प्रदेश में मनरेगा के तहत होगी औषधीय पौधों की खेती | Devaranya Yojana: Cultivation of medicinal plants under MNREGA in MP | Patrika News h3>
पायलट प्रोजेक्ट के बाद अब देवारण्य योजना पूरे प्रदेश में लागू
भोपाल
Published: April 21, 2022 08:02:25 pm
भोपाल. प्रदेश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने एवं उसके माध्यम से किसानों के आर्थिक उन्नयन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू की गई देवारण्य योजना लागू की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर अनुसूचित जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में पारिस्थितिकीय तंत्र के अनुसार अनुकूल क्षेत्रों की पहचान कर पेशेवर तरीके से औषधीय पौधों की खेती की जानी है। इसका क्रियान्वयन मनरेगा के माध्यम से होगा। शुरुआती दौर में यह योजना सतना सहित प्रदेश के पांच जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू की गई थी। सतना में 6 प्रोजेक्ट चिन्हित किए गए थे।
प्रदेश को 11 पादप उत्पादक क्षेत्रों में बांटा
देवारण्य योजना के तहत औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रदेश को 11 विशेष पादप उत्पादक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जो जलवायु क्षेत्र पर आधारित हैं। सतना जिला कैमूर प्लेटो सतपुड़ा हिल्स जलवायु क्षेत्र में आता है। इसमें सतना के अलावा रीवा, पन्ना, जबलपुर, सिवनी एवं कटनी जिले आते हैं। जो अन्य जलवायु क्षेत्र हैं उनमें छत्तीसगढ़ प्लेन, नार्दन हिल्स रीजन ऑफ छत्तीसगढ़, सेन्ट्रल नर्मदा वैली,विन्ध्या प्लेटो, गिर्द रीजन, बुन्देलखंड, सतपुड़ा प्लेटो, मालवा प्लेटो, निमाड़ प्लेन और झाबुआ, हिल्स शामिल हैँ।
कैमूर प्लेटो में इनकी होगी खेती
कैमूर प्लेटो में आने वाले सतना सहित अन्य जिलों में देवारण्य योजना के तहत जिन औषधीय फसलों की खेती होनी है उनमें अश्वगंधा, कालमेघ ऐलोवेरा, ईसबगोल, तुलसी, सफेद मूसली, स्टीविया, कोलियस, सर्पगंधा एवं निरगुंडी है। इसी तरह से नार्दन हिल््स रीजन ऑफ छत्तीसगढ़ प्लेन में आने वाले सिंगरौली, शहडोल, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया में गुलबकावली, अश्वगंधा, तुलसी शतावरी, अर्जुन, कुटकी, नागरमोधा, लेमनग्रास, भल्लातक, स्टीविया, चंदन एवं गिलोय शामिल हैं।
गठित होगी देवारण्य सेल
देवारण्य योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य व जिला स्तर पर देवारण्य सेल गठित की जाएगी। राज्य स्तरीय सेल गठित हो चुकी है। जिला स्तर पर अब इसे गठित किया जाना है। यह सेल किसानों को औषधीय पौधों की खेती का प्रशिक्षण देना, क्षमता वर्धन सहित उत्पाद विक्रय आदि में मदद करेगी। खेती के लिये किसानों के समूह या कृषक उत्पादक संगठन के रूप में पंजीयन किया जाएगा।
उपलब्ध कराया जाएगा बाजार
बताया गया है कि उत्पादित होने वाले औषधीय फसल के लिये बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के क्रियान्वयन के लिये वन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग, जनजातीय कार्य विभाग, ग्रामोद्योग विभाग और पर्यटन विभाग आपसी समन्वय के साथ काम करेंगे।
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पायलट प्रोजेक्ट के बाद अब देवारण्य योजना पूरे प्रदेश में लागू
भोपाल
Published: April 21, 2022 08:02:25 pm
भोपाल. प्रदेश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने एवं उसके माध्यम से किसानों के आर्थिक उन्नयन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू की गई देवारण्य योजना लागू की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर अनुसूचित जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में पारिस्थितिकीय तंत्र के अनुसार अनुकूल क्षेत्रों की पहचान कर पेशेवर तरीके से औषधीय पौधों की खेती की जानी है। इसका क्रियान्वयन मनरेगा के माध्यम से होगा। शुरुआती दौर में यह योजना सतना सहित प्रदेश के पांच जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू की गई थी। सतना में 6 प्रोजेक्ट चिन्हित किए गए थे।
प्रदेश को 11 पादप उत्पादक क्षेत्रों में बांटा
देवारण्य योजना के तहत औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रदेश को 11 विशेष पादप उत्पादक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, जो जलवायु क्षेत्र पर आधारित हैं। सतना जिला कैमूर प्लेटो सतपुड़ा हिल्स जलवायु क्षेत्र में आता है। इसमें सतना के अलावा रीवा, पन्ना, जबलपुर, सिवनी एवं कटनी जिले आते हैं। जो अन्य जलवायु क्षेत्र हैं उनमें छत्तीसगढ़ प्लेन, नार्दन हिल्स रीजन ऑफ छत्तीसगढ़, सेन्ट्रल नर्मदा वैली,विन्ध्या प्लेटो, गिर्द रीजन, बुन्देलखंड, सतपुड़ा प्लेटो, मालवा प्लेटो, निमाड़ प्लेन और झाबुआ, हिल्स शामिल हैँ।
कैमूर प्लेटो में इनकी होगी खेती
कैमूर प्लेटो में आने वाले सतना सहित अन्य जिलों में देवारण्य योजना के तहत जिन औषधीय फसलों की खेती होनी है उनमें अश्वगंधा, कालमेघ ऐलोवेरा, ईसबगोल, तुलसी, सफेद मूसली, स्टीविया, कोलियस, सर्पगंधा एवं निरगुंडी है। इसी तरह से नार्दन हिल््स रीजन ऑफ छत्तीसगढ़ प्लेन में आने वाले सिंगरौली, शहडोल, मंडला, डिंडौरी, अनूपपुर, उमरिया में गुलबकावली, अश्वगंधा, तुलसी शतावरी, अर्जुन, कुटकी, नागरमोधा, लेमनग्रास, भल्लातक, स्टीविया, चंदन एवं गिलोय शामिल हैं।
गठित होगी देवारण्य सेल
देवारण्य योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य व जिला स्तर पर देवारण्य सेल गठित की जाएगी। राज्य स्तरीय सेल गठित हो चुकी है। जिला स्तर पर अब इसे गठित किया जाना है। यह सेल किसानों को औषधीय पौधों की खेती का प्रशिक्षण देना, क्षमता वर्धन सहित उत्पाद विक्रय आदि में मदद करेगी। खेती के लिये किसानों के समूह या कृषक उत्पादक संगठन के रूप में पंजीयन किया जाएगा।
उपलब्ध कराया जाएगा बाजार
बताया गया है कि उत्पादित होने वाले औषधीय फसल के लिये बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के क्रियान्वयन के लिये वन विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग, जनजातीय कार्य विभाग, ग्रामोद्योग विभाग और पर्यटन विभाग आपसी समन्वय के साथ काम करेंगे।
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