प्रश्नपत्र वर्ष 2019 के और परीक्षा 2022 में h3>
प्रश्नपत्र वर्ष 2019 के और परीक्षा 2022 में
पांचवी और आठवीं की वार्षिक परीक्षा में बच्चों की नजर ब्लैकबोर्ड पर
प्रश्न पत्र की कमी के कारण शिक्षकों ने ब्लैकबोर्ड पर लिखा प्रश्न
पहले दिन हिन्दी व अंग्रेज विषयों की हुई परीक्षा
फोटो :
07नूरसराय01 : नूरसराय के मध्य विद्यालय संगत में ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न लिखते शिक्षक।
07नूरसराय02 : नूरसराय के मध्य विद्यालय संगत में बोर्ड से प्रश्न लिखते बच्चे।
एग्जाम-बेन के लक्ष्ण बिगहा उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सोमवार को पहले दिन आठवीं की परीक्षा देते छात्र-छात्राएं।
बिहारशरीफ/नूरसराय। निज प्रतिनिधि
प्रश्नपत्र वर्ष 2019 के और परीक्षा 2022 में। यह सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है। लेकिन, यही हाल है पांचवी और आठवीं की वार्षिक परीक्षा में। इतना ही नहीं, बच्चों कीएक नजर नजर ब्लैकबोर्ड पर तो एक नजर उत्तर पुस्तिका पर और दिमाग प्रश्नों के उत्तर लिखने में…। ऐसा ही दृश्य सोमवार को जिले के सैकड़ों विद्यालयों में पांचवीं और आठवीं की परीक्षा के दरम्यान देखा गया। इस तरह की अनोखी परीक्षा से बच्चे ही नहीं, बल्कि शिक्षक भी हैरान दिखे। इस तरह की परीक्षा कहीं न कहीं शिक्षा विभाग की नाकामी को दर्शाता है।
अधिकतर विद्यालयों में सैकड़ों परीक्षार्थियों में कहीं दो तो कहीं पांच प्रश्न पत्र ही दिया गया। आखिरकार, बच्चों की वार्षिक परीक्षा तो होना ही है। ऐसे में प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिका की उपलब्धता के अनुसार वैकल्पिक व्यवस्था विद्यालय प्रबंधन ने की। वैकल्पिक व्यवस्था भी ऐसी की कहीं प्रश्नों को शिक्षक बोर्ड पर लिख रहे हैं तो कहीं फोटो स्टेट कराकर बच्चों को दिया जा रहा था। आखिर बच्चे करें तो क्या।
लोगों ने कहा कि सरकार शिक्षा विभाग को सुदृढ़ करने में लगी है तो फिर क्या इस तरह की व्यवस्था सुदृढ़ है। बच्चों की मानें तो इस तरह की व्यवस्था से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ कोरोना काल में स्कूल बंद था। बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हुई और परीक्षा बच्चों को देनी पड़ रही है। इस तरह की कुव्यवस्था का आलम बच्चों के भविष्य को अधर में लटका दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं, परीक्षा 2022 में हो रही है और प्रश्न पत्रों पर 2019 ही लिखा हुआ है।
बच्चों की वार्षिक परीक्षा मजाक बनकर रह गयी है। हालांकि, संबंधित विभाग की कर्मी को मानें तो वर्ष 2019 में सभी विद्यालयों को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया गया था जिसे विद्यालय प्रबंधन द्वारा बचाकर नहीं रखा गया है। फिर भी विभाग के द्वारा हर विद्यालय को एक दो प्रति दी गयी है। वहीं दर्जनों विद्यालय प्रबंधन की मानें तो विद्यालय को प्रश्न पत्र उपलब्ध कराया ही नहीं गया है। कोरोना काल में विद्यालय बंद हो गया था तो कैसे उपलब्ध कराया गया। वहीं बच्चे व उनके अभिभावक की मानें तो शिक्षा के क्षेत्र में नूरसराय प्रखंड समेत जिले में वर्षों से कुव्यवस्था की भरमार है।
2179 केन्द्रों पर शुरू हुई पांचवीं व आठवीं की परीक्षाएं:
जिले के दो हजार 179 केन्द्रों पर सोमवार से पांचवीं व आठवीं की परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। इन दोनों परीक्षाओं में पहले दिन एक लाख से अधिक बच्चे शामिल हुए। पांचवीं में 56 हजार 664 तो आठवीं में 48 हजार 387 बच्चों ने शिरकत की। दोनों क्लास में हिन्दी व अंग्रेजी की परीक्षा ली गई। पहली पाली में हिन्दी तो दूसरी में अंग्रेजी विषय की परीक्षा हुई। कदाचार मुक्त परीक्षा के लिए जिलास्तर पर नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। इस दौरान गश्ती दल के अधिकारियों का भी दिन भर सभी केन्द्रों आना जाना लगा रहा।
डीईओ केशव प्रसाद व संभाग प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि इन परीक्षाओं के बाद पहली से चौथी और फिर छठी व सातवीं की परीक्षा ली जाएगी। शिड्यूल के अनुसार पहली से आठवीं तक की परीक्षा खत्म होने तक जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष काम करता रहेगा। इस दौरान गश्ती दल भी सभी स्कूलों में निरीक्षण कर अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपते रहेंगे। सभी परीक्षाओं को मिलाकर कुल 4 लाख 14 हजार 563 बच्चे परीक्षा में शामिल होंगे। पांचवीं व आठवीं की सात से 10 तो अन्य कक्षाओं की परीक्षा 25 से 29 मार्च तक होगी।
बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News
प्रश्नपत्र वर्ष 2019 के और परीक्षा 2022 में
पांचवी और आठवीं की वार्षिक परीक्षा में बच्चों की नजर ब्लैकबोर्ड पर
प्रश्न पत्र की कमी के कारण शिक्षकों ने ब्लैकबोर्ड पर लिखा प्रश्न
पहले दिन हिन्दी व अंग्रेज विषयों की हुई परीक्षा
फोटो :
07नूरसराय01 : नूरसराय के मध्य विद्यालय संगत में ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न लिखते शिक्षक।
07नूरसराय02 : नूरसराय के मध्य विद्यालय संगत में बोर्ड से प्रश्न लिखते बच्चे।
एग्जाम-बेन के लक्ष्ण बिगहा उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सोमवार को पहले दिन आठवीं की परीक्षा देते छात्र-छात्राएं।
बिहारशरीफ/नूरसराय। निज प्रतिनिधि
प्रश्नपत्र वर्ष 2019 के और परीक्षा 2022 में। यह सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है। लेकिन, यही हाल है पांचवी और आठवीं की वार्षिक परीक्षा में। इतना ही नहीं, बच्चों कीएक नजर नजर ब्लैकबोर्ड पर तो एक नजर उत्तर पुस्तिका पर और दिमाग प्रश्नों के उत्तर लिखने में…। ऐसा ही दृश्य सोमवार को जिले के सैकड़ों विद्यालयों में पांचवीं और आठवीं की परीक्षा के दरम्यान देखा गया। इस तरह की अनोखी परीक्षा से बच्चे ही नहीं, बल्कि शिक्षक भी हैरान दिखे। इस तरह की परीक्षा कहीं न कहीं शिक्षा विभाग की नाकामी को दर्शाता है।
अधिकतर विद्यालयों में सैकड़ों परीक्षार्थियों में कहीं दो तो कहीं पांच प्रश्न पत्र ही दिया गया। आखिरकार, बच्चों की वार्षिक परीक्षा तो होना ही है। ऐसे में प्रश्नपत्र और उत्तरपुस्तिका की उपलब्धता के अनुसार वैकल्पिक व्यवस्था विद्यालय प्रबंधन ने की। वैकल्पिक व्यवस्था भी ऐसी की कहीं प्रश्नों को शिक्षक बोर्ड पर लिख रहे हैं तो कहीं फोटो स्टेट कराकर बच्चों को दिया जा रहा था। आखिर बच्चे करें तो क्या।
लोगों ने कहा कि सरकार शिक्षा विभाग को सुदृढ़ करने में लगी है तो फिर क्या इस तरह की व्यवस्था सुदृढ़ है। बच्चों की मानें तो इस तरह की व्यवस्था से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ कोरोना काल में स्कूल बंद था। बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हुई और परीक्षा बच्चों को देनी पड़ रही है। इस तरह की कुव्यवस्था का आलम बच्चों के भविष्य को अधर में लटका दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं, परीक्षा 2022 में हो रही है और प्रश्न पत्रों पर 2019 ही लिखा हुआ है।
बच्चों की वार्षिक परीक्षा मजाक बनकर रह गयी है। हालांकि, संबंधित विभाग की कर्मी को मानें तो वर्ष 2019 में सभी विद्यालयों को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया गया था जिसे विद्यालय प्रबंधन द्वारा बचाकर नहीं रखा गया है। फिर भी विभाग के द्वारा हर विद्यालय को एक दो प्रति दी गयी है। वहीं दर्जनों विद्यालय प्रबंधन की मानें तो विद्यालय को प्रश्न पत्र उपलब्ध कराया ही नहीं गया है। कोरोना काल में विद्यालय बंद हो गया था तो कैसे उपलब्ध कराया गया। वहीं बच्चे व उनके अभिभावक की मानें तो शिक्षा के क्षेत्र में नूरसराय प्रखंड समेत जिले में वर्षों से कुव्यवस्था की भरमार है।
2179 केन्द्रों पर शुरू हुई पांचवीं व आठवीं की परीक्षाएं:
जिले के दो हजार 179 केन्द्रों पर सोमवार से पांचवीं व आठवीं की परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। इन दोनों परीक्षाओं में पहले दिन एक लाख से अधिक बच्चे शामिल हुए। पांचवीं में 56 हजार 664 तो आठवीं में 48 हजार 387 बच्चों ने शिरकत की। दोनों क्लास में हिन्दी व अंग्रेजी की परीक्षा ली गई। पहली पाली में हिन्दी तो दूसरी में अंग्रेजी विषय की परीक्षा हुई। कदाचार मुक्त परीक्षा के लिए जिलास्तर पर नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। इस दौरान गश्ती दल के अधिकारियों का भी दिन भर सभी केन्द्रों आना जाना लगा रहा।
डीईओ केशव प्रसाद व संभाग प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि इन परीक्षाओं के बाद पहली से चौथी और फिर छठी व सातवीं की परीक्षा ली जाएगी। शिड्यूल के अनुसार पहली से आठवीं तक की परीक्षा खत्म होने तक जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष काम करता रहेगा। इस दौरान गश्ती दल भी सभी स्कूलों में निरीक्षण कर अधिकारियों को रिपोर्ट सौंपते रहेंगे। सभी परीक्षाओं को मिलाकर कुल 4 लाख 14 हजार 563 बच्चे परीक्षा में शामिल होंगे। पांचवीं व आठवीं की सात से 10 तो अन्य कक्षाओं की परीक्षा 25 से 29 मार्च तक होगी।