पिछले तीन साल से शेखपुरा की एक भी नदी में नहीं बही धार
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पिछले तीन साल से शेखपुरा की एक भी नदी में नहीं बही धार
नदियों में पानी नहीं आने से भू-जलस्तर तेजी से जा रहा नीचे
बिन सिंचाई खेती-बाड़ी पर पड रहा है प्रतिकुल असर
जुलाई में हो रही अच्छी से बारिश से जगी है उम्मीद
फोटो
05 शेखपुरा 01 – सूखी पड़ी शेखपुरा की टाटी नदी।
शेखपुरा, हिन्दुस्तान संवाददाता।
मानसून की दगाबाजी और जरूरत से काफी कम बारिश होने के कारण जिले की सभी पांच नदियां पिछले तीन साल से प्यासी हैं। एक भी नदी में पानी की धार नहीं बही है। पिछले तीन साल से नदियों में पानी नहीं आने के कारण जिला का भू-जलस्तर काफी तेजी से नीचे जा रहा है। वहीं, सभी नहरें भी सूखी पड़ी हैं। इसका प्रतिकुल प्रभाव खेती-बाड़ी पर पड़ रहा है। हालांकि, जुलाई के पांच दिनों से हो रही झमाझम बारिश से नदियों की प्यास बुझने की उम्मीद इसबार जरूर बढ़ी है।
जिला में कौड़िहारी, रतोईयां, टाटी, नाटी और हरोहर नदिया हैं। सभी नदियों का उद्गम स्थल पड़ोस का झारखंड है। तीन साल में बारिश न के बराबर होने के कारण 2022 से ही नदियां सूखी पड़ी हैं। हरोहर नदी का जुड़ाव सीधे गंगा नदी से होने के कारण पिछले साल दो दिनों के लिए गंगा नदी का पानी हरोहर में आया था। परंतु, महज दो दिन के बाद ही पानी फिर वापस गंगा नदी में चला गया। जिले की शेष चार नदियां घाटकुसम्भा में जाकर हरोहर नदी से मिल जाती हैं। नदियों में पानी नहीं आने के कारण जिला का भू-जलस्तर सात से 10 फीट तक नीचे चला गया है। शहरों में तो निजी नलकूल आधे से ज्यादा फेल हो चुके हैं। पीएचईडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रवि प्रकाश ने कहा कि जिला में सबसे खराब स्थिति अरियरी, चेवाड़ा और शेखपुरा के पहाड़ी इलाके का है। इन जगहों पर कहीं-कहीं वाटर लेवल 10 फीट तक नीचे चला गया है।
पानापुर में बराज बनता तो होता फायदा:
जिला को सुखाड़ की मार से बचाने के लिए पिछले एक दशक से घाटकुसुम्भा के पानापुर में हरोहर नदी पर बराज बनाने की मांग की जा रही है। इस मांग की अगुवाई करने वाले राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जीतेंद्र नाथ ने कहा कि एक दशक से आवाज उठायी जा रही है। सरकार को प्रस्ताव भी भेजा गया है। पानापुर में बराज बनता है तो जो पानी हरोहर नदी से गंगा में चला जाता है, उसे रोका जा सकता है। चूकि हरोहर नदी सभी नदियों से जुड़ा है। इसलिए अन्य नदियों को भी बराज बनने से फायदा होगा। साथ ही मछली पालन का बड़ा हब भी बन सकता है।
बरगैन और मिरजाइन नहर में आया पानी:
सकरी नदी से जुड़े बरगैन और मिरजाइन नहर में पानी आने से किसानों के चेहरे खिल उठे है। सिंचाई विभाग के जेई मनोज कुमार दास ने बताया कि जिले की सभी नदियां बरसाती हैं। झारखंड में पिछले तीन साल से अच्छी बारिश नहीं होने के कारण इन नदियों में पानी नहीं आया है। सकरी नदी से जुड़े रहने के कारण कई साल बाद शेखोपुरसराय और बरबीघा को सिंचित करने वाली बरगैन और मिरजाइन नहर में पानी आया है। इन दोनों प्रखंडों के किसानों को फायदा होगा।
चार साल में जिला में हुई बारिश का रिकार्ड :
साल होना चाहिए हुआ
2020 1041.5 713
2021 1041.5 1147.7
2022 1041.5 541.3
2023 1041.5 672.4
