प्रशांत किशोर तुरंत नहीं लॉन्च करेंगे पॉलिटिकल पार्टी, वीपी सिंह के हथियार से नीतीश को करेंगे गद्दी से बेदखल! समझें ट्वीट के मायने

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प्रशांत किशोर तुरंत नहीं लॉन्च करेंगे पॉलिटिकल पार्टी, वीपी सिंह के हथियार से नीतीश को करेंगे गद्दी से बेदखल! समझें ट्वीट के मायने

पटना: एक मई को करीब दोपहर 2 बजे पटना एयरपोर्ट पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के लैंड करने के बाद से बिहार के राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम है। रविवार शाम को चर्चा शुरू हुई कि प्रशांत किशोर दोबारा नीतीश कुमार के साथ जुड़ने जा रहे हैं। हालांकि कुछ ही घंटो बाद यह खबर फुस्स हो गई। पटना के राजनीतिक गलियारों में सोमवार सुबह में खबरें उड़ी कि प्रशांत किशोर नई पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च करने के लिए पटना आए हैं। करीब 9:30 AM पर प्रशांत किशोर का एक ट्वीट आया, जिसके बाद पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च करने वाली खबर ने गोली की तरह मीडिया में चलने लगी। राजनीति के जानकार लोग अपने-अपने हिसाब से प्रशांत किशोर के इस ट्वीट के मायने निकाल रहे हैं। इस ट्वीट में प्रयोग शब्दों को ध्यान देकर पढ़ें तो पता लगता है कि प्रशांत किशोर तत्काल पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च करने के मूड में नहीं हैं।

पॉलिटिकल पार्टी नहीं, जनता से मेल-जोल बढ़ाने का अभियान शुरू करेंगे PK!
सोमवार को किए गए ट्वीट में प्रशांत किशोर ने लिखा है कि वह बिहार में ‘जन सुराज’ की शुरुआत करने जा रहे हैं। यहां ‘जन सुराज’ का कतई मतलब नहीं है कि वह पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च करेंगे। ‘जन सुराज’ के मायने समझें तो साफ है कि प्रशांत किशोर कोई ऐसा अभियान शुरू करने जा रहे हैं जिसमें वह बिहार की जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित करेंगे। चुनावी रणनीतिकार के रूप में प्रशांत किशोर के कॅरिअर को देखें तो वह जन संवाद जैसे अभियान में खूब यकीन करते हैं। इसलिए उन्होंने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी नीतीश कुमार को पूरे बिहार में घूमने और लोगों की समस्याएं जानने की सलाह दी थी। प्रशांत किशोर के इसी सलाह का मानते हुए नीतीश कुमार को बिहार की जनता की जरूरतों के बारे में पता चला और उसके बाद सात निश्चय योजना के तहत ‘हर घर नल का जल’, ‘हर घर बिजली’, ‘हर घर तक पक्की नली-गली’, ‘हर घर शौचालय’, ‘आर्थिक हल युवाओं को बल’ आदि आदि जनहित योजनाओं की शुरुआत की गई।
चुनावी चाणक्य प्रशांत किशोर और ‘2 मई’ का आखिर क्या है कनेक्शन?
पूरी उम्मीद है कि प्रशांत किशोर 5 मई को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ‘जन सुराज’ के नाम से बिहार की जनता से सीधे संवाद का कोई कैंपेन लॉन्च कर सकते हैं। चुनावी रणनीतिकार का रोल निभा चुके प्रशांत किशोर भली-भांति समझते हैं कि कोई भी पॉलिटिकल पार्टी तभी सफल होती है जब उसका जनता से सीधा जुड़ाव होता है। शायद इसलिए प्रशांत किशोर ‘जन सुराज’ के जरिए बिहार के सभी 38 जिलों का दौरा करके जमीनी हकीकत को समझ पाएंगे।

