पोलैंड के रास्ते लौटने की भोजपुर के कृष्णपाल की उम्मीद पर भी लगा ग्रहण h3>
नारायणपुर थाने के वरुणा गांव का कृष्णपाल भी यूक्रेन में फंसा
दर्दभरी दास्तां : सायरन बजते ही छुपना पड़ता है बंकर में
संवाद सूत्र
अगिआंव। भोजपुर के नारायणपुर थाना क्षेत्र के वरुणा गांव का रहने वाला मेडिकल छात्र कृष्णपाल दुर्गध्वज सिंह भी यूक्रेन के लविव सिटी में फंसा है। शुक्रवार को उसने पोलैंड के रास्ते भारत लौटने की उम्मीद जताई थी, लेकिन फिलहाल इस पर भी ग्रहण लग गया है। वर्तमान में इनका परिवार आरा के नाला मोड़ मोहल्ले में रहता है। दादी शांति देवी रोजाना ईश्वर से प्रार्थना कर रही हैं। कहती हैं कि घर का सबसे छोटा बेटा है। इच्छा थी बेटा मेडिकल कर डॉक्टर बने और अब वे लोग केवल उसकी कुशलता की कामना कर रहे हैं। वहीं अन्य परिजन जिला प्रशासन और सरकार से लगातार गुहार लगा रहे हैं। शनिवार की दोपहर 12:56 बजे कृष्णपाल व भोजपुर में रह रहे पिता रणविजय सिंह से मोबाइल कॉन्फ्रेंस के जरिए हिन्दुस्तान की बात हुई। कृष्णपाल ने बताया कि यहां सभी अपने हाल पर हैं। भारतीय दूतावास के अधिकारियों की ओर से कभी-कभार बस यही हिदायत दी जाती है कि बाहर नहीं निकलना है । यह भी कहा जाता है कि किसी दूसरे देश के रास्ते आप हिन्दुस्तान जाना चाहें तो जा सकते हैं। इसके लिए आपको उक्त देश के बॉर्डर तक आना पड़ेगा । भारतीय समयानुसार रात्रि करीब एक बजे छात्रावास के दोस्तों ने एक यात्री बस हायर किया, जो लगभग 65 किलोमीटर दूर पौलेंड के बॉर्डर तक हम सभी को छोड़ने वाली थी। अचानक से उसने तो जाना कैंसिल कर दिया पर उसके अन्य दोस्त उक्त यात्री बस पर सवार होकर पौलेंड के लिए निकल गए । दुर्भाग्य से पौलेंड बॉर्डर के 16 किलोमीटर पहले ही बस वाले ने सभी को उतार दिया। वहां से सभी पैदल यात्रा कर जब बॉर्डर पर पहुंचे तो पौलेंड सैनिकों ने बॉडर में इंट्री देने से मना कर दिया। शुक्र है सभी लोग सुबह छह बजे छात्रावास लौट आये। सभी उड़ाने रद्द हैं। बाहर जाने की मनाही है। खाने की वस्तु भी अब खत्म होने वाली है । मार्केट में खाने की चीजों का स्टॉक नहीं है। एटीएम में पैसे नहीं हैं। ऐसे में न जाने कितने दिन और किस हाल में रहना पड़ेगा? पिछले दो दिनों से मार्केट बंद होने के कारण खाने-पीने का सामान भी अब खत्म होने को है। लविव सिटी के नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के अमूमन सभी छात्र इस पीड़ा से गुजर रहे हैं। हॉस्टल के नौमंजिले भवन में भारतीय छात्रों की संख्या अधिक है। जब भी सायरन बजता है, सभी को तत्काल हॉस्टल छोड़ छात्रावास के नीचे बने बंकर में छिपना पड़ता है। ऐसा वाकया फिलहाल 24 घंटे में कम से कम दो बार या इससे अधिक बार हो रहा है। इधर, यूक्रेन के लगातार बिगड़ते हालात से परिजनों के माथे पर गहरी चिंता की लकीर खिंच गई है।
