पॉजिटिव स्टोरी- 3 महीने में 7 करोड़ का बिजनेस: जॉब छोड़कर शुरू की कंपनी, 10 कॉलेज के 1500 स्टूडेंट को स्किल्ड किया

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पॉजिटिव स्टोरी- 3 महीने में 7 करोड़ का बिजनेस:  जॉब छोड़कर शुरू की कंपनी, 10 कॉलेज के 1500 स्टूडेंट को स्किल्ड किया

पॉजिटिव स्टोरी- 3 महीने में 7 करोड़ का बिजनेस: जॉब छोड़कर शुरू की कंपनी, 10 कॉलेज के 1500 स्टूडेंट को स्किल्ड किया

दोपहर के एक बज रहे हैं। कोहरे से घिरे नोएडा के एक ऑफिस में मैं हूं। कॉलेज स्टूडेंट को स्किल्ड करने वाली कंपनी ‘स्कॉलर मेरिट’ के फाउंडर सुमित शुक्ला सामने बैठे हैं। उनके टेबल पर कुछ बुकलेट्स रखी हैं।

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सामने किसी आईटी कंपनी की तरह स्टाफ काम कर रहे हैं। सुमित कहते हैं, ‘मैं किसी आईटी सेक्टर से नहीं हूं। MCA का इंटिग्रेटेड कोर्स किया है। हालांकि बचपन से कंप्यूटर में ही दिलचस्पी थी।

हमारे यहां कुछ ऐसे लोग भी काम करते हैं, जिन्हें हमने स्किल्ड भी किया है और अब वे जॉब कर रहे हैं। दरअसल, हमारा काम ही है कॉलेज से पास होने वाले बच्चों को स्किल्ड करके कॉर्पोरेट इंडस्ट्री के लायक बनाना है। अभी तक हम 10 से ज्यादा कॉलेज के 1500 से अधिक स्टूडेंट्स को स्किल्ड कर चुके हैं।

इस जर्नी की शुरुआत 2016 में हुई थी। हालांकि हमने 2022 के बाद इस पर काम करना शुरू किया। इससे पहले तक हम बैंकिंग सेक्टर के लिए काम कर रहे थे। सॉफ्टवेयर बनाते थे।’

सुमित कॉलेज स्टूडेंट्स को स्किल्ड करने वाली कंपनी स्कॉलरमेरिट के फाउंडर हैं।

सॉफ्टवेयर से एजुकेशन सेक्टर में?

‘गॉड गिफ्ट कहिए या मेरा एक्सपीरिएंस। 20 साल बाद किस इंडस्ट्री में क्या होगा, मुझे समझ आ जाता है। साल 2000 के आसपास की बात है। इंदौर से मास्टर करने के बाद मुंबई की एक कंपनी में जॉब लग गई।

करीब 7 साल तक अलग-अलग बैंकों के लिए इंटरनेट बैकिंग के सॉफ्टवेयर डिजाइन किए। इस दौरान विदेश भी गया। 2007 में जब लगा कि यदि मैं किसी दूसरी कंपनी के लिए काम कर सकता हूं, तो फिर खुद के लिए क्यों नहीं।

मैंने खुद की सॉफ्टवेयर बैंकिंग कंपनी शुरू कर दी। यह सिलसिला 2013 तक चलता रहा। इसी दौरान कुछ ऐसे कैंडिडेट्स मेरे पास आए, जिनके पास एकेडमिक डिग्री तो थी, लेकिन उनके पास कॉर्पोरेट की जरूरत के मुताबिक स्किल नहीं थी।

जब हम कॉलेज में प्लेसमेंट के लिए जाते थे और 600-700 बच्चों का ग्रुप बैठता था, उसमें से 10-11 बच्चे ही सिलेक्ट हो पाते थे। जबकि कम-से-कम 30 फीसदी के करीब होना चाहिए।’

मैनेजमेंट के स्टूडेंट से लेकर इंजीनियरिंग और जनरल ऑनर्स के स्टूडेंट्स के लिए सुमित ने अलग-अलग शॉर्ट टर्म कोर्स को डिजाइन किया है।

सुमीत लखनऊ के रहने वाले हैं। कहते हैं, ‘फैमिली में हर कोई सर्विस में ही था। पापा नाबार्ड में थे। अलग-अलग लोकेशन पर उनकी पोस्टिंग होती रहती थी। 12वीं के बाद मैं मध्यप्रदेश के इंदौर आ गया।

इंदौर से ही पूरी पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान कभी सोचा नहीं था कि आगे चलकर बिजनेस करूंगा, लेकिन जब मुंबई की कंपनी में जॉब के लिए गया, तब लगा कि खुद का कुछ करना चाहिए। दिमाग कभी स्थिर नहीं रहता था। कुछ दोस्तों के साथ मिलकर 2007 में हमने कंपनी शुरू करने का प्लान बनाया।

मुंबई से दिल्ली वापस आ गया। बैंकिंग सॉफ्टवेयर कंपनी बनाई। हम जो बड़ी-बड़ी इंडियन बैंकिंग कंपनी की इंटरनेट बैंकिंग सर्विस यूज करते हैं, वो हमने ही डिजाइन की हैं। करीब 9 साल तक ये चलता रहा। उसके बाद मैंने एजुकेशनल कंपनी की शुरुआत की।’

सुमित कॉलेज में जाकर इस कोर्स के बारे में बताते हैं। उनका दावा है कि इससे बच्चे कॉलेज प्लेसमेंट में आसानी से सिलेक्ट हो पाते हैं।

सुमीत मुझे स्किल्ड बेस्ड कुछ कोर्स के बारे में बता रहे हैं।

कहते हैं, ‘इतने सालों तक कॉर्पोरेट सेक्टर में और खुद की कंपनी चलाने के बाद यह पता चल गया था कि कॉर्पोरेट सेक्टर को क्या चाहिए?

