पूर्णिया में वक्फ संशोधन बिल के विरोध में प्रदर्शन: बाइक रैली निकालकर जताया विरोध, धरना-प्रदर्शन से दी उग्र आंदोलन की चेतावनी – Purnia News h3>
पूर्णिया के बैसा में वक्फ संशोधन बिल के विरोध में रैली और धरना-प्रदर्शन हुआ। बाइक रैली में हजारों लोग शामिल हुए। प्रदर्शन में शामिल लोगों ने तख्तियां और बैनर लिए सड़क पर उतरकर वक्फ संशोधन बिल के विरोध में घंटों प्रदर्शन किया। बाइक रैली शहर के विभिन्न
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रैली बैसा के बौलान हाट मैदान से शुरू हुई। इसमें अमौर और बैसा के हजारों लोग शामिल हुए। बाइक रैली धर्मबाड़ी, खाड़ी, खपड़ा, चरकपाड़ा, फुलवारी, महनारो गांव होते हुए मजगामा हाट मैदान पहुंचकर सभा में तब्दील हो गई। यहां लोग मैदान में आयोजित धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए। हाथों में तख्तियां और बैनर लिए लोग बिल का विरोध करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए। सरकार से बिल को वापस लेने की मांग की।
रैली और धरने के आयोजनकर्ताओं ने मांग करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन बिल को अविलंब वापस लिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस बिल को वापस नहीं लिया, तो देशभर में व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा। मुस्लिम समाज इस बिल को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेगा।
प्रदर्शन में लोगों को संबोधित करते आयोजक और साथ खड़े AIMIM विधायक अख्तरूल ईमान।
मुसलमानों की धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक पहचान पर हमला
धरने में अमौर से AIMIM के विधायक अख्तरूल ईमान खुद शामिल हुए। धरने को संबोधित करते हुए अमौर विधायक ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों की धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक पहचान पर सीधा हमला है। यह बिल हमारी सामूहिक धरोहरों को सरकारी कब्जे में लेने की साजिश है। वक्फ संपत्तियां केवल इबादतगाह नहीं है बल्कि वे हमारे समाज के गरीब, अनाथ, विधवा और छात्रों की सहायता का माध्यम रही है।
सरकार इन संपत्तियों को छीनकर उनका व्यवसायिक दोहन करना चाहती है। यह न केवल संविधान की आत्मा के खिलाफ है, बल्कि मुसलमानों की अस्मिता के लिए भी खतरा है।
सरकार अल्पसंख्यकों के हितों को कुचलने का प्रयास कर रही
कहा कि इस बिल के जरिए सरकार वक्फ बोर्डों के अधिकार छीनकर उन्हें मात्र एक दिखावटी संस्था बनाना चाहती है। इसमें यह प्रावधान किया गया है, कि सरकार किसी भी वक्फ संपत्ति की जांच और अधिग्रहण कर सकती है, जिससे हमारे धार्मिक और सामाजिक संस्थानों की स्वायत्तता पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
इससे स्पष्ट होता है कि सरकार अल्पसंख्यकों के हितों को कुचलने का प्रयास कर रही है। बिल में वक्फ ट्रिब्यूनल्स की भूमिका सीमित कर दी गई है और विवादों को सामान्य अदालतों में भेजने का प्रावधान लाया गया है, जिससे मामलों के निपटारे में देरी और न्यायिक भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी। साथ ही समुदाय की राय लिए बिना वक्फ संपत्तियों पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी अलोकतांत्रिक बताया गया।