पापा को कोई अस्पताल लेने को राजी नहीं था…’ऑक्सिजन लंगर’ से मिली जिंदगी, आंखें भर देंगी ये कहानियां h3>
हाइलाइट्स:
- पिता की रिपोर्ट निगेटिव इसलिए कोई अस्पताल में लेने को नहीं था राजी’
- अस्पतालों में हमसे पहले मरीजों की लाइन लगी हुई थी, बेड उपलब्ध नहीं था
- बिना कोई देर किए सेवादारों ने मरीज को बैठाया और ऑक्सीजन लगा दी
नई दिल्ली
जहां एक तरफ राजधानी दिल्ली में ऑक्सिजन की भारी किल्लत चल रही है, अस्पताल में लोगों को ऑक्सिजन बेड नहीं मिल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में कुछ सिख संस्थाएं ‘ऑक्सीजन लंगर’ लगा रही हैं। दमदमा साहिब, राजौरी गार्डन गुरुद्वारा, सुभाष नगर स्थित फतेह पार्क आदि ऐसी जगह हैं जहां ऑक्सिजन लंगर लगाया गया है और बड़ी संख्या में यहां लोगों को ऑक्सीजन लगाई जा रही है। यहां ऐसे जरूरतमंद लोगों को मदद मिल रही है जिन्हें अलग-अलग अस्पतालों के चक्कर काटने के बावजूद ऑक्सिजन नहीं मिल पा रही है। कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर रहे हैं यह जरूरतमंद लोग जो अस्पतालों अस्पतालों में मदद ना मिलने के बाद यहां पहुंचे हैं।
रिपोर्ट निगेटिव इसलिए कोई अस्पताल में लेने को नहीं था राजी
उत्तम नगर के रहने वाले मयंक बताते हैं कि उनके पिता की तबियत बीते कई दिनों से खराब चल रही है। बुखार, सांस में परेशानी सहित अन्य परेशानियां हो रही हैं। कोविड टेस्ट करवाया तो 26 अप्रैल को रिपोर्ट निगेटिव आई। आरटीपीसीआर और रैपिड एंटीजन, दोनों टेस्ट करवाए और दोनों ने ही निगेटिव बताया लेकिन सांस लेने में लगातार परेशानी बनी हुई थी। ऑक्सीजन लेवल 73 तक पहुंच गया था और कोई भी अस्पताल भर्ती करने को राजी नहीं था। सफदरजंग, दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल सहित कई अन्य अस्पतालों में गए लेकिन उन्होंने कहा कि दोबारा से टेस्ट करवाओ। रिपोर्ट पॉजिटिव होगी तो ही कुछ कर सकेंगे। मयंक ने कहा कि अगर फिर से टेस्ट करवाने जाते तो चार से पांच दिन बाद रिपोर्ट आती और इतने में ना जाने क्या हो जाता।
लगा जैसे धरती पर भगवान उतर आए हों
कोविड अस्पताल से लेकर नॉन कोविड अस्पताल तक में धक्के खाए लेकिन किसी ने भी एडमिट नहीं किया। सारी उम्मीदें लगभग टूट चुकी थीं। दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल से लौटते हुए सुभाष नगर से गुजर रहे थे तो देखा कि ऑक्सीजन लंगर लगा हुआ है। तुरंत यहां रूके और ऑक्सिजन लंगर की सेवा कर रहे लोगों से बात की तो उन्होंने पिता को जल्दी से बेड पर लेटाया और ऑक्सीजन लगा दिया। ऐसा लग रहा था मानों भगवान खुद धरती पर उतर कर आए और हमारी मदद की। यहां ऑक्सीजन लगवाने के बाद पिता का ऑक्सीजन लेवल कुछ बेहतर होना शुरू हुआ। यदि हमें यह ऑक्सीजन लंगर ना मिलता तो शायद कुछ बड़ी घटना हो सकती थी।
‘मरीज को लेकर दर-दर भटके, यहां मिली मदद’
