बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है चिकित्सा विभाग पूर्ण टीकाकरण नहीं होने से असुरक्षित हैं हमारे नौनिहाल – Bharatpur News

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बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है चिकित्सा विभाग पूर्ण टीकाकरण नहीं होने से असुरक्षित हैं हमारे नौनिहाल – Bharatpur News

बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है चिकित्सा विभाग पूर्ण टीकाकरण नहीं होने से असुरक्षित हैं हमारे नौनिहाल – Bharatpur News

NEWS4SOCIALन्यूज | भरतपुर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर नहीं है। जिले में पूर्ण टीकाकरण(फुली इम्यूनाइजेशन) नहीं होने से हमारे नौनिहाल बच्चे असुरक्षित हैं। ये हम नहीं विभाग के ही आंकड़े खुद बोल रहे हैं, क्योंकि वर्ष 2024-

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कुल 74.64 फीसदी ही बच्चों का पूर्ण टीकाकरण होने से भरतपुर जिला प्रदेश 49वें पायदान पर रहकर फिसड्डी रह गया। इसकी मुख्य वजह विभाग के सीएमएचओ सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों की मॉनीटरिंग ठीक से नहीं होना है। इसके अलावा स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों में लापरवाही की वजह से माता-पिता अपने बच्चों के टीकाकरण के महत्व के बारे में अनभिज्ञ हैं और बच्चे जानलेवा बीमारियों के खतरे में हैं।

इम्यूनाइजेशन संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। यह बच्चों और वयस्कों दोनों को गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है। यह समुदाय में रोगों के प्रसार को कम करने में मदद करता है और लोगों को स्वस्थ और सुरक्षित जीवन जीने में सक्षम बनाता है। जबतक बच्चों का आवश्यक टीकाकरण नहीं होगा तब तक वह डिप्थीरिया, टीका, पोलियो, और अन्य घातक बीमारियों से असुरक्षित ही रहेंगे।

सरकारी अस्पतालों में बच्चों का पूर्ण टीकाकरण (फुली इम्यूनाइजेशन) राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार होता है। इसमें जन्म के समय बीसीजी, ओपीवी (पोलियो की जीरो डोज) और हेपेटाइटिस बी के टीके फ्री लगाए जाते हैं। इसके बाद 6 हफ्ते, 10 हफ्ते और 14 हफ्ते की उम्र में डीटीपी/डीटीएपी, हिब, आईपीवी, हेपेटाइटिस बी, पीसीवी और रोटा वायरस के टीके लगाए जाते हैं। 6 महीने की उम्र में इंफ्लुएंजा का टीका भी शामिल होता है।

. जन्म के समय: बीसीजी, ओपीवी (पोलियो जीरो डोज), हेपेटाइटिस बी

. 6 हफ्ते: डीटीपी/डीटीएपी 1, हिब 1, आईपीवी 1, हेपेटाइटिस बी 2, पीसीवी 1, रोटा-1

. 10 हफ्ते: डीटीपी /डीटीएपी 2, हिब 2, आईपीवी 2, हेपेटाइटिस बी 3, पीसीवी 2, रोटा-2

. 14 हफ्ते: डीटीपी/डीटीएपी 3, हिब 3, आईपीवी 3, हेपेटाइटिस बी 4, पीसीवी 3, रोटा-3

. 6 महीने: इंफ्लुएंजा-1

. 12 से 18 महीने: मिजल्स, विटामिन ए, डीपीटी बूस्टर, मीजल्स बूस्टर, ओपीवी बूस्टर

. 4-6 साल: डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस (डीटीएपी), आईपीवी, एमएमआर (खसरा, कण्ठमाला, रूबेला) व वैरिसेला

. 10 और 16 साल: टी.डी. (टेटनस-डिप्थीरिया) ^हम क्यों पिछड़ रहे हैं, इसकी वजह आरसीएचओ से पूछेंगे: डॉ. गौरव कपूर फुली इम्यूनाइजेशन में हम क्यों पिछड़ रहे हैं, इसकी वजह आरसीएचओ से पूछेंगे। अभी मैं ​बिजी हूं, बाद में पता करता हूं।- डॉ. गौरव कपूर, सीएमएचओ, भरतपुर

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