प्रोजेक्ट नई किरण ने काउंसलिंग के जरिये दो परिवारों को टूटने से बचाया | Project Nayi Kiran saved two families through counseling in lalitpur | Patrika News h3>
बूढ़ी दादी को शिकायत थी कि दादा, उनका ध्यान नहीं रखते, ना ही कुछ खर्चा देते है, केवल अपने लड़के बहू के अनुसार चलते है और उनको ही सब कुछ देते है। वहीं बूढ़े दादा को शिकायत थी कि उनकी पत्नी सबको परेशान करती है, छोटी सी बात पर भी विवाद कर देती है। सामान्य सी दिखने वाली इस शिकायत को प्रोजेक्ट नई किरण के विशेषज्ञों की टीम ने बारी बारी से गंभीरता से सुना।
उम्र के अंतिम पड़ाव पर खड़े दादा-दादी को एक दूसरे के महत्व से परिचित कराते हुए परस्पर बुढ़ापे की लाठी बनने की सलाह दी, पारिवारिक रिश्तों का विस्तार में महत्व समझाया। पुलिस उपाधीक्षक प्रशिक्षु की पहल पर दादा-दादी ने एक दूसरे को फूल भेंट कर अपने दाम्पत्य जीवन की फुलवारी को फिर से सुगन्धित कर, गिले शिकवे दूर किए। अंत में दादी ने घूंघट के अंदर से ही मुस्कराते हुए दादा के पारम्परिक अंदाज़ में पैर छू लिए। दादा दादी के इस मीठी नोक झोंक और प्यार को देखकर पुलिस लाइन का सभागार तालियों की गड़गढ़ाहट से गूंज उठा। सभी ने उनके आगे के सुखी और स्वस्थ्य जीवन की शुभकामना दी।
एक अन्य मामले में प्रोजेक्ट नई किरण टीम की गहन काउन्सलिंग के बाद पति ने घुटनो पर बैठकर नाराज़ पत्नी को मनाते हुए, अपनी सारी भूल चूक स्वीकार की और फूल देकर उसको हंसी खुशी चलने को मनाया।
परिवार को जोड़ने के इस पुनीत मिशन में नई किरण प्रोजेक्ट के सदस्य अजय बरया, डॉ0 दीपक चौबे, डॉ0 जनक किशोरी शर्मा ,एडवोकेट अरमान कुरेशी, डॉ एस पी पाठक, डॉ सुभाष जैन एवं सुधा कुशवाहा,डॉ0 संजीव शर्मा के साथ महिला थाना प्रभारी मिथिलेश कुमारी, महिला का. दिव्या, का. उमेश बंसल, का. राजेश आदि का विशेष सहयोग रहा। सभी ने पुलिस की इस शानदार पहल की खुले दिल से सराहना की।
बूढ़ी दादी को शिकायत थी कि दादा, उनका ध्यान नहीं रखते, ना ही कुछ खर्चा देते है, केवल अपने लड़के बहू के अनुसार चलते है और उनको ही सब कुछ देते है। वहीं बूढ़े दादा को शिकायत थी कि उनकी पत्नी सबको परेशान करती है, छोटी सी बात पर भी विवाद कर देती है। सामान्य सी दिखने वाली इस शिकायत को प्रोजेक्ट नई किरण के विशेषज्ञों की टीम ने बारी बारी से गंभीरता से सुना।
उम्र के अंतिम पड़ाव पर खड़े दादा-दादी को एक दूसरे के महत्व से परिचित कराते हुए परस्पर बुढ़ापे की लाठी बनने की सलाह दी, पारिवारिक रिश्तों का विस्तार में महत्व समझाया। पुलिस उपाधीक्षक प्रशिक्षु की पहल पर दादा-दादी ने एक दूसरे को फूल भेंट कर अपने दाम्पत्य जीवन की फुलवारी को फिर से सुगन्धित कर, गिले शिकवे दूर किए। अंत में दादी ने घूंघट के अंदर से ही मुस्कराते हुए दादा के पारम्परिक अंदाज़ में पैर छू लिए। दादा दादी के इस मीठी नोक झोंक और प्यार को देखकर पुलिस लाइन का सभागार तालियों की गड़गढ़ाहट से गूंज उठा। सभी ने उनके आगे के सुखी और स्वस्थ्य जीवन की शुभकामना दी।
एक अन्य मामले में प्रोजेक्ट नई किरण टीम की गहन काउन्सलिंग के बाद पति ने घुटनो पर बैठकर नाराज़ पत्नी को मनाते हुए, अपनी सारी भूल चूक स्वीकार की और फूल देकर उसको हंसी खुशी चलने को मनाया।