प्राकृतिक खेती का नेतृत्व करेगा मध्यप्रदेश, जानिए क्या है जीरो बजट प्राकृतिक खेती | zero budget natural farming in madhya pradesh | Patrika News

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प्राकृतिक खेती का नेतृत्व करेगा मध्यप्रदेश, जानिए क्या है जीरो बजट प्राकृतिक खेती | zero budget natural farming in madhya pradesh | Patrika News

प्राकृतिक खेती का नेतृत्व करेगा मध्यप्रदेश, जानिए क्या है जीरो बजट प्राकृतिक खेती | zero budget natural farming in madhya pradesh | Patrika News

zero budget natural farming- खेतों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हुआ मंथन, कई सुझावों पर गौर करेंगे किसान और एक्सपर्ट्स…।

भोपाल

Updated: April 13, 2022 05:09:09 pm

भोपाल। प्राकृतिक खेती में अभी भी मध्यप्रदेश देश में अव्वल है और आज जो सुझाव मिल रहे हैं, उसे जब किसान और एक्सपर्ट्स लागू करेंगे तो प्राकृतिक खेती के मामले में मध्यप्रदेश देश का नेतृत्व करेगा।

यह बात शून्य बजट प्राकृतिक खेती (zero budget natural farming) पर आयोजित कार्यशाला में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कही। वे कुशाभाई ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल मंगूभाई पटेल, एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल, नगरीय विकास व भोपाल के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह समेत कृषि विभाग के बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। इस आयोजन में दिल्ली से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी वर्चुअल रूप से जुड़े थे। मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि छोटे-छोटे किसानों को भी इस अभियान से जोड़ेंगे जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सके।

गुजरात के राज्यपाल ने बताया खाद का फार्मूला

कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि खेतों में जिस तरह से हम यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल कर रहे हैं, उससे आने वाले पचास वर्षों में जमीन बंजर हो जाएगी। हर साल इस खाद की खपत बढ़ रही है। धरती की सेहत खराब हो रही है और आमजन बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए देशी नस्ल की गाय होना चाहिए। उससे जो गोबर और गोमूत्र मिलता है, उसे दो सौ लीटर के ड्रम में 170 लीटर पानी में मिलाकर रखना है। डेढ़ से दो किलो गुड़ और इतना ही बेसन मिलाना है। सुबह शाम इसे लकड़ी से घुमाना है। चार दिन में जीवामृत तैयार हो जाएगा। सिंचाई के साथ इसका छिड़काव करेंगे जो यूरिया का काम करेगा। इसी से बीजामृत तैयार होता है। इससे बीजों को शुद्ध किया जाता है और खेतों में डालने पर यह डीएपी का काम करता है।

केंद्रीय कृषि मंत्री बोले- प्राकृतिक खेती को बनाना है अव्वल

दिल्ली से वर्चुअल रूप से शामिल हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश कृषि क्षेत्र में अग्रणी राज्य है। अब प्राकृतिक कृषि में अव्वल बनाना है। कृषि पाठ्यक्रम में प्राकृतिक कृषि को शामिल करने के लिए समिति बनाई गई है।

क्या है शून्य बजट प्राकृतिक खेती

शून्य बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधारित है, जो देसी गाय के गोबर और गौमूत्र से एक किसान तीस एकड़ खेत पर शून्य बजट खेती कर सकता है। देसी प्रजाति की गाय के गोबर एवं मूत्र से जीवामृत, घनजीवामृत और जामन बीजामृत बनाया जाता है। इससे खेत की मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ते हैं और जैविक गतिविधियां बढ़ती है। यदि प्राकृतिक खेती करेंगे तो कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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