कीर्ति नगर में रहने वाले शिवशंकर महतो का कहना है कि उनकी पत्नी की तबियत काफी दिन से खराब चल रही थी और टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। शुरुआत में सांस की परेशानी नहीं हुई लेकिन मंगलवार रात से सांस लेने में समस्या होने लगी और बुधवार सुबह तक परेशानी बढ़ती गई। ऑक्सिजन लेवल काफी नीचे आ गया था। उसके बाद अस्पताल लेकर गए लेकिन अस्पतालों में हमसे पहले मरीजों की लाइन लगी हुई थी और अस्पताल वालों का कहना था कि उनके पास बेड उपलब्ध नहीं है इसलिए वह मरीज को भर्ती नहीं कर सकते। जहां-जहां से जानकारी मिली, वहां-वहां लेकर चले गए लेकिन कहीं भी कोई सहायता नहीं मिली। ऊपर से इतने पैसे भी नहीं थे कि किसी प्राइवेट अस्पताल लेकर जाऊं।
मदद देखकर आंखों में आंसू आ गए
प्राइवेट अस्पताल भी ले जाता तो वहां भी बेड उपलब्ध नहीं थे। बुधवार सुबह से दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में दौड़े लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लगी और तबियत ज्यादा ही खराब होती जा रही थी। बेटा सुभाष नगर में ही काम करता है और उसे जानकारी मिली कि यहां आज से ऑक्सीजन लंगर लगाया जा रहा है। जैसे ही जानकारी मिली तो हम यहां के लिए दौड़ पड़े। यहां पहुंचे तो वाकई लोगों को ऑक्सिजन का लंगर दिया जा रहा था। यहां पहुंचने पर सेवा कर रहे लोगों ने मरीज को देखा और तुरंत ऑक्सिजन लगा दी। किसी तरह की परेशानी भी नहीं हुई। यह देखकर आंखों में आंसू आ गए कि इस मुश्किल घड़ी में यह लोग किस तरह से मरीजों की मदद कर रहे हैं और वह भी बिना कोई पैसा लिए।
यहां वहां भटके नहीं मिली मदद
मनप्रीत सिंह बताते हैं कि वह भोगल में ही रहते हैं। कल देर रात उनके किरायेदार को सांस से संबंधित परेशानी होने लगी थी। वह मूलरूप से अफगानिस्तान के रहने वाले हैं। पहले किरायेदार यहां-वहां संपर्क करते रहे और अस्पताल भी गए लेकिन वहां उन्हें कोई मदद नहीं मिली। मुझे जानकारी मिली कि किरायेदार की तबियत खराब है और सांस लेने में परेशानी हो रही है। चूंकि हमारे इलाके में ही ‘हम चाकर गोबिंद के’ सेवक जत्था की ओर से ऑक्सिजन लंगर लगाया गया था इसलिए मुझे इसकी जानकारी थी। किसी अस्पताल में भागने की बजाय हम तुरंत ऑक्सीजन लंगर में पहुंचे।
बिना देर किए लगा दी ऑक्सिजन
सेवा कर रहे लोगों को बताया कि मरीज को सांस लेने में समस्या हो रही है और ऑक्सीजन लेवल कम होता जा रहा है। बिना कोई देर किए सेवादारों ने मरीज को बैठाया और ऑक्सिजन लगा दी। कुछ घंटे ऑक्सीजन लगी रही और धीरे-धीरे सांस की समस्या ठीक होती गई। अब मरीज की स्थिति काफी हद तक ठीक है। जो लोग ऑक्सीजन की मदद कर रहे हैं, वह किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। जहां लोग इस मुश्किल हालात में भी पैसा कमाने के बारे में सोच रहे हैं, ब्लैक मार्केटिंग कर रहे हैं और मरीजों को लूट रहे हैं, वहीं सिख लोगों की सेवा कर रहे हैं। तमाम जगह पर ऑक्सिजन लंगर लगाए गए हैं, बीमार लोगों के घर तक खाना पहुंचाया जा रहा है। यहां तक की दवाएं भी लोगों को मुहैया करवाई जा रही हैं।
कहां-कहां सिख कौम दे रही है लोगों को ऑक्सिजन की मदद
