प्रतिबंधों से रूस की कमर तोड़ने की तैयारी, भारत के साथ S-400 मिसाइल डील का क्या होगा? h3>
India S-400 Missile Deal with Russia: यूक्रेन पर हमले के बाद रूस (Russia-Ukraine War) को तरह-तरह के प्रतिबंधों (Western Sanctions on Russia) से जकड़ने की कवायद तेज हो गई है। अमेरिका और पश्चिमी देशों ने उस पर कई आर्थिक और राजनयिक प्रतिबंध लगाएं हैं। और कई लगाने का रास्ता बनाया जा रहा है। ऐसे में रूस (Russia) के साथ भारत की एस-400 मिसाइल डील (S-400 Missile Deal) के बारे में चिंता सताने लगी है। आखिर इसका क्या होगा। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, रूस से एस-400 मिसाइल डील के चलते भारत पर भी बैन (S-400 Missile deal can lead India in trouble) लग सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारत के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी।
भारत और रूस ने 2016 में एस-400 मिसाइल सिस्टम की डील साइन की थी। यह सौदा 5.43 अरब डॉलर का है। इस डील के संबंध में अमेरिका ने कई बार प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी थी। यह और बात है कि भारत अपने स्टैंड से टस से मस से नहीं हुआ। पिछले साल रूस ने एस-400 की डिलीवरी भी शुरू कर दी थी।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग का गुरुवार को आठवां दिन है। कुछ जानकार कहते हैं कि यह तीसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर रहा है। रूस को रोकने के लिए अमेरिका, कई पश्चिमी और तमाम एशियाई देशों ने भी कड़े कदम उठाए हैं। भारत ने हमेशा युद्ध से दूरी बनाकर रखी। उसका रुख तटस्थ बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और महासभा (UNGA) दोनों में उसने वोटिंग करने से किनारा किया।
भारत-अमेरिका संबंधों का क्या होगा?
इस बीच एक और सवाल बना हुआ है। वह यह है कि अमेरिका के साथ भारत के संबंधों का क्या होगा। हाल में दोनों देशों के रिश्ते काफी अच्छे हुए हैं। उसके साथ तमाम क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ी है। चीन की आक्रामकता के कारण भी दोनों देश करीब आए हैं। हालांकि, कुछ लोगों के मन में उलझन है कि कहीं रूस के साथ हमारे संबंधों की आंच अमेरिकी रिश्तों पर तो नहीं पड़ेगी।
जहां तक रूस पर प्रतिबंध से भारत पर असर पड़ने का सवाल है तो अभी नहीं लगता कि इससे कुछ फर्क पड़ेगा। भारत के 70 फीसदी से ज्यादा मिलिट्री हार्डवेयर रूस में बनते हैं। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने भरोसा दिया है कि भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की बिना किसी रुकावट के आपूर्ति जारी रहेगी। इसके अलावा अन्य सैन्य स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई भी जारी रहेगी। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद इसमें किसी तरह का फर्क नहीं पड़ेगा।
पचड़े में नहीं पड़ना चाहता भारत
एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत ने रूस के पक्ष में वोट नहीं किया है। अगर वह ऐसा करता तो मतलब कुछ और होता। तब यह बात कही जा सकती थी कि वह हिंसा के पक्ष में है। न्यूट्रल रहकर भारत ने दिखाया है कि इस मुद्दे पर वह संयुक्त राष्ट्र के साथ है।
जानकार भारत के रुख को अलग-अलग तरह से देख रहे हैं। कुछ मानते हैं कि भारत का रुख दिखा रहा है कि उसका किसी पचड़े में पड़ने का कोई इरादा नहीं है। वह सभी के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है और उसकी यही मंशा है। इसका भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं होगा। कारण है कि अमेरिका को भी पता है कि रूस के साथ भारत के रिश्ते बहुत पुराने हैं। अमेरिका के साथ भी हमने उसी तरह के संबंधों को बनाना शुरू किया है।
किसी एक को न चुनने की पॉलिसी ताजा हालात में बहुत अच्छी है। यह भारत को सौदेबाजी के लिए स्पेस देती है। भारत के पास रास्ते खुले हैं। यह बात अमेरिका और रूस को भी भारत के साथ अच्छे संबंध रखने के लिए मजबूर करेगा। वैसे भी यह लड़ाई रूस और यूक्रेन के बीच है। भारत से इसका कोई लेनादेना नहीं है। फिर भला वो क्यों पार्टी बने।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग का गुरुवार को आठवां दिन है। कुछ जानकार कहते हैं कि यह तीसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर रहा है। रूस को रोकने के लिए अमेरिका, कई पश्चिमी और तमाम एशियाई देशों ने भी कड़े कदम उठाए हैं। भारत ने हमेशा युद्ध से दूरी बनाकर रखी। उसका रुख तटस्थ बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और महासभा (UNGA) दोनों में उसने वोटिंग करने से किनारा किया।
भारत-अमेरिका संबंधों का क्या होगा?
इस बीच एक और सवाल बना हुआ है। वह यह है कि अमेरिका के साथ भारत के संबंधों का क्या होगा। हाल में दोनों देशों के रिश्ते काफी अच्छे हुए हैं। उसके साथ तमाम क्षेत्रों में भागीदारी बढ़ी है। चीन की आक्रामकता के कारण भी दोनों देश करीब आए हैं। हालांकि, कुछ लोगों के मन में उलझन है कि कहीं रूस के साथ हमारे संबंधों की आंच अमेरिकी रिश्तों पर तो नहीं पड़ेगी।
जहां तक रूस पर प्रतिबंध से भारत पर असर पड़ने का सवाल है तो अभी नहीं लगता कि इससे कुछ फर्क पड़ेगा। भारत के 70 फीसदी से ज्यादा मिलिट्री हार्डवेयर रूस में बनते हैं। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने भरोसा दिया है कि भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की बिना किसी रुकावट के आपूर्ति जारी रहेगी। इसके अलावा अन्य सैन्य स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई भी जारी रहेगी। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद इसमें किसी तरह का फर्क नहीं पड़ेगा।
पचड़े में नहीं पड़ना चाहता भारत
एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत ने रूस के पक्ष में वोट नहीं किया है। अगर वह ऐसा करता तो मतलब कुछ और होता। तब यह बात कही जा सकती थी कि वह हिंसा के पक्ष में है। न्यूट्रल रहकर भारत ने दिखाया है कि इस मुद्दे पर वह संयुक्त राष्ट्र के साथ है।
जानकार भारत के रुख को अलग-अलग तरह से देख रहे हैं। कुछ मानते हैं कि भारत का रुख दिखा रहा है कि उसका किसी पचड़े में पड़ने का कोई इरादा नहीं है। वह सभी के साथ अच्छे संबंध रखना चाहता है और उसकी यही मंशा है। इसका भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई असर नहीं होगा। कारण है कि अमेरिका को भी पता है कि रूस के साथ भारत के रिश्ते बहुत पुराने हैं। अमेरिका के साथ भी हमने उसी तरह के संबंधों को बनाना शुरू किया है।
किसी एक को न चुनने की पॉलिसी ताजा हालात में बहुत अच्छी है। यह भारत को सौदेबाजी के लिए स्पेस देती है। भारत के पास रास्ते खुले हैं। यह बात अमेरिका और रूस को भी भारत के साथ अच्छे संबंध रखने के लिए मजबूर करेगा। वैसे भी यह लड़ाई रूस और यूक्रेन के बीच है। भारत से इसका कोई लेनादेना नहीं है। फिर भला वो क्यों पार्टी बने।