फूलपुर में केशव मौर्य की ‘अग्निपरीक्षा’, जानिए प्रियंका के लिए बीजेपी का फुलप्रूफ प्लान क्या है ?

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फूलपुर में केशव मौर्य की ‘अग्निपरीक्षा’, जानिए प्रियंका के लिए बीजेपी का फुलप्रूफ प्लान क्या है ?

फूलपुर में केशव मौर्य की ‘अग्निपरीक्षा’, जानिए प्रियंका के लिए बीजेपी का फुलप्रूफ प्लान क्या है ?

लखनऊ : पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को उत्तरप्रदेश में मायूसी ही मिली। 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी में गांधी परिवार को उतारने की तैयारी कर रही है। चर्चा है कि इस बार दांव अमेठी और रायबरेली के अलावा फूलपुर में भी गांधी परिवार को उतारेगी। इंदिरा की विरासत सीट को सोनिया गांधी ने संभाला है। राहुल गांधी 2019 में राजीव गांधी की सीट अमेठी को गंवा चुके हैं। अब जवाहर लाल नेहरू का चुनाव क्षेत्र से प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम पर पार्टी संजीदगी से विचार कर रही है। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी जाति समीकरणों के आधार पर एक बार फिर एक बड़े ओबीसी नेता को फूलपुर से उतारने की प्लानिंग की है। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान फूलपुर से प्रत्याशी बनाया जा सकता है।

पूर्वांचल में मोदी इफेक्ट कम करना चाहता है I.N.D.I.A.
यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट 2024 में हॉट रहने वाली है। नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव लड़कर पूर्वांचल की 26 लोकसभा सीटों को सीधे तौर से प्रभावित करते हैं। पिछले दो आम चुनावों में इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की रणनीति है कि नरेंद्र मोदी जैसे बड़े कद के मुकाबले के लिए पूर्वांचल में बड़े करिश्माई चेहरे को उतारा जाए। कांग्रेस ने इशारों में प्रयागराज और फूलपुर सीट पर अपना दावा भी जता दिया है। करिश्माई चेहरे के लिए कांग्रेस गांधी फैमिली के चेहरे का सहारा ले सकती है। कांग्रेस की रणनीति मोदी बनाम गांधी फैमिली की है, मगर यह मुकाबला वाराणसी में नहीं होगा। पूर्वांचल में नरेंद्र मोदी इफेक्ट को कम करने के लिए प्रियंका गांधी को जवाहर लाल नेहरू की विरासत वाली सीट फूलपुर से उतारने पर विचार कर रही है। फूलपुर लोकसभा सीट की जातिगत समीकरणों के कारण सबसे पहले नीतीश कुमार के नाम भी उछाला गया।

केशव प्रसाद मौर्य पहले भी फूलपुर में खिला चुके हैं कमल
भारतीय जनता पार्टी ने भी इंटरनल फीडबैक मिलने के बाद फूलपुर लोकसभा सीट से दिग्गज ओबीसी चेहरे को उतारने की तैयारी की है। संभव है कि 2024 में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को फिर से चुनावी अग्निपरीक्षा देनी पड़े। 2022 में सिराथू से विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी केशव प्रसाद मौर्य योगी सरकार में शामिल किए गए। मौर्य बीजेपी के बड़े ओबीसी चेहरा हैं। उन्हें केंद्र की राजनीति में लाने के लिए जरूरी है कि लोकसभा या राज्यसभा के जरिये दिल्ली लाया जाए। नीतीश कुमार और प्रियंका गांधी के नाम सामने आने के बाद फूलपुर बीजेपी के लिए भी प्रतिष्ठा की सीट बन गई है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी अब ऐसे कैंडिडेट पर दांव लगाने की तैयारी कर रही है, जिसका राजनीतिक कद बड़ा हो और वह फूलपुर के जाति वाले हिसाब-किताब में फिट बैठ जाए। केशव मौर्य इस समीकरण में सबसे फिट हैं। केशव प्रसाद मौर्य 2014 में पहली बार फूलपुर सीट पर बीजेपी का कमल खिला चुके हैं। हालांकि 2018 के उपचुनाव में भाजपा को इस सीट से हार का सामना करना पड़ा था।

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9 बार जीत चुके हैं कुर्मी नेता, अगड़ी जातियों को वोट भी है फैक्टर
2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के अनुसार फूलपुर संसदीय क्षेत्र में 19.59 लाख वोटर हैं। क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में चार कुर्मी बाहुल्य हैं। सोरांव, फूलपुर, फाफामऊ और शहर पश्चिमी में पटेल कुर्मी वोटरों की तादाद 21 फीसदी के करीब है। पूरे लोकसभा क्षेत्र में करीब 14 फीसदी कुर्मी वोटर हैं। यही कारण है कि इस सीट से 9 बार कुर्मी राजनेता सांसद बन पाए। अभी यह सीट बीजेपी के खाते में है। 2019 में केसरी देवी पटेल सांसद चुनी गईं। सोरांव के अलावा चार विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी का कब्जा है। अपना दल (सोनेलाल) के गठबंधन के कारण बीजेपी को पिछले तीन चुनावों में कुर्मी वोटरों का एकमुश्त वोट भी मिला। फूलपुर में ब्राह्मण और अगड़ी जातियों का वोट भी बड़ा फैक्टर है। यहां करीब 11 फीसदी ब्राह्मण, 2.3 फीसदी भूमिहार और 5 फीसदी कायस्थ वोटर हैं। 18.42 फीसदी दलित वोटर भी हैं। 2014 और 2019 में अगड़ी जातियों का वोट बीजेपी के खाते में गया। इसका नतीजा रहा कि 2024 में बीजेपी की केसरी देवी पटेल करीब पौने दो लाख की मार्जिन से जीतीं।

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