- गुरुद्वारा दमदमा साहिब में ‘हम चाकर गोबिंद के’ सेवक जत्था लोगों को ऑक्सिजन की सुविधा दे रहा है।
- राजौरी गार्डन गुरुद्वारे से जरूरतमंद लोग ऑक्सीजन सिलेंडर ले जा सकते हैं। यहां आपको सिलेंडर की सिक्योरिटी के तौर पर कुछ पैसा देना होगा। सुभाष नगर, पैसिफक मॉल के सामने पार्क में ‘अकाल पुरख की फौज’ सेवक जत्था और ‘वॉयस ऑफ वायसलेस’ की तरफ से ऑक्सिजन लंगर लगाया गया है।
इस मुश्किल घड़ी में ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद की है कोशिश
वेस्ट दिल्ली के सुभाष नगर पैसिफिक मॉल के सामने फतेह दिवस पार्क में ‘अकाल पुरख की फौज’ सेवक जत्था और ‘वॉयस ऑफ वायसलेस’ की ओर से लगाए गए ऑक्सीजन लंगर के ऑर्गनाइजर मनमीत सिंह का कहना है कि हमारी कोशिश है कि इस मुश्किल घड़ी में जितने ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद हो सके, उतने लोगों की हम मदद कर सकें। यहां करीब 40 लोगों के बेड की व्यवस्था की जा रही है। लोग अपनी कार में बैठकर भी ऑक्सिजन लगवा सकते हैं। एक व्यक्ति को दो से ढाई घंटे तक हम ऑक्सीजन लगा रहे हैं। इतनी देर में व्यक्ति अपना कुछ और भी अरेंजमेंट कर लें ताकि यहां ज्यादा लोगों को मदद मिल सके।
हमारी कोशिश किसी को ना हो परेशानी
दमदमा साहिब गुरुद्वारे में ऑक्सीजन लंगर ‘हम चाकर गोबिंद के’ सेवक जत्था की ओर से लगाया गया है। इस लंगर को जसमीत सिंह खालसा और अजीत सिंह लीड कर रहे हैं। पहले यह लंगर भोगल में लगाया गया था लेकिन रेजिडेंशियल एरिया होने की वजह से वहां से शिफ्ट करके दमदमा साहिब गुरुद्वारे में यह लंगर लगाया जा रहा है। जसमीत सिंह खालसा का कहना है कि सिख हमेशा जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे रहे हैं और इस मुश्किल घड़ी में भी आगे हैं। वहीं ऑक्सीजन लंगर में सेवक करन सिंह का कहना है कि हमारी कोशिश यही है कि किसी को भी ऑक्सिजन से संबंधित परेशानी ना हो। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सकें।
मयंक(बाएं से पहले), शिवशंकर महतो (बीच में) और मनप्रीत सिंह।
हाइलाइट्स:
- पिता की रिपोर्ट निगेटिव इसलिए कोई अस्पताल में लेने को नहीं था राजी’
- अस्पतालों में हमसे पहले मरीजों की लाइन लगी हुई थी, बेड उपलब्ध नहीं था
- बिना कोई देर किए सेवादारों ने मरीज को बैठाया और ऑक्सीजन लगा दी
जहां एक तरफ राजधानी दिल्ली में ऑक्सिजन की भारी किल्लत चल रही है, अस्पताल में लोगों को ऑक्सिजन बेड नहीं मिल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में कुछ सिख संस्थाएं ‘ऑक्सीजन लंगर’ लगा रही हैं। दमदमा साहिब, राजौरी गार्डन गुरुद्वारा, सुभाष नगर स्थित फतेह पार्क आदि ऐसी जगह हैं जहां ऑक्सिजन लंगर लगाया गया है और बड़ी संख्या में यहां लोगों को ऑक्सीजन लगाई जा रही है। यहां ऐसे जरूरतमंद लोगों को मदद मिल रही है जिन्हें अलग-अलग अस्पतालों के चक्कर काटने के बावजूद ऑक्सिजन नहीं मिल पा रही है। कुछ ऐसी ही कहानी बयां कर रहे हैं यह जरूरतमंद लोग जो अस्पतालों अस्पतालों में मदद ना मिलने के बाद यहां पहुंचे हैं।
