिए, धर्म विरोधी ताकतों को रोकने के लिए हमने एक एक नया अभियान छेड़ा है। हर गांव मोहल्ले में हनुमान चालीसा बागेश्वर मंडल बनाएंगे। ताकि भविष्य में कालांतर में हिंदुत्व के ऊपर अगर कोई उंगली उठेगी, कोई भी धर्मांतरण करेगा तो उसे देश से निकाला जाएगा।

प्रयागराज कुंभ में रील बनाने को लेकर कहा महाकुंभ इस बात के लिए लगाया गया कि हमारे संस्कृति सनातन का प्रचार हो। और भी तो साधु संत है,लेकिन युवतियों पर महाकुंभ की रील क्यों टिकी हुई है। जबकि वहां रिसर्च का केंद्र है बहुत बड़ा। 40 करोड लोगों का मैनेजमेंट कैसे हो रहा है यह रिसर्च का बहुत बड़ा विषय है।

इतने साधु महात्मा आते कहां से हैं, जाते कहां से है। संगम का महत्व क्या है, हम हिंदुत्व पर कैसे काम कर सकें। कन्वर्जन कैसे रोक सकें, जो चले गए उनकी घर वापसी कैसे हो, भारत को हिंदू राष्ट्र कैसे बनाएं इसके लिए महाकुंभ है। कुंभ अपने उद्देश्य से भटक रहा है। रील में नहीं रियल में जीना चाहिए। वहां और भी महापुरुष है, शंकराचार्य है मठाधीश है, मठों के आचार्य हैं, तपस्वी, योगी है। इसलिए हम कहते हैं जिंदगी में रील में नहीं रियल में जीना चाहिए। इसलिए हमने कमेंट किया। गलती उनकी है जो महाकुंभ के उद्देश्यों को भटका रहे हैं।

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