पिंकफेस्ट में शास्त्रीय संगीत और साहित्यिक चर्चाओं ने मोहा मन: भारतीय कलात्मक और दार्शनिक विरासत को जानने का मौका मिला, साउंड मेडिटेशन की मिली नॉलेज – Jaipur News

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पिंकफेस्ट में शास्त्रीय संगीत और साहित्यिक चर्चाओं ने मोहा मन:  भारतीय कलात्मक और दार्शनिक विरासत को जानने का मौका मिला, साउंड मेडिटेशन की मिली नॉलेज – Jaipur News

पिंकफेस्ट में शास्त्रीय संगीत और साहित्यिक चर्चाओं ने मोहा मन: भारतीय कलात्मक और दार्शनिक विरासत को जानने का मौका मिला, साउंड मेडिटेशन की मिली नॉलेज – Jaipur News

गुलाबी नगरी में जारी ‘जयपुर पिंकफेस्ट’ का दूसरा दिन भी कला, संस्कृति और साहित्य प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव बना।

गुलाबी नगरी में जारी ‘जयपुर पिंकफेस्ट’ का दूसरा दिन भी कला, संस्कृति और साहित्य प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव बना। कला और विचारों के इस महाकुंभ में विद्वानों, कलाकारों और साहित्यकारों ने अपने विचार साझा किए, जिससे श्रोताओं को भारतीय कलात्मक और दार

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फेस्टिवल की शुरुआत ‘नाद योग’ यानी साउंड मेडिटेशन से हुई, जिसके बाद ‘डिजिटल एस्थेटिक: अल्गोरिदम और वर्चुअल वास्तविकता’ विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया।

फेस्टिवल की शुरुआत ‘नाद योग’ यानी साउंड मेडिटेशन से हुई।

इस सत्र में भवानीशंकर शर्मा, तरुण टाक और मुकेश तोंगरिया ने डिजिटल युग में सौंदर्यशास्त्र की नई परिभाषाओं पर चर्चा की। तरुण टाक ने कहा कि हम सौंदर्य को किस रूप में स्वीकार करते हैं, यह हमारे अवलोकन और अनुभव पर निर्भर करता है। इसके बाद ‘कला और संस्कृति का संचयन एवं संरक्षण’ पर चर्चा हुई, जिसमें पंडित तिलक शर्मा ने कहा, “वाद-विवाद और संवाद भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहे हैं और इन्हीं के माध्यम से हम अपनी कलाओं और परंपराओं को संरक्षित कर सकते हैं। इस चर्चा में डॉ. नीकी चतुर्वेदी और एडवोकेट सूर्यप्रताप सिंह भी शामिल रहे।

इस चर्चा में डॉ. नीकी चतुर्वेदी और एडवोकेट सूर्यप्रताप सिंह भी शामिल रहे।

भारतीय साहित्य और कला पर विशेष सत्र

भारतीय वांग्मय और सनातन संस्कृति को समझने के लिए आयोजित सत्र में नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, सुनील शर्मा, प्रो. भरत गुप्त और सिद्ध स्वरूप दास ने भारतीय साहित्य और दर्शन की समृद्ध परंपरा पर विचार साझा किए। इसी कड़ी में, भारतीय ज्ञान परंपरा पर मनीषा कौशिक, डॉ. राजीव जैन, रश्मि जैन और पूरण सिंह के विचार भी श्रोताओं को प्रेरित कर गए।

दूसरे दिन की शाम डागर घराने के कलाकारों की प्रस्तुति से सजी, जिसके बाद उस्ताद साबिर खान ने अपने सारंगी वादन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का समापन ‘ताना-बाना’ कल्चर वॉक के साथ हुआ, जहां उपस्थित लोगों ने जयपुर की सांस्कृतिक धरोहर को नज़दीक से महसूस किया।

पिंकफेस्ट के पहले और दूसरे दिन की अद्भुत प्रस्तुतियों के बाद, तीसरे दिन जयपुरवासी आर्ट एग्जीबिशन, नाट्य और नृत्य प्रस्तुतियों, पुस्तक विमोचन और भारतीय कला शैलियों पर चर्चा सत्रों का आनंद उठाएंगे।

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