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नारायणपुर थाने के वरुणा गांव का कृष्णपाल भी यूक्रेन में फंसा
दर्दभरी दास्तां : सायरन बजते ही छुपना पड़ता है बंकर में
संवाद सूत्र
अगिआंव। भोजपुर के नारायणपुर थाना क्षेत्र के वरुणा गांव का रहने वाला मेडिकल छात्र कृष्णपाल दुर्गध्वज सिंह भी यूक्रेन के लविव सिटी में फंसा है। शुक्रवार को उसने पोलैंड के रास्ते भारत लौटने की उम्मीद जताई थी, लेकिन फिलहाल इस पर भी ग्रहण लग गया है। वर्तमान में इनका परिवार आरा के नाला मोड़ मोहल्ले में रहता है। दादी शांति देवी रोजाना ईश्वर से प्रार्थना कर रही हैं। कहती हैं कि घर का सबसे छोटा बेटा है। इच्छा थी बेटा मेडिकल कर डॉक्टर बने और अब वे लोग केवल उसकी कुशलता की कामना कर रहे हैं। वहीं अन्य परिजन जिला प्रशासन और सरकार से लगातार गुहार लगा रहे हैं। शनिवार की दोपहर 12:56 बजे कृष्णपाल व भोजपुर में रह रहे पिता रणविजय सिंह से मोबाइल कॉन्फ्रेंस के जरिए हिन्दुस्तान की बात हुई। कृष्णपाल ने बताया कि यहां सभी अपने हाल पर हैं। भारतीय दूतावास के अधिकारियों की ओर से कभी-कभार बस यही हिदायत दी जाती है कि बाहर नहीं निकलना है । यह भी कहा जाता है कि किसी दूसरे देश के रास्ते आप हिन्दुस्तान जाना चाहें तो जा सकते हैं। इसके लिए आपको उक्त देश के बॉर्डर तक आना पड़ेगा । भारतीय समयानुसार रात्रि करीब एक बजे छात्रावास के दोस्तों ने एक यात्री बस हायर किया, जो लगभग 65 किलोमीटर दूर पौलेंड के बॉर्डर तक हम सभी को छोड़ने वाली थी। अचानक से उसने तो जाना कैंसिल कर दिया पर उसके अन्य दोस्त उक्त यात्री बस पर सवार होकर पौलेंड के लिए निकल गए । दुर्भाग्य से पौलेंड बॉर्डर के 16 किलोमीटर पहले ही बस वाले ने सभी को उतार दिया। वहां से सभी पैदल यात्रा कर जब बॉर्डर पर पहुंचे तो पौलेंड सैनिकों ने बॉडर में इंट्री देने से मना कर दिया। शुक्र है सभी लोग सुबह छह बजे छात्रावास लौट आये। सभी उड़ाने रद्द हैं। बाहर जाने की मनाही है। खाने की वस्तु भी अब खत्म होने वाली है । मार्केट में खाने की चीजों का स्टॉक नहीं है। एटीएम में पैसे नहीं हैं। ऐसे में न जाने कितने दिन और किस हाल में रहना पड़ेगा? पिछले दो दिनों से मार्केट बंद होने के कारण खाने-पीने का सामान भी अब खत्म होने को है। लविव सिटी के नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के अमूमन सभी छात्र इस पीड़ा से गुजर रहे हैं। हॉस्टल के नौमंजिले भवन में भारतीय छात्रों की संख्या अधिक है। जब भी सायरन बजता है, सभी को तत्काल हॉस्टल छोड़ छात्रावास के नीचे बने बंकर में छिपना पड़ता है। ऐसा वाकया फिलहाल 24 घंटे में कम से कम दो बार या इससे अधिक बार हो रहा है। इधर, यूक्रेन के लगातार बिगड़ते हालात से परिजनों के माथे पर गहरी चिंता की लकीर खिंच गई है।