पूर्व सांसद ने की पुस्तक मेला एक्सटेंड करने मांग की: नकुल नाथ ने लिखा- उचित छूट दी जाएं; छिंदवाड़ा में तीन दिवसीय मेले का समापन – Chhindwara News h3>
तीन दिवसीय पुस्तक मेले का शनिवार को समापन हुआ।
छिंदवाड़ा के एमएलबी स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय पुस्तक मेले को लेकर पूर्व सांसद नकुल नाथ ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अभिभावकों को हो रही परेशानियों पर चिंता जताते हुए पुस्तक मेले के विस्तार और उचित छूट दिए जाने की मांग की। साथ
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पुस्तक मेले में पारदर्शिता और सुविधाओं की कमी
नकुल नाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘x’ पर लिखा कि नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ ही अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए कॉपी, किताबें और ड्रेस खरीदने की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। लेकिन, कुछ निजी स्कूलों द्वारा चुनिंदा बुक डिपो को चिन्हित कर दिया जाता है, जहां किताबों के दाम मनमाने तरीके से वसूले जाते हैं।
हालांकि, इन डिपो में दुकानदार अपनी मनमर्जी के अनुसार कीमतें वसूलते हैं, जिससे अभिभावकों को अनावश्यक आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है! हाल ही में छिंदवाड़ा जिले में अभिभावकों को राहत देने के नाम पर एक पुस्तक मेला आयोजित किया गया है। लेकिन यह मेला केवल 3 दिनों के लिए रखा गया और इस दौरान आधी से अधिक किताबें इस पुस्तक मेले में उपलब्ध ही नहीं हैं।
देखें नकुल नाथ का पोस्ट-
आगे उन्होंने लिखा कि दुकानदारों द्वारा मात्र 5 प्रतिशत की छूट दी जा रही है, जो काफी कम है। जबकि अन्य जिलों में यह पुस्तक मेले 10 से 15 दिनों तक के लिए आयोजित किए जा रहे हैं और वहां 50 प्रतिशत तक की छूट भी दी जा रही है। यह असमानता छिंदवाड़ा के अभिभावकों के लिए अन्यायपूर्ण है।
पुरानी किताबें भी नहीं हो रही स्वीकार, बढ़ रहा वित्तीय बोझ
पूर्व सांसद ने यह भी कहा कि पहले सीनियर बैच के छात्र जूनियर छात्रों को अपनी पुरानी किताबें दे देते थे, लेकिन अब कई स्कूल ऐसा करने से रोक रहे हैं। इससे अभिभावकों पर अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ रहा है।
नकुल नाथ ने कहा कि पुस्तक मेला केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है। उन्होंने मांग की कि-
- पुस्तक मेले का एक्सटेंशन किया जाए।
- बड़े प्रकाशकों को भी इसमें शामिल किया जाए।
- किताबों और कॉपियों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- अभिभावकों को उचित छूट मिले।
प्रशासन ने नहीं दी प्रतिक्रिया, तय समय पर हुआ समापन
पूर्व सांसद द्वारा तीन दिवसीय पुस्तक मेले के समापन के दिन यह मुद्दा उठाया गया, लेकिन जिला प्रशासन इस पर गंभीर नजर नहीं आया। अंततः पुस्तक मेले का समापन निर्धारित समय पर ही कर दिया गया। नकुल नाथ ने शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और न्याय की मांग करते हुए कहा कि हर बच्चे को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलनी चाहिए, ताकि वे भविष्य में देश के विकास में अपना योगदान दे सकें।