पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को हाईकोर्ट से झटका: कोर्ट ने विभिन्न थानों में दर्ज 19 मामलों को रद्द करने से किया इनकार, 10 दिन में जांच में शामिल होने के निर्देश – Jaipur News

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पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को हाईकोर्ट से झटका:  कोर्ट ने विभिन्न थानों में दर्ज 19 मामलों को रद्द करने से किया इनकार, 10 दिन में जांच में शामिल होने के निर्देश – Jaipur News

पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को हाईकोर्ट से झटका: कोर्ट ने विभिन्न थानों में दर्ज 19 मामलों को रद्द करने से किया इनकार, 10 दिन में जांच में शामिल होने के निर्देश – Jaipur News

राजस्थान हाईकोर्ट से प्रमोद जैन भाया और उनकी पत्नी उर्मिला जैन भाया सहित अन्य लोगों को झटका लगा हैं। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने प्रदेश के अलग-अलग थानों में सभी के खिलाफ दर्ज 19 मुकदमों को रद्द करने से इनकार कर दिया हैं।

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अदालत ने भाया सहित अन्य की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए अदालत के आदेश से अगले 10 दिनों में जांच में शामिल होने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाओं में एफआईआर की निष्पक्ष जांच और उसे रद्द करने की प्रार्थना एक साथ की गई। जो आपस में ही विरोधाभासी और कानूनी रूप से असंगत हैं।

वहीं याचिकाकर्ता ने किसी अधिकारी पर दुर्भावना का भी आरोप नहीं लगाया है। ऐसे में सभी एफआईआर की जांच एक आईपीएस से कराने की प्रार्थना भी नहीं मानी जा सकती हैं।

राजनीतिक द्वेषता के चलते मामले दर्ज कराए गए याचिकाओं में कहा गया कि पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद याचिकाकर्ता, उसके रिश्तेदार और दोस्तों सहित उससे जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ सत्ताधारी पार्टी के प्रभाव से राजनीतिक द्वेषता के चलते डेढ़ दर्जन से अधिक एफआईआर दर्ज कराई गई।

सत्ताधारी दल के सदस्यों और समर्थकों ने याचिकाकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया है। सभी एफआईआर में लगाए गए आरोप अस्पष्ट, बेतुके और व्यावहारिक रूप में असंभव हैं। इन एफआईआर के अधिकांश शिकायतकर्ता सत्तारूढ़ दल के समर्थक हैं।

ऐसे में उन्हें आशंका है कि इन मामलों की जांच निष्पक्ष नहीं होगी। ऐसे में लंबित एफआईआर को रद्द किया जाए। इसके अलावा इन एफआईआर और भविष्य में दर्ज होने वाली एफआईआर की संयुक्त रूप से निष्पक्ष जांच बारां व झालावाड़ जिले के अलावा अन्य जगह पदस्थापित आईपीएस अधिकारी से कराई जाए।

अवैध खनन, फर्जी पट्टा सहित वित्तीय अनियमित्ताएं इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता के हर मामले के तथ्य, अपराध की प्रकृति और शिकायतकर्ता अलग-अलग हैं। इन एफआईआर में अवैध खनन, नगर निगम के फर्जी दस्तावेज, फर्जी पट्टा और वित्तीय अनियमिता सहित गंभीर आरोप हैं।

ऐसे में इनकी संयुक्त रूप से जांच नहीं हो सकती हैं। इसके अलावा अदालत ने पूर्व में अंतरिम आदेश जारी कर याचिकाकर्ताओं पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा था। लेकिन इसके बावजूद याचिकाकर्ता जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। वहीं किसी आरोपी को यह अधिकार नहीं है कि वह मनचाहे अधिकारी से मनचाही दिशा में जांच कराए।

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिकाओं को खारिज करते हुए याचिकाकर्ताओं को 10 दिन में जांच में शामिल होने के निर्देश दिए।

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