रिपोर्ट निगेटिव इसलिए कोई अस्पताल में लेने को नहीं था राजी
उत्तम नगर के रहने वाले मयंक बताते हैं कि उनके पिता की तबियत बीते कई दिनों से खराब चल रही है। बुखार, सांस में परेशानी सहित अन्य परेशानियां हो रही हैं। कोविड टेस्ट करवाया तो 26 अप्रैल को रिपोर्ट निगेटिव आई। आरटीपीसीआर और रैपिड एंटीजन, दोनों टेस्ट करवाए और दोनों ने ही निगेटिव बताया लेकिन सांस लेने में लगातार परेशानी बनी हुई थी। ऑक्सीजन लेवल 73 तक पहुंच गया था और कोई भी अस्पताल भर्ती करने को राजी नहीं था। सफदरजंग, दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल सहित कई अन्य अस्पतालों में गए लेकिन उन्होंने कहा कि दोबारा से टेस्ट करवाओ। रिपोर्ट पॉजिटिव होगी तो ही कुछ कर सकेंगे। मयंक ने कहा कि अगर फिर से टेस्ट करवाने जाते तो चार से पांच दिन बाद रिपोर्ट आती और इतने में ना जाने क्या हो जाता।
लगा जैसे धरती पर भगवान उतर आए हों
कोविड अस्पताल से लेकर नॉन कोविड अस्पताल तक में धक्के खाए लेकिन किसी ने भी एडमिट नहीं किया। सारी उम्मीदें लगभग टूट चुकी थीं। दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल से लौटते हुए सुभाष नगर से गुजर रहे थे तो देखा कि ऑक्सीजन लंगर लगा हुआ है। तुरंत यहां रूके और ऑक्सिजन लंगर की सेवा कर रहे लोगों से बात की तो उन्होंने पिता को जल्दी से बेड पर लेटाया और ऑक्सीजन लगा दिया। ऐसा लग रहा था मानों भगवान खुद धरती पर उतर कर आए और हमारी मदद की। यहां ऑक्सीजन लगवाने के बाद पिता का ऑक्सीजन लेवल कुछ बेहतर होना शुरू हुआ। यदि हमें यह ऑक्सीजन लंगर ना मिलता तो शायद कुछ बड़ी घटना हो सकती थी।
‘मरीज को लेकर दर-दर भटके, यहां मिली मदद’
कीर्ति नगर में रहने वाले शिवशंकर महतो का कहना है कि उनकी पत्नी की तबियत काफी दिन से खराब चल रही थी और टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। शुरुआत में सांस की परेशानी नहीं हुई लेकिन मंगलवार रात से सांस लेने में समस्या होने लगी और बुधवार सुबह तक परेशानी बढ़ती गई। ऑक्सिजन लेवल काफी नीचे आ गया था। उसके बाद अस्पताल लेकर गए लेकिन अस्पतालों में हमसे पहले मरीजों की लाइन लगी हुई थी और अस्पताल वालों का कहना था कि उनके पास बेड उपलब्ध नहीं है इसलिए वह मरीज को भर्ती नहीं कर सकते। जहां-जहां से जानकारी मिली, वहां-वहां लेकर चले गए लेकिन कहीं भी कोई सहायता नहीं मिली। ऊपर से इतने पैसे भी नहीं थे कि किसी प्राइवेट अस्पताल लेकर जाऊं।
मदद देखकर आंखों में आंसू आ गए
प्राइवेट अस्पताल भी ले जाता तो वहां भी बेड उपलब्ध नहीं थे। बुधवार सुबह से दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में दौड़े लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लगी और तबियत ज्यादा ही खराब होती जा रही थी। बेटा सुभाष नगर में ही काम करता है और उसे जानकारी मिली कि यहां आज से ऑक्सीजन लंगर लगाया जा रहा है। जैसे ही जानकारी मिली तो हम यहां के लिए दौड़ पड़े। यहां पहुंचे तो वाकई लोगों को ऑक्सिजन का लंगर दिया जा रहा था। यहां पहुंचने पर सेवा कर रहे लोगों ने मरीज को देखा और तुरंत ऑक्सिजन लगा दी। किसी तरह की परेशानी भी नहीं हुई। यह देखकर आंखों में आंसू आ गए कि इस मुश्किल घड़ी में यह लोग किस तरह से मरीजों की मदद कर रहे हैं और वह भी बिना कोई पैसा लिए।