प्रशांत किशोर के लिए क्यों जरूरी है बिहार में जन संवाद
प्रशांत किशोर ब्राह्मण जाति से आते हैं। वह मूल रूप से बक्सर जिले के रहने वाले हैं। बिहार में राजनीति करनी है तो जाति आधारित पॉलिटिक्स को नकारा नहीं जा सकता है। राज्य में महज पांच फीसदी ब्राह्मण वोटर हैं, जिनकी बदौलत कोई बड़ा राजनीतिक खेल करना संभव नहीं है। इसलिए प्रशांत किशोर भी चाहेंगे कि जिस तरह नीतीश कुमार ने कम संख्या वाले कुर्मी समाज के साथ दूसरी जातियों को साथ लेकर बिहार की राजनीति में डंटे हुए हैं, ठीक उसी तरह उन्हें ब्राह्मणों के साथ समाज के दूसरे वर्ग के लोगों का भी समर्थन हासिल हो। बिहार में जाति की राजनीति को समझने के लिए 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव रिजल्ट के उदाहरण को देखा जा सकता है। 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू+बीजेपी गठबंधन को 243 में 206 सीटें आई थीं। आरजेडी 22 सीटों पर सिमट गई थी। इस चुनाव रिजल्ट के बाद सीएम नीतीश ने कहा था, ‘हम चाहे जितनी हवाबाजी कर लें, यह इलेक्शन काफी हद तक जाति आधारित ही हुआ है। बिहार की जनता ने जाति से उठकर वोट नहीं किया।’ नीतीश कुमार ने यह बात इसलिए कही थी क्योंकि आरजेडी के 22 विधायकों में 9 मुसलमान और 7 यादव थे। यानी मुस्लिम+यादव लालू के साथ रहा। इसलिए प्रशांत किशोर भी समझते हैं कि बिहार में समाज के दूसरे वर्ग का समर्थन हासिल करने के लिए जन संवाद एक आजमाया हुआ तरीका है।
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पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च करने में क्यों जल्दबाजी नहीं करेंगे प्रशांत किशोर
बिहार में 2025 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। वहीं 2024 में लोकसभा के लिए वोट डाले जाएंगे। ऐसे में प्रशांत किशोर शायद ही पॉलिटिकल पार्टी लॉन्च करने में जल्दबाजी दिखाएं। प्रशांत के अब तक के कॅरिअर पर नजर डालें तो पता चलता है कि वह कोई भी कदम पूरी तैयारी के साथ उठाते हैं। इसलिए अगर वह पॉलिटिकल पार्टी भी लॉन्च करेंगे तो इसके लिए बिहार की आम जनमानस की भावना को जरूर समझना चाहेंगे।

मुजफ्फरपुर के बोचहां में हुए उपचुनाव के बाद साफ हो गया कि उच्च जातियों खासकर भूमिहार समाज बीजेपी से नाराज है। फिलहाल भूमिहार समाज के कुछ स्थानीय नेताओं का झुकाव आरजेडी की तरफ दिख रहा है। ऐसे में प्रशांत थोड़ा समय लेकर समझने की कोशिश करेंगे कैसे इस समाज के लोगों को अपने पक्ष में किया जाए।
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नीतीश कुमार को हराने के लिए प्रशांत आजमा सकते हैं वीपी सिंह का फॉर्म्यूला
पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह राजपूत जाति से आते थे, लेकिन ओबीसी समाज के बीच में वह अपने दौर के सबसे बड़े नेता रहे। वीपी सिंह ने अपने तरह की राजनीति की, जिसमें उन्हें भले ही अपनी ही जाति के लोगों का विरोध झेलना पड़ा, लेकिन उत्तर भारत के ओबीसी समाज का अपार जनसमर्थन मिलने से खूब राजनीतिक फायदा हुआ। इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी के साथ सहानुभूति का अपार समर्थन हासिल था। ऐसे में वीपी सिंह ने 80 के दशक के अंतिम वर्षों में जनमोर्चा बनाकर देशभर का दौरा किया था। इस दौरे के जरिए वीपी सिंह को देश की नब्ज समझने और असंतुष्ट कांग्रेसियों को साथ लाने में सफलता मिली। 1989 के लोकसभा चुनाव में राजीव गांधी की हार हुई और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे।
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ठीक इसी तर्ज पर प्रशांत किशोर बिहार के हर समाज में नीतीश कुमार और उनके सहयोगियों से नाराज लोगों को एकत्र करने की कोशिश करेंगे। प्रशांत भली-भांति जानते हैं कि नीतीश कुमार जैसे कद्दावर नेता के सामने राजनीतिक रूप से उठने के लिए मजबूत जनसमर्थन का इंतजाम होना जरूरी है। दूसरी तरफ लालू यादव की पार्टी आरजेडी भी जमीन स्तर पर ही काम करती है।

दो साल पहले जेडीयू से निकाले जाने के बाद भी प्रशांत किशोर ने पटना में तामझाम के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और दावा किया था कि वह बिहार में युवाओं की एक बड़ी फौज तैयार करेंगे जो सियासी तौर पर सूबे की किस्मत बदलेगी। कार्यक्रम का नाम रखा गया था ‘बात बिहार की’। यह भी एक जन संवाद का ही कार्यक्रम था। हालांकि पश्चिम बंगाल और दिल्ली विधानसभा चुनाव में रणनीतिकार की जिम्मेदारी मिलने के बाद प्रशांत ने इस कार्यक्रम को शुरू नहीं किया था। इन सारी बातों को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रशांत किशोर तत्काल कोई राजनीतिक दल नहीं लॉन्च करेंगे। इसके लिए वह वक्त लेंगे। राजनीतिक दल लॉन्च करने से पहले प्रशांत पूरे बिहार में घूमकर राजनीतिक ताकत थाहने की कोशिश करेंगे।



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