बस स्टैंड: हर साल आमदनी डेढ़ करोड़ से अधिक, शुद्ध पेयजल तक नसीब नहीं

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बस स्टैंड: हर साल आमदनी डेढ़ करोड़ से अधिक, शुद्ध पेयजल तक नसीब नहीं

बस स्टैंड: हर साल आमदनी डेढ़ करोड़ से अधिक, शुद्ध पेयजल तक नसीब नहीं


बेगूसराय, निज प्रतिनिधि। जिलेभर में छोटे बड़े करीब 40 बस स्टैंड हैं। इनमें से सबसे बड़ा शहर स्थित बस स्टैंड है। आमदनी के नाम पर प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ से अधिक की आमदनी। लेकिन बिहार का शायद यह इकलौता बस स्टैंड होगा जहां न तो पीने के लिए शुद्ध पेयजल की न ही शौच के लिए शौचालय की व्यवस्था है। तीन बीघे 12 कट्ठे जमीन में फैला इस स्टैंड में चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है। यात्रियों के ठहरने के लिए यात्री पड़ाव तक नहीं है। 4.30 करोड़ रुपये की लागत से बना यात्री उद्घाटन के पहले जर्जर हो गया। बस पड़ाव पर अव्यवस्था व परेशानी को लेकर आपके अपने दैनिक हिन्दुस्तान ने वाट्सअप संवाद कर उनकी राय जानी। आइये जानते हैं उनकी ही जुबानी में उनकी व्यथा…

शीतलहर, भीषण गर्मी से लेकर मूलसलाधार बारिश में भी यात्रियों को अपनी जान की रक्षा खुद करनी पड़ती है। बसों का इंतजार तो खड़े खड़े ही करते हैं। यात्रियों ने चालकों ने कहा कि बस स्टैंड में कम से कम तो यात्रियों के लिए शौचालय, मूत्रालय व प्रतिक्षालय की व्यवस्था होनी चाहिए। एनएच-31 पर जहां तहां वाहन लगने से यात्रियों को परेशानी होती है। हाल के दिनों में सुविधायुक्त बस आने के बाद यात्रा आसान हो गया है।

अमरजीत कुमार यात्री

कहने के लिए बस स्टैंड है। बैरियर भी देते हैं लेकिन पानी पीने के लिए होटल वाले ही सहारा बना है। बस स्टैंड के पूरब व पश्चिम दिशा में एनएच-31 पर ही ई-रिक्शा व टेम्पो लगाकर जाम कर दिया जाता है। उसके बदले उसका खामियजा टाटा 407, मैजिक वाहन से लेकर बस वाहनों को उठाना पड़र रहा है। जिला प्रशासन भी इन छोटे गाड़ियों की न तो कागज की जांच की होती है न ही चालक के लाइसेंस का। जो टैक्स जमा करता है उसकी ही जांच होती है।

सुनील कुमार, टाटा 407 वाहन ऑनर

कहने के लिए जिले का सबसे बड़ा बस स्टैंड है। लेकिन यह बिहार का सबसे अधिक गंदा वाला स्टैंड बनकर रह गया है। यात्रियों की सुविधा के नाम पर शून्य है। यात्री ठहराव नहीं है। फ्लाईओवर निर्माण के चलते एनएच- 31 पर बेरिकेडिंग किये जाने से न तो यात्री बस स्टैंड आ रह हैं न ही यहां के यात्री रेलवे स्टेशन जा रहे हैं। बड़े वाहनों का सिमरिया पुल से होकर परिचालन पर रोक लगाने से वाहन मालिकों की कमर टूट रही है। पटना का पुराना स्टैंड हटने से भी परेशानी।

कैलाश सिंह, ऑनर जय जगदंबे ट्रेवल्स

यहां पर 10 वर्ष से अधिक समय से बस में कंडक्टर हैं। यहां जिलेभर से लोग आते हैं। यात्रियों का अधिक दबाव रहता है। यात्रियों के लिए बैठने की व्यवस्था है न ही रात में ठहरने की। ठंड में तो यात्री या तो रेलवे स्टेशन जाते हैं या होटल जाकर शरण लेते हैं। शौचालय जाने पर 10 रुपये तो लघुशंका करने पर तीन रुपये देने पड़ते हैं। बस स्टैंड में ठीक से सफाई तक नहीं होती है। पानी पीने के लिए डिब्बाबंद बोतलों का सहारा लेना पड़ता है। इसमें रोज 50 रुपये खर्च होते हैं।

मुन्ना सिंह, बस कंडक्टर

बस स्टैंड में दिनदहाड़े यात्रियों से लूटपाट की जाती है। खासकर महिला यात्री ज्यादा शिकार हो रहे हैं। वाहन मालिकों व कर्मियों के द्वारा उचक्कों को पकड़ कर पुलिस के हवाले किया जाता है तो पुलिस वाले रास्ते में पैसे देकर चोर पॉकेटमार को छोड़ देते हैं यह कहते हुए कि इसका सूचक कौन बनेगा। स्टैंड की आमदनी करोड़ों में है लेकिन सुविधा नहीं। बस वाहन संघ के लिए कार्यालय तक नहीं।

राम प्रवेश सिंह, कर्मी पुष्पक वाहन कंपनी

यहां से करीब 400 बस समेत 1500 वाहनों का आना जाना होता है। शुद्ध पानी पीने के लिए छोड़ दीजिए बस धोने के लिए भी पर्याप्त चापाकल की व्यवस्था नहीं है। एक वाहन को धोने के लिए 40 से 60 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। सुबह में बस को चालू करने से पहले भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। यात्रियों के जख्मी होने पर इलाज तक की व्यवस्था नहीं है। रात में वाहन से बैट्री व डायनेमो तक खुल जाता है। पुलिस गश्ती कभी होती ही नहीं।

सुरेश सिंह, मैनेजर धर्मरथ

इस बस पड़ाव की बंदोबस्ती हर साल होती है। शौचालय से दुकान से आमदनी अलग से। लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं। बस परिसर में यात्री ठहराव नहीं है। शौचालय से लेकर शुद्ध पेयजल नसीब नहीं है। कनकनी, भीषण गर्मी व मूसालधार वर्षा में यात्रियों की होने वाली परेशानियों से निगम के अधिकारी व जिला प्रशासन सभी अवगत हैं। निगम प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन को चाहिए कि कम से बस स्टैंड में नागरिक सुविधा तो बहाल तो कर दें।

सुधीर सिंह, जिलाध्यक्ष बस वाहन संघ

बिहार का यह पहला जिला है जहां मुख्य बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन आमने- सामने है। यहां से राजधानी समेत मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर समेत झारखंड, पश्चिम बंगाल व दिल्ली के लिए बसें खुलती हैं। लेकिन यात्रियों की सुविधा के नाम कुछ नहीं है। सुरक्षा के लिहाज से सबसे खराब स्थिति है। वर्षा के समय जलनिकासी नहीं होने से यात्रियों को परेशानी होती है। गर्मी आने वाली है। कम से कम यात्रियों को शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नगर निगम करे।

राजीव कुमार, बस ऑनर मां जगदंबे वाहन

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