फिरोजपुर में एयरफोर्स की हवाई पट्टी धोखाधड़ी से नाम करवाई: पाकिस्तान के खिलाफ 3 युद्धों में इस एयर स्ट्रिप का यूज हुआ; हाईकोर्ट ने विजिलेंस को जांच सौंपी – Punjab News h3>
फिरोजपुर की हवाई पट्टी का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा है।
पंजाब के फिरोजपुर के फत्तूवाला गांव में बनी एयरफोर्स की हवाई पट्टी को पांच लोगों ने धोखाधड़ी से अपने नाम करवा लिया। यह हवाई पट्टी करीब 15 एकड़ पर बनी है। आरोपी ने जमीन के असली मालिक की मौत के बाद राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर अपना नाम लिखवाया है।
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एयरफोर्स पाकिस्तान के खिलाफ 1962, 1965 और 1971 के युद्ध में इसका इस्तेमाल कर चुकी है। अब यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट ने विजिलेंस ब्यूरो के चीफ डॉयरेक्टर को इसकी जांच कर तुरंत कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
अब मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी। विजिलेंस तब तक इस मामले में पूरी जानकारियां जुटाने के बाद फाइनल रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपेगी।
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच विजिलेंस को सौंपी है।
5 पॉइंट्स से समझिए क्या है पूरा मामला…
1. रिटायर्ड कानूनगो की हाईकोर्ट में याचिका फिरोजपुर के रिटायर्ड कानूनगो निशान सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते फिरोजपुर में वायुसेना की जमीन है, जिसका कब्जा अब आर्मी के पास है। इस जमीन पर हवाई पट्टी भी बनी है। देश की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से यह महत्वपूर्ण हवाई-पट्टी है। एयर स्ट्रिप वाली इस 15 एकड़ जमीन का मालिकाना हक 2001 में कुछ लोगों ने अधिकारियों के साथ मिलकर अपने नाम करवा लिया है। निशान सिंह ने याचिका में मामले की सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की मांग की थी। इस गंभीर मामले में फिरोजपुर कैंट के प्रशासनिक कमांडेंट ने संबंधित आयुक्त को पत्र लिखकर जांच की मांग की थी।
2. वायुसेना के अधिकारी राज्यपाल से मिले इस मामले में वायु सेना अधिकारी फिरोजपुर में रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अधिकारियों से मिले लेकिन वहां सुनवाई नहीं की गई। इस पर वायुसेना ने 24 फरवरी 2024 को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को पत्र लिखकर पूरा मामला बताया। राज्यपाल को बताया गया कि 1997 में 5 जाली सेल-डीड नं 889, 965, 1002, 1104 और 1177 में गैरकानूनी ढंग से फर्जीवाड़ा किया गया। जालसाजी करते हुए हवाई पट्टी वाली जमीन का नामांतरण आरोपियों ने अपने नाम पर करवा लिया।
दरअसल, यह जमीन 1937-38 से ही भारतीय वायुसेना के कब्जे में रही और 118.6 कनाल (एक कनाल यानी 5445 वर्गफीट) वाली हवाई-पट्टी वायुसेना की पूरी भूमि का ही एक हिस्सा है। इस जमीन पर एयरपोर्ट का निर्माण किया जाना है और देश की सुरक्षा के लिहाज से भारत-पाक सीमा के साथ लगती इस जमीन को किसी भी कीमत पर बेचा ही नहीं जा सकता।
3. लुधियाना के हलवारा एयर बेस के पास है जमीन का अधिकार वर्तमान में हवाई पट्टी का नियंत्रण सेना के पास है, जबकि परिचालन और प्रशासनिक नियंत्रण लुधियाना के भारतीय वायुसेना के हलवारा एयर बेस के अधिकारियों के पास है। 1997 में उषा अंसल जो अब दिल्ली की निवासी हैं, ने अपने बहनोई मदन मोहन लाल (जमीन के मालिक) से पावर ऑफ अटॉर्नी ले ली। उषा ने 15 एकड़ के हवाई क्षेत्र की जमीन को पांच लोगों दारा सिंह, मुख्तियार सिंह, जागीर सिंह, सुरजीत कौर और मंजीत कौर को बेच दी। मोहन लाल की मौत 1991 में चुकी है। कानूनी जानकारों के अनुसार, मोहनलाल की मौत के बाद पावर ऑफ अटार्नी कैंसिल हो गई। 4. खरीदारों के कोर्ट जाने पर हुआ मामले का खुलासा यह मामला तब खुला जब एयर स्ट्रिप वाली इस जमीन का नामांतरण अपने नाम करवाने वाले खरीदार 2008 में सिविल कोर्ट में चले गए। यहां उन्होंने केस करते हुए मांग की कि सेना को उनकी जमीन खाली करने का निर्देश दिया जाए। खरीदारों ने आरोप लगाया कि 1997 से भूमि पर उनका शांतिपूर्ण कब्जा था, लेकिन 2006 में सेना ने उन्हें बेदखल कर दिया।
5. पूर्व PM लाल बहादुर शास्त्री ने नियुक्त किए थे फसल प्रबंधक 1964 में लाल बहादुर शास्त्री की सरकार के दौरान देश के छावनी क्षेत्रों में सभी खाली पड़ी जमीनों पर फसल लगाने के लिए किसानों को प्रबंधक नियुक्त करने की योजना शुरू की थी। इसी योजना के तहत मदन मोहन लाल और उनके भाई टेक चंद को फिरोजपुर कैंट में 15 एकड़ जमीन के लिए फसल प्रबंधक नियुक्त किया गया था। हरित क्रांति के बाद यह योजना बंद कर दी गई और 982 एकड़ जमीन के सभी फसल प्रबंधकों ने जमीन सेना को सौंप दी।
इस मामले को लेकर रिटायर कानूनगो निशान सिंह ने हाईकोर्ट में दाखिल की। याचिका की प्रति।
मामले पर हाईकोर्ट ने क्या कहा…
फिरोजपुर डीसी की ढिलाई चौंकाने वाली और माफी लायक नहीं सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर की निष्क्रियता पर तीखी टिप्पणी की। जज ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जमीन के मामले में फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर की दिखाई गई ढिलाई चौंकाने वाली और अक्षम्य है।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की संप्रभुता की रक्षा में तैनात सेना को राज्यपाल तक गुहार लगानी पड़ रही है। अदालत ने कहा कि इस मामले में तो सरकार को खुद आगे आकर फर्जीवाड़ा करने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो अभी तक नहीं की गई।
डीसी बोलीं- सेना को दे रहे है सहयोग
उधर, डीसी फिरोजपुर दीपशिखा शर्मा ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए रेवेन्यू रिकार्ड की दुरुस्ती की जा चुकी है। हवाई पट्टी को दोबारा से सेना के नाम पर चढ़ाया जा चुका है। इसको लेकर पूरी रिपोर्ट प्रदेश सरकार के पास भेजी जा चुकी है। इसमें सभी एक्शन की पूरी डिटेल दी गई है। SSP फिरोजपुर को भी आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए लिखा है। प्रशासन सेना का पूरा सहयोग कर रहा है।