पिछड़ी जनजातियों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने का प्रयास, जाने पुरी खबर | government will make special desicion for backward tribes for there economically growth | News 4 Social h3>
मध्य प्रदेश सरकार संबंधित जनजातियों के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री ऋण न्याय महा अभियान के तहत 18 जिलों में 201 केंद्र स्थापित करना शुरू करेगी। राज्य में बैगा, सहरिया और भारिया को विशेष जनजाति घोषित किया जा चुका है। वन विभाग के अंतर्गत लघु वनोपज संघ के माध्यम से नए वन धन केन्द्र खोलकर पिछड़ी जनजातियों आर्थिक रूप संपन्न बनाया जाएगा।
11 लाख से ज्यादा संख्या
वन धन केंद्रों में लघु वनोपजों का प्रसंस्करण कर बाजार में अच्छे मूल्यों पर बेचा जाता है। मध्य प्रदेश में बैगा जनजाति की जनसंख्या 63 हजार 47, सहरिया की 5 लाख 78 हजार 557 और भारिया की 33 हजार 517 जनसंख्या जनसंख्या है। यदि परिवार के सभी सदस्य बुजुर्गों और छोटे बच्चों को शामिल कर लिया जाए, तो इनकी कुल संख्या 11 लाख से अधिक हो जाएगी।
राज्य के दतिया में 3, डिंडोरी में 20, गुना में 12, ग्वालियर में 12, कटनी में 2, मंडला में 19, मुरैना में 8, उमरिया में 5, रायसेन में 2, नरसिंहपुर में 5, शहडोल में 31, श्योपुर में 16, शिवपुरी में 15, सीधी में 6, अनूपपुर जिले में 13, अशोकनगर में 4, बालाघाट में 9 और छिंदवाड़ा में 19 वन धन केंद्र खोले जाएंगे। वन धन केंद्र सरकार स्वीकृत करती है और इसके लिए राशि भी उपलब्ध कराती है। राज्य के वन विभाग ने 201 वन धन केंद्र खोलने के प्रस्ताव केंद्र को भेजे हैं। इनमें से 52 केंद्र खोलने को लेकर सरकार ने स्वीकृति दे दी है।
राज्यपाल ने बैठक की
पिछले दिनों राज्यपाल ने जनजातीय समुदायों के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। राजभवन में एक आदिवासी समूह की स्थापना भी की गई। राज्यपाल ने बुधवार को विधानसभा में अपने अभिभाषण में भी इस योजना का जिक्र किया है। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने 29 जनवरी को एक पैनल मीटिंग बुलाई थी। बैठक में वन दान केन्द्रों के लक्ष्यों पर चर्चा की गयी। बैठक के दौरान राज्यपाल को बताया गया कि पेसा नियमों के कार्यान्वयन के संबंध में 20 जिलों में 11 हजार 595 ग्राम सभाओं के 13 हजार 753 फलियों, मजरों, टोलों और बसाहटों तक प्रशिक्षण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
18 जिलों विशेष कर पिछड़े जनजातीय क्षेत्रों में 198 वन धन केंद्र स्थापित करने के लक्ष्य के विरुद्ध 201 केंद्र स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। राज्य के 827 वन ग्रामों में से 793 वन ग्रामों को जिला स्तर पर प्रस्तावित परिवर्तन के लिए सूचना जारी किया गया है। पिछले 10 साल में जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के खिलाफ 14 हजार 256 मामलों में से 10 हजार 80 प्रकरण निराकृत किए गए है।
क्या है वन धन केंद्र
वन धन योजना 14 अप्रैल, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शूरू किया गया एक महत्वपूर्ण पहल है, जो आदिवासी समुदायों की आजीविका में सुधार लाने के लिए शुरू की गई है। इस योजना के माध्यम से, वन-आधारित उत्पादों की मूल्य श्रृंखला विकसित की जाती है और आदिवासी समुदायों को कौशल प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण प्रदान की जाती है ।
इससे क्या-क्या होगा
.जनजातियों के लिए रोजगार उपलब्ध होगा ।
.वन धन योजना का प्रमुख काम आदिवासी लोगों के लिए आजीविका सृजन को लक्षित करना और उन्हें उद्यमियों में बदलना है
.इसके अलावा वनाच्छादित जनजातीय जिलों में वन धन विकास केन्द्रों (VDVK) के स्वामित्व वाले जनजातीय समुदाय को स्थापित करना है।