कॉलेज के कई ऐसे बच्चे होते हैं, जिनके पास ‌B.Tech, BE की डिग्री होती है, लेकिन अपना इंट्रोडक्शन भी रटा-रटाया ही बताते हैं। इससे निगेटिव इंपैक्ट जाता है और फिर उनका प्लेसमेंट नहीं होता।

हम बच्चों को एक्स्ट्रा स्किल्ड कोर्सेज के साथ-साथ प्रजेंटेशन, नई-नई कंप्यूटर लर्निंग जैसे माइक्रोसॉफ्ट, जावा, वेब डेवलपिंग का कोर्स कराते हैं। यह कोर्स पेड होता है। इसकी फीस 40 हजार से 2 लाख रुपए होती है। ‘

सुमीत कहते हैं, ‘2016 में हमने इस कंपनी की शुरुआत की थी। करीब दो साल तो हमें स्कॉलर मेरिट के कोर्स डिजाइन करने में लग गए। ये समझना जरूरी था कि किस कोर्स के स्टूडेंट को क्या सिखाना है।

इसे हमने कैटेगराइज किया। 2020 में जब हम बिजनेस को स्केल करने की कोशिश कर रहे थे, कोरोना की वजह से सब बंद हो गया। उस वक्त 25 लोगों की टीम थी। 2022 के बाद से हमने फिर से इस बिजनेस शुरू किया है।

अभी तक हम 15 से ज्यादा कॉलेज को ऑनबोर्ड कर चुके हैं। टर्नओवर 10 करोड़ के करीब हो चुका है। अगले एक से दो साल में 100 करोड़ के बिजनेस का टारगेट है।’

सुमित के टीम में अभी 30 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। दावा है कि उनकी कंपनी अगले एक-दो सालों में 50 हजार बच्चों को स्किल्ड करेगी।

सुमीत एक किस्सा बताते हैं। कहते हैं, ‘एक बार हम लोग एक कॉलेज में स्किल्ड प्रोग्राम के लिए गए थे। हमारा भी एक एंट्रेस टेस्ट होता है। जो बच्चा इसे क्वालिफाई करता है, उसे ही हम आगे के प्रोग्राम के लिए एडमिशन देते हैं।

एक बच्चा फेल हो गया। वह रोते हुए मेरे पास आया। कहने लगा कि उसका प्लेसमेंट भी नहीं हुआ है। यदि वह स्किल्ड हो जाता है, तो शायद कोई कंपनी उसे नौकरी दे दे। हमने उसे स्किल्ड किया। आज वह लड़का एक कंपनी में जॉब कर रहा है।

हमारे पास कई कॉर्पोरेट कंपनियां भी आती हैं। उनकी डिमांड होती है कि हम उन्हें स्किल्ड फ्रेशर दें। दरअसल, कोई भी कंपनी नहीं चाहती है कि वह फ्रेशर को हायर करे और फिर उसे शुरुआत में ट्रेनिंग और सैलरी, दोनों दे। इसलिए अब इसकी डिमांड बढ़ रही है।

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‘बचपन में हम लोग गांव में रहते थे, तो पानी की बड़ी किल्लत थी। ऊंट से पानी की ढुलाई होती थी। इसके बदले 50 रुपए देने होते थे। 50 रुपए बचाने के लिए मां पांच किलोमीटर दूर से सिर पर पानी का घड़ा रखकर लाती थीं। गांव से शहर जाने के लिए भी सोचना पड़ता था। गांव में साइकिल भी किसी-किसी के पास होती थी।

दादा-पापा भी यहां से 35 किलोमीटर दूर, दूसरे गांव से पलायन करके आए थे क्योंकि वहां रहने-खाने को भी नहीं था। बहुत गरीबी थी। उस वक्त मेरी उम्र 5 साल थी।’ पढ़िए पूरी खबर

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‘2015-16 की बात है। कॉलेज से माइनिंग इंजीनियरिंग करने के बाद कुछ माइनिंग साइट पर गया, जहां खदानों की खुदाई होती है। वहां देखा कि बड़ी-बड़ी मशीनें काम कर रही हैं।

खदान से माल को मशीन के जरिए उठाया जा रहा है। लोड किया जा रहा है। एक माइनिंग साइट पर कई मशीनें और दर्जनों लोग एक साथ काम कर रहे थे, लेकिन इन सारी चीजों की मॉनिटरिंग एक पेन-पेपर पर हो रही थी।’ पढ़िए पूरी खबर