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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पिछले तीन साल से शेखपुरा की एक भी नदी में नहीं बही धार
नदियों में पानी नहीं आने से भू-जलस्तर तेजी से जा रहा नीचे
बिन सिंचाई खेती-बाड़ी पर पड रहा है प्रतिकुल असर
जुलाई में हो रही अच्छी से बारिश से जगी है उम्मीद
फोटो
05 शेखपुरा 01 – सूखी पड़ी शेखपुरा की टाटी नदी।
शेखपुरा, हिन्दुस्तान संवाददाता।
मानसून की दगाबाजी और जरूरत से काफी कम बारिश होने के कारण जिले की सभी पांच नदियां पिछले तीन साल से प्यासी हैं। एक भी नदी में पानी की धार नहीं बही है। पिछले तीन साल से नदियों में पानी नहीं आने के कारण जिला का भू-जलस्तर काफी तेजी से नीचे जा रहा है। वहीं, सभी नहरें भी सूखी पड़ी हैं। इसका प्रतिकुल प्रभाव खेती-बाड़ी पर पड़ रहा है। हालांकि, जुलाई के पांच दिनों से हो रही झमाझम बारिश से नदियों की प्यास बुझने की उम्मीद इसबार जरूर बढ़ी है।
जिला में कौड़िहारी, रतोईयां, टाटी, नाटी और हरोहर नदिया हैं। सभी नदियों का उद्गम स्थल पड़ोस का झारखंड है। तीन साल में बारिश न के बराबर होने के कारण 2022 से ही नदियां सूखी पड़ी हैं। हरोहर नदी का जुड़ाव सीधे गंगा नदी से होने के कारण पिछले साल दो दिनों के लिए गंगा नदी का पानी हरोहर में आया था। परंतु, महज दो दिन के बाद ही पानी फिर वापस गंगा नदी में चला गया। जिले की शेष चार नदियां घाटकुसम्भा में जाकर हरोहर नदी से मिल जाती हैं। नदियों में पानी नहीं आने के कारण जिला का भू-जलस्तर सात से 10 फीट तक नीचे चला गया है। शहरों में तो निजी नलकूल आधे से ज्यादा फेल हो चुके हैं। पीएचईडी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रवि प्रकाश ने कहा कि जिला में सबसे खराब स्थिति अरियरी, चेवाड़ा और शेखपुरा के पहाड़ी इलाके का है। इन जगहों पर कहीं-कहीं वाटर लेवल 10 फीट तक नीचे चला गया है।
पानापुर में बराज बनता तो होता फायदा:
जिला को सुखाड़ की मार से बचाने के लिए पिछले एक दशक से घाटकुसुम्भा के पानापुर में हरोहर नदी पर बराज बनाने की मांग की जा रही है। इस मांग की अगुवाई करने वाले राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जीतेंद्र नाथ ने कहा कि एक दशक से आवाज उठायी जा रही है। सरकार को प्रस्ताव भी भेजा गया है। पानापुर में बराज बनता है तो जो पानी हरोहर नदी से गंगा में चला जाता है, उसे रोका जा सकता है। चूकि हरोहर नदी सभी नदियों से जुड़ा है। इसलिए अन्य नदियों को भी बराज बनने से फायदा होगा। साथ ही मछली पालन का बड़ा हब भी बन सकता है।
बरगैन और मिरजाइन नहर में आया पानी:
सकरी नदी से जुड़े बरगैन और मिरजाइन नहर में पानी आने से किसानों के चेहरे खिल उठे है। सिंचाई विभाग के जेई मनोज कुमार दास ने बताया कि जिले की सभी नदियां बरसाती हैं। झारखंड में पिछले तीन साल से अच्छी बारिश नहीं होने के कारण इन नदियों में पानी नहीं आया है। सकरी नदी से जुड़े रहने के कारण कई साल बाद शेखोपुरसराय और बरबीघा को सिंचित करने वाली बरगैन और मिरजाइन नहर में पानी आया है। इन दोनों प्रखंडों के किसानों को फायदा होगा।
चार साल में जिला में हुई बारिश का रिकार्ड :
साल होना चाहिए हुआ
2020 1041.5 713
2021 1041.5 1147.7
2022 1041.5 541.3
2023 1041.5 672.4
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