पूर्व सभापति संदीप शर्मा के खिलाफ एक और मामला दर्ज: पीड़ित के तीन चेक का किया दुरुपयोग, जांच अधिकारी ने भी नहीं की कार्रवाई – Chittorgarh News

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पूर्व सभापति संदीप शर्मा के खिलाफ एक और मामला दर्ज:  पीड़ित के तीन चेक का किया दुरुपयोग, जांच अधिकारी ने भी नहीं की कार्रवाई – Chittorgarh News

पूर्व सभापति संदीप शर्मा के खिलाफ एक और मामला दर्ज: पीड़ित के तीन चेक का किया दुरुपयोग, जांच अधिकारी ने भी नहीं की कार्रवाई – Chittorgarh News

पूर्व नगर परिषद संदीप शर्मा फिर चर्चाओं में है। दुष्कर्म के आरोप लगने के बाद अब पीड़िता के पति ने संदीप शर्मा, उनकी बहन सहित तीन जनों के खिलाफ फिर से एक मामला दर्ज करवाया है। रिपोर्ट में बताया गया कि पीड़िता द्वारा पहले दर्ज करवाए गए मामलों में समझौत

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संदीप शर्मा ने नगर परिषद में एक टेंडर निकाला था, जिसमें पीड़िता के पति को टेंडर दिया गया। फिर उसमें अपने ही ड्राइवर को डमी कैंडिडेट के रूप में पार्टनर बना दिया। बकाया बिल के लिए तीन चेक सशर्त लिए गए थे। जिसका संदीप शर्मा, उनकी बहन और ड्राइवर ने गलत यूज किया।

दुष्कर्म और हनी ट्रैप का हुआ था पहले मामला दर्ज

सदर थाना क्षेत्र में रहने वाले एक व्यक्ति ने थाने में एक मामला दर्ज किया। मामला पूर्व नगर परिषद सभापति संदीप शर्मा, उनकी बहन स्नेहलता शर्मा और ड्राइवर रतनलाल बैरागी के खिलाफ दर्ज हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित की पत्नी ने साल 2024 में संदीप शर्मा के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करवाया था। उसके बाद से ही आरोपी द्वारा लगातार राजीनामे का दबाव डाला जा रहा है। इसके लिए भी एक मामला दर्ज करवाया गया था। आरोपी संदीप शर्मा ने हाइ कोर्ट से स्टे का ऑर्डर लेकर आए और पीड़ित पक्ष के खिलाफ हनी ट्रैप का मामला दर्ज करवाया। इसकी जांच उदयपुर के डीएसपी गोपाल चंदेल द्वारा की जा रही है।

अपने ही ड्राइवर को डमी बनाकर दे दिया टेंडर

रिपोर्ट में बताया कि इन मामलों के बाद आरोपी संदीप शर्मा, स्नेहलता शर्मा और रतनलाल बैरागी ने मिलीभगत कर अडानी गैस के बिल क्लियर करवाने और कमीशन के रूप में दिए गए चेकों का गलत उपयोग किया गया। पीड़ित के फर्म के नाम के तीन चेक को स्नेहलता के नाम से बैंक में लगा दिया। अकाउंट में रुपए नहीं होने के कारण चेक बाउंस हो गए। बताया गया कि पीड़ित ने नगर परिषद का एक टेंडर लिया था। जिसमें संदीप शर्मा ने अपने ड्राइवर को डमी कैंडिडेट के रूप में पीड़ित का पार्टनर बना दिया। उस समय तीन चेक सशर्त अमानत कमीशन के रूप में लिए गए थे। जब आरोपियों द्वारा लगातार राजीनामा का दबाव डाला गया तो पीड़ित पक्ष ने मना कर दिया। इसके कारण आरोपियों ने इन तीनों चेक में ढाई लाख-ढाई लाख भरकर इसका दुरुपयोग किया। लेकिन पीड़ित ने समझौता ना करके चेक बाउंस की जानकारी जांच अधिकारी को दे दी। जांच अधिकारी ने भी मामले को अनदेखी कर चेक को जब्त करते हुए कोई कार्रवाई नहीं की। इस कारण पीड़ित ने सदर थाने में इसका मामला दर्ज करवाया है।

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