बड़ा फैसला- अब विदेश जाने की झंझट खत्म, देश में ही पढ़कर ले सकेंगे विदेशी डिग्री, जानिए UGC का नया प्लान | Foreign degree will be able to study in the country | Patrika News h3>
देश में रहकर ही दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों की पढ़ाई कर सकते हैं
भोपाल
Published: April 21, 2022 08:52:55 pm
भोपाल. रूस—यूक्रेन संकट की वजह से मध्यप्रदेश के सैंकड़ो छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। प्रदेश के ये छात्र यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे पर विवाद के कारण उन्हें लौटना पड़ा। अब ऐसे छात्रों के लिए खुशी की खबर है जो विदेश में पढ़ने की इच्छा रखते हैं। अब वे देश में रहकर ही दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों की पढ़ाई कर सकते हैं। UGC के डुअल डिग्री प्रोग्राम के तहत ये मुमकिन हो सका है. इस प्लान से न केवल प्रदेश के छात्रों का विदेशी पढ़ाई का सपना हो सकेगा बल्कि उन्हें यूक्रेन जैसी समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
UGC ने इसके लिए भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों (Foreign Universities) के बीच अकादमिक सहयोग के कुछ नए कदम उठाए हैं। इसके तहत नियमों में ढील देते हुए कुछ प्रमुख संशोधनों को मंजूरी दी गई है। UGC के अनुसार नई व्यवस्था के तहत तीन प्रकार के कोर्स करने की इजाजत दी जाएगी। इन कोर्सों में डुअल, जॉइंट और ट्विन डिग्री प्रोग्राम शामिल हैं।
डुअल डिग्री- इसके अंतर्गत एक भारतीय और दूसरा फॉरेन यूनिवर्सिटी डिग्री की पढ़ाई कराई जाएगी. सब्जेक्ट एक ही होगा. दोनों यूनिवर्सिटी अलग- अलग डिग्री जारी करेंगी।
ट्विन प्रोग्राम- इसमें छात्रों को कुछ सेमेस्टर की पढ़ाई संबंधित विदेशी विश्वविद्यालय में जाकर करनी होगी।
ज्वाइंट डिग्री- इसमें एक भारतीय और दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय मिलकर डिग्री प्रोग्राम चलाएंगे। डिग्री इंडियन यूनिवर्सिटी की होगी, लेकिन उसमें दोनों यूनिवर्सिटी का लोगो लगा होगा।
ऐसे दी जाएगी डिग्री
कोई भी मान्यता प्राप्त भारतीय संस्थान ऐसे विदेशी संस्थान के साथ सहयोग कर सकता है. नेशनल इंस्टिट्यूट रैकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की यूनिवर्सिटी लिस्ट में टॉप 100 में शामिल संस्थान भी इसके लिए एलिजिबल होंगे।
यूजीसी के अनुसार ये प्रोग्राम ऑनलाइन और डिस्टेंस मोड से चलने वाले डिग्री प्रोग्राम में लागू नहीं होगा. ये सभी पूरी तरह से फिजिकल क्लासरूम में चलने वाले प्रोग्राम होंगे. इसके साथ ही इन प्रोग्राम में मेडिकल, लीगल और कृषि डिग्री प्रोग्राम शामिल नहीं किए जाएंगे।
कहा जा रहा है कि नए नियमों से प्रदेश के छात्रों को काफी फायदा होगा. पहले विदेशी डिग्री के लिए उन्हें विदेश जाना पड़ता था। इसमें लाखों रुपए का खर्च आता था. जाहिर है इस वजह से अधिकतर छात्र अपनी इच्छा मारकर विदेश नहीं जाते थे। यूजीसी के इस नए नियम ने इसे बेहद आसान बना दिया है. इसके साथ ही यूक्रेन की तरह लौटकर आने की झंझट भी खत्म हो गई है।
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देश में रहकर ही दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों की पढ़ाई कर सकते हैं
भोपाल
Published: April 21, 2022 08:52:55 pm
भोपाल. रूस—यूक्रेन संकट की वजह से मध्यप्रदेश के सैंकड़ो छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। प्रदेश के ये छात्र यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे पर विवाद के कारण उन्हें लौटना पड़ा। अब ऐसे छात्रों के लिए खुशी की खबर है जो विदेश में पढ़ने की इच्छा रखते हैं। अब वे देश में रहकर ही दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों की पढ़ाई कर सकते हैं। UGC के डुअल डिग्री प्रोग्राम के तहत ये मुमकिन हो सका है. इस प्लान से न केवल प्रदेश के छात्रों का विदेशी पढ़ाई का सपना हो सकेगा बल्कि उन्हें यूक्रेन जैसी समस्या का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
UGC ने इसके लिए भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों (Foreign Universities) के बीच अकादमिक सहयोग के कुछ नए कदम उठाए हैं। इसके तहत नियमों में ढील देते हुए कुछ प्रमुख संशोधनों को मंजूरी दी गई है। UGC के अनुसार नई व्यवस्था के तहत तीन प्रकार के कोर्स करने की इजाजत दी जाएगी। इन कोर्सों में डुअल, जॉइंट और ट्विन डिग्री प्रोग्राम शामिल हैं।
डुअल डिग्री- इसके अंतर्गत एक भारतीय और दूसरा फॉरेन यूनिवर्सिटी डिग्री की पढ़ाई कराई जाएगी. सब्जेक्ट एक ही होगा. दोनों यूनिवर्सिटी अलग- अलग डिग्री जारी करेंगी।
ट्विन प्रोग्राम- इसमें छात्रों को कुछ सेमेस्टर की पढ़ाई संबंधित विदेशी विश्वविद्यालय में जाकर करनी होगी।
ज्वाइंट डिग्री- इसमें एक भारतीय और दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय मिलकर डिग्री प्रोग्राम चलाएंगे। डिग्री इंडियन यूनिवर्सिटी की होगी, लेकिन उसमें दोनों यूनिवर्सिटी का लोगो लगा होगा।
ऐसे दी जाएगी डिग्री
कोई भी मान्यता प्राप्त भारतीय संस्थान ऐसे विदेशी संस्थान के साथ सहयोग कर सकता है. नेशनल इंस्टिट्यूट रैकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की यूनिवर्सिटी लिस्ट में टॉप 100 में शामिल संस्थान भी इसके लिए एलिजिबल होंगे।
यूजीसी के अनुसार ये प्रोग्राम ऑनलाइन और डिस्टेंस मोड से चलने वाले डिग्री प्रोग्राम में लागू नहीं होगा. ये सभी पूरी तरह से फिजिकल क्लासरूम में चलने वाले प्रोग्राम होंगे. इसके साथ ही इन प्रोग्राम में मेडिकल, लीगल और कृषि डिग्री प्रोग्राम शामिल नहीं किए जाएंगे।
कहा जा रहा है कि नए नियमों से प्रदेश के छात्रों को काफी फायदा होगा. पहले विदेशी डिग्री के लिए उन्हें विदेश जाना पड़ता था। इसमें लाखों रुपए का खर्च आता था. जाहिर है इस वजह से अधिकतर छात्र अपनी इच्छा मारकर विदेश नहीं जाते थे। यूजीसी के इस नए नियम ने इसे बेहद आसान बना दिया है. इसके साथ ही यूक्रेन की तरह लौटकर आने की झंझट भी खत्म हो गई है।
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