पुरानी मूर्तियों व शिवलिंग में छिपा है प्राचीन श्री राम लला मंदिर नहोरिया बाजार का इतिहास – Jalandhar News h3>
प्राचीन श्री राम लला मंदिर नहोरिया बाजार का इतिहास प्राचीन मूर्तियों व शिवलिंग में छिपा हुआ है। मान्यता है कि यह मंदिर लगभग 250 साल पुराना है। जालंधर में श्री राम नवमी की शोभायात्रा निकालने की असली शुरुआत इसी मंदिर से शुरू हुई थी। प्राचीन श्री राम लल
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पुराने समय में हमारे बुजुर्ग राजस्थान से जालंधर आए थे। उन्होंने बताया कि स्वं. दादा पं. सीता राम ने लगभग 100 साल से ही वह अष्टमी के दिन प्रभु श्री रामचरितमानस का पाठ मंदिर परिसर में रखते थे। धीरे-धीरे धर्म में आस्था बढ़ती गई। उन्होंने चैत्र नवरात्रि के दिन में दुर्गा स्तुति का पाठ, अष्टमी के दिन श्री राम चरित्र मानस का पाठ का आयोजन करते थे। नवमी वाले दिन प्रभु श्री राम जी की पूजा के बाद महानगर से शोभायात्रा भव्य रूप से निकाली जाती थी। उनके बाद उनकी गद्दी उनके पुत्र स्व. पं. नरोत्म पाल शर्मा को मिली थी। उन्होंने धार्मिक विद्या के साथ जुड़ते हुए और धर्म का प्रचार किया। उन्होंने बताया कि दादा परदादा के समय से ही मंदिर का विस्तार हुआ, जिनकी श्रद्धा और विश्वास की बदौलत ही मंदिर का धीरे-धीरे विस्तार होता गया।
लगभग 1990 के बाद प्रभु श्री राम की चौपड़ा परिवार के सहयोग के साथ प्रभु श्री राम की शोभायात्रा भव्य रूप से निकालने शुरू हो गई।
डॉ. हेमंत शर्मा ने बताया कि प्राचीन श्री राम लला मंदिर में आज के समय में गद्दी पर मेरे पिता जी महंत डॉ. राज कुमार शर्मा सेवा कर रहे है। उन्होंने बताया कि हमारे बुजुर्गों बताया करते थे िक ईरान के मुस्लमान कारीगरों ने मंदिर बनाया था। इस अस्थान पर अंग्रेजों के गवर्नर, महाराजा रणजीत सिंह, महाराजा चरणजीत सिंह, महाराजा विक्रमजीत सिंह, जम्मू के राजा, ज्ञानी जैल सिंह, विष्णु कांत शास्त्री व अन्य कई राजे महाराजे यहां पर आएं। इसके अलावा 2005 में रामायण का मुख्य किरदार निभाने वाले अरुण गोविल भी मंदिर परिसर में पहुंचे थे। सन् 2000 में मंदिर का नव निर्माण किया गया और धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण कार्य होता गया।
उन्होंने बताया कि 2024 में अयोध्या में श्री राम जी की वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। इससे राम भक्तों में भारी उत्साह है। क्योंकि प्रभु श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे तो भारतवासी पिछले हजारों साल से ही दिवाली का त्येहार मनाते आ रहे हैं। मंदिर परिसर में 22 जनवरी को सुबह हवन, संकीर्तन, 108 दीपमाला करके इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में मूर्ति राम परिवार, हनुमान जी, शिव परिवार, शिवलिंग, शेरावाली माता, सरस्वती माता, बगलामुखी, साईं दरबार, शनिदेवता, संतोषी माता, वैष्णों माता, विश्वकर्मा आदि देवी देवताओं की मूर्ति विराजमान हैं,जिनकी पूजा की जाएगी ।