फिर से लागू होगा नियम, जमाबंदी धारक ही कर सकेंगे जमीन बिक्री

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फिर से लागू होगा नियम, जमाबंदी धारक ही कर सकेंगे जमीन बिक्री

फिर से लागू होगा नियम, जमाबंदी धारक ही कर सकेंगे जमीन बिक्री

फिर से लागू होगा नियम, जमाबंदी धारक ही कर सकेंगे जमीन बिक्री जिले में सिर्फ 44 फीसदी जमीन मालिकों के नाम ही है जमाबंदी फोटो: जिला निबंधन कार्यालय। बिहारशरीफ, निज प्रतिनिधि। सिर्फ जमाबंदी धारक ही जमीन की बिक्री कर सकते हैं। यह नियम फिर से लागू हो सकता है। कोर्ट के आदेश पर यह नियम तत्काल रुका हुआ है। इस संबंध में 9 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है। कोर्ट में सरकार का पक्ष मजबूत हुआ तो सिर्फ जमाबंदी धारक द्वारा ही जमीन बेचने का नियम फिर से लागू हो जायेगा। फरवरी 2024 में निबंधन विभाग ने यह नियम लागू किया था। फरवरी से लेकर 18 मई तक नया नियम लागू रहा। कोर्ट के स्थगन आदेश आने के बाद 19 मई 2024 से पुराने नियमों से जमीन की रजिस्ट्री होने लगी, जो अब तक जारी है। यानि परिवार के किसी भी एक सदस्य के नाम से अगर जमाबंदी है, तो वह जमीन-बिक्री कर सकता है। दस्तानवीस संघ के अध्यक्ष चंद्रभूषण प्रसाद का कहना है कि जमाबंदी धारक ही जमीन की बिक्री का नियम बहुत बेहतर है। इससे जमीन से संबंधित झगड़ों में कमी आयेगी। पुराने नियम से भू-माफिया और दबंग किसी की भी जमीन की खरीद-बिक्री कर लेते हैं। लेकिन, जमाबंदी कायम किये जाने के कार्यों में अंचल कार्यालयों को तेजी लाना होगा। सुओ मोटो से नहीं हो रहा जमीन का दाखिल-खारिज: सुओ मोटो मिशन नालंदा में कागज में सिमट कर रह गया है। इस सेवा के तहत एक भी जमीन का म्यूटेशन नहीं होने की सूचना है। जमीन खरीद के साथ ही स्वत: जमाबंदी कायम करने के लिए सुओ मोटो म्यूटेशन सेवा शुरुआत तीन साल पहले की गयी थी। सुओ मोटो ऑनलाइन म्यूटेशन प्रक्रिया है। इसके तहत जमीन खरीद के बाद सभी आंकड़े संबंधित अंचल कार्यालय के सर्वर में पहुंच जाते हैं। जमीन खरीदने वाले को कार्यालयों के चक्कर लगाने से छुटकारा मिल जाता है। 44 फीसदी जमीनधारकों के नाम से ही कायम है जमाबंदी: नालंदा में जमीन खरीद-बिक्री का कार्य जिस गति से होता है, उस गति से अंचल कार्यालय द्वारा म्यूटेशन में तेजी नहीं दिखाया जाता है। यही कारण है कि महज 44 फीसद जमीनधारकों के नाम से ही जमाबंदी कायम है। आंकड़े के अनुसार जिले में आठ लाख 44 हजार 773 जमाबंदी कायम हैं। इनमें थरथरी में 17 हजार 153, नगरनौसा 27 हजार 36, करायपरसुराय 16 हजार 259, नूरसराय 52 हजार 764, चंडी 43 हजार 10, एकंगरसराय 45 हजार 934, परवलुपर 19 हजार 337, रहुई 56 हजार 192, सरमेरा 29 हजार 77, इस्लामपुर 68 हजार 118, हिलसा 57 हजार 791, सिलाव 44 हजार 751, अस्थावां 44 हजार 743, बिहारशरीफ एक लाख 12 हजार 940, हरनौत 65 हजार 139, बेन 25 हजार 777, बिंद 21 हजार 570, राजगीर 51 हजार 810, गिरियक 29 हजार 888, कतरीसराय अंचल में 15 हजार 447 जमाबंदी कायम हैं। इनमें से 40 फीसद भू-धारकों का ही स्वयं के नाम से जमाबंदी कायम है। स्वयं के नाम से जमाबंदी कायम नहीं कराने वालों में सर्वाधिक पारिवारिक मामले ही हैं। लाखों परिवारों में तो 50 साल से जमीन का बंटवारा ही नहीं हुआ है।

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