फ्लैट फुट वालों को कमर दर्द ज्यादा | MGMMedicalCollege | News 4 Social h3>
इंदौरPublished: Nov 20, 2023 06:43:41 pm
माह्सी के शोध में खुलासा : फिजियोथैरेपी है आसान समाधान
इंदौर. कमर दर्द की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन सामान्य पैर वालों की तुलना में फ्लैट फुट वालों को अधिक दिक्कत होती है। यह खुलासा एमजीएम एलाइड हेल्थ साइंसेज इंस्टीट्यूट (माह्सी) के शोध में हुआ है। हालांकि राहत की बात यह है कि फिजियोथैरेपी की मदद से 4 सप्ताह में इस समस्या से ग्रस्त लोगों को बहुत हद तक राहत मिल गई।
फिजियोथैरेपी विभाग में कमर दर्द से पीडि़त 500 से अधिक महिलाओं का परीक्षण किया गया। शोध में 12 सप्ताह से अधिक समय से कमर दर्द से पीडि़त मरीजों को शामिल किया गया। इसमें फ्लैट फुट वाली 30 से 50 वर्ष की ऐसी महिलाओं का चयन किया गया, जिनके पैर के आर्च का कोण 131 डिग्री से कम था। लिखित सहमति के बाद 60 मरीजों का उपचार किया गया।
दो ग्रुप बनाकर की गई फिजियोथैरेपी
माह्सी के प्राचार्य प्रो. रामहरि मीणा ने बताया कि प्रभावित मरीजों के दो ग्रुप बनाकर फिजियोथैरेपी की गई। पहले ग्रुप को पारंपरिक फिजियोथैरेपी में घुटने को छाती से लगाकर कमर में खिंचाव, घुटने को विपरीत कंधे तक लेकर कमर में खिंचाव, साइड में लेटकर पैर को ऊपर उठाना, क्लैम्स शैल व्यायाम, सीधे लेटकर पेट को अंदर खीचना, ग्लूटियल मांसपेशियों के आइसोमेट्रिक व्यायाम, ग्लूटल ब्रिजिंग/ पेल्विक ब्रिजिंग व्यायाम, पेट के बल लेटकर प्रोन ऑन एल्बो एक्सरसाइज/प्लैंक, डेड बग एक्सरसाइज छह सप्ताह तक करवाई गई। दूसरे ग्रुप को इन सभी व्यायाम के साथ पैरों के पोस्चर सुधारने के व्यायाम एड़ी-पिंडली का खिंचाव, पैर के अंगूठे और अंगुलियों को ऊपर उठाने, पिंडली (काफ) को टाइट कर शरीर को उठाने, पैर से तौलिये को समेटना, आर्क लिफ्ट जैसे व्यायाम भी कराए गए।
दोनों ग्रुप के परिणामों में फर्क
कमर दर्द की तीव्रता का आंकलन 0-10 पॉइंट के स्केल पर किया गया। दोनों ग्रुप के परिणामों की तुलना में पाया गया कि पारंपरिक फिजियोथैरेपी से जिनके दर्द का स्केल 8-9 था, वह 4 पर आया, जबकि पारंपरिक के साथ अन्य व्यायाम करने वाले ग्रुप में यह स्केल 2.5 अंक रहा। जिन्होंने अन्य व्यायाम भी किए, उनकी कार्य क्षमता में बेहतर प्रगति देखी गई। शोध में पता चला कि कमर दर्द व पैरों की समस्या के निवारण के लिए कुशल फिजियोथैरेपिस्ट से उपचार लिया जाए तो समस्या से राहत मिल सकती है।
शोध में इन्हें नहीं किया शामिल
गंभीर बीमारी, डिस्क, स्पाइन की समस्या, कैंसर, गर्भावस्था, प्रसवोत्तर अवधि (1 वर्ष), स्नायु व मांसपेशियों की कमजोरी, शक्ति और सजगता की कमी, रीढ़ की हड्डी, पेल्विक या निचले अंग के फ्रैक्चर, कूल्हे के जोड़ की विकृति से ग्रस्त मरीज।
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इंदौरPublished: Nov 20, 2023 06:43:41 pm
माह्सी के शोध में खुलासा : फिजियोथैरेपी है आसान समाधान
इंदौर. कमर दर्द की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन सामान्य पैर वालों की तुलना में फ्लैट फुट वालों को अधिक दिक्कत होती है। यह खुलासा एमजीएम एलाइड हेल्थ साइंसेज इंस्टीट्यूट (माह्सी) के शोध में हुआ है। हालांकि राहत की बात यह है कि फिजियोथैरेपी की मदद से 4 सप्ताह में इस समस्या से ग्रस्त लोगों को बहुत हद तक राहत मिल गई।
फिजियोथैरेपी विभाग में कमर दर्द से पीडि़त 500 से अधिक महिलाओं का परीक्षण किया गया। शोध में 12 सप्ताह से अधिक समय से कमर दर्द से पीडि़त मरीजों को शामिल किया गया। इसमें फ्लैट फुट वाली 30 से 50 वर्ष की ऐसी महिलाओं का चयन किया गया, जिनके पैर के आर्च का कोण 131 डिग्री से कम था। लिखित सहमति के बाद 60 मरीजों का उपचार किया गया।
दो ग्रुप बनाकर की गई फिजियोथैरेपी
माह्सी के प्राचार्य प्रो. रामहरि मीणा ने बताया कि प्रभावित मरीजों के दो ग्रुप बनाकर फिजियोथैरेपी की गई। पहले ग्रुप को पारंपरिक फिजियोथैरेपी में घुटने को छाती से लगाकर कमर में खिंचाव, घुटने को विपरीत कंधे तक लेकर कमर में खिंचाव, साइड में लेटकर पैर को ऊपर उठाना, क्लैम्स शैल व्यायाम, सीधे लेटकर पेट को अंदर खीचना, ग्लूटियल मांसपेशियों के आइसोमेट्रिक व्यायाम, ग्लूटल ब्रिजिंग/ पेल्विक ब्रिजिंग व्यायाम, पेट के बल लेटकर प्रोन ऑन एल्बो एक्सरसाइज/प्लैंक, डेड बग एक्सरसाइज छह सप्ताह तक करवाई गई। दूसरे ग्रुप को इन सभी व्यायाम के साथ पैरों के पोस्चर सुधारने के व्यायाम एड़ी-पिंडली का खिंचाव, पैर के अंगूठे और अंगुलियों को ऊपर उठाने, पिंडली (काफ) को टाइट कर शरीर को उठाने, पैर से तौलिये को समेटना, आर्क लिफ्ट जैसे व्यायाम भी कराए गए।
दोनों ग्रुप के परिणामों में फर्क
कमर दर्द की तीव्रता का आंकलन 0-10 पॉइंट के स्केल पर किया गया। दोनों ग्रुप के परिणामों की तुलना में पाया गया कि पारंपरिक फिजियोथैरेपी से जिनके दर्द का स्केल 8-9 था, वह 4 पर आया, जबकि पारंपरिक के साथ अन्य व्यायाम करने वाले ग्रुप में यह स्केल 2.5 अंक रहा। जिन्होंने अन्य व्यायाम भी किए, उनकी कार्य क्षमता में बेहतर प्रगति देखी गई। शोध में पता चला कि कमर दर्द व पैरों की समस्या के निवारण के लिए कुशल फिजियोथैरेपिस्ट से उपचार लिया जाए तो समस्या से राहत मिल सकती है।
शोध में इन्हें नहीं किया शामिल
गंभीर बीमारी, डिस्क, स्पाइन की समस्या, कैंसर, गर्भावस्था, प्रसवोत्तर अवधि (1 वर्ष), स्नायु व मांसपेशियों की कमजोरी, शक्ति और सजगता की कमी, रीढ़ की हड्डी, पेल्विक या निचले अंग के फ्रैक्चर, कूल्हे के जोड़ की विकृति से ग्रस्त मरीज।