यहां वहां भटके नहीं मिली मदद
मनप्रीत सिंह बताते हैं कि वह भोगल में ही रहते हैं। कल देर रात उनके किरायेदार को सांस से संबंधित परेशानी होने लगी थी। वह मूलरूप से अफगानिस्तान के रहने वाले हैं। पहले किरायेदार यहां-वहां संपर्क करते रहे और अस्पताल भी गए लेकिन वहां उन्हें कोई मदद नहीं मिली। मुझे जानकारी मिली कि किरायेदार की तबियत खराब है और सांस लेने में परेशानी हो रही है। चूंकि हमारे इलाके में ही ‘हम चाकर गोबिंद के’ सेवक जत्था की ओर से ऑक्सिजन लंगर लगाया गया था इसलिए मुझे इसकी जानकारी थी। किसी अस्पताल में भागने की बजाय हम तुरंत ऑक्सीजन लंगर में पहुंचे।
बिना देर किए लगा दी ऑक्सिजन
सेवा कर रहे लोगों को बताया कि मरीज को सांस लेने में समस्या हो रही है और ऑक्सीजन लेवल कम होता जा रहा है। बिना कोई देर किए सेवादारों ने मरीज को बैठाया और ऑक्सिजन लगा दी। कुछ घंटे ऑक्सीजन लगी रही और धीरे-धीरे सांस की समस्या ठीक होती गई। अब मरीज की स्थिति काफी हद तक ठीक है। जो लोग ऑक्सीजन की मदद कर रहे हैं, वह किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं। जहां लोग इस मुश्किल हालात में भी पैसा कमाने के बारे में सोच रहे हैं, ब्लैक मार्केटिंग कर रहे हैं और मरीजों को लूट रहे हैं, वहीं सिख लोगों की सेवा कर रहे हैं। तमाम जगह पर ऑक्सिजन लंगर लगाए गए हैं, बीमार लोगों के घर तक खाना पहुंचाया जा रहा है। यहां तक की दवाएं भी लोगों को मुहैया करवाई जा रही हैं।
कहां-कहां सिख कौम दे रही है लोगों को ऑक्सिजन की मदद
- गुरुद्वारा दमदमा साहिब में ‘हम चाकर गोबिंद के’ सेवक जत्था लोगों को ऑक्सिजन की सुविधा दे रहा है।
- राजौरी गार्डन गुरुद्वारे से जरूरतमंद लोग ऑक्सीजन सिलेंडर ले जा सकते हैं। यहां आपको सिलेंडर की सिक्योरिटी के तौर पर कुछ पैसा देना होगा। सुभाष नगर, पैसिफक मॉल के सामने पार्क में ‘अकाल पुरख की फौज’ सेवक जत्था और ‘वॉयस ऑफ वायसलेस’ की तरफ से ऑक्सिजन लंगर लगाया गया है।
इस मुश्किल घड़ी में ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद की है कोशिश
वेस्ट दिल्ली के सुभाष नगर पैसिफिक मॉल के सामने फतेह दिवस पार्क में ‘अकाल पुरख की फौज’ सेवक जत्था और ‘वॉयस ऑफ वायसलेस’ की ओर से लगाए गए ऑक्सीजन लंगर के ऑर्गनाइजर मनमीत सिंह का कहना है कि हमारी कोशिश है कि इस मुश्किल घड़ी में जितने ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद हो सके, उतने लोगों की हम मदद कर सकें। यहां करीब 40 लोगों के बेड की व्यवस्था की जा रही है। लोग अपनी कार में बैठकर भी ऑक्सिजन लगवा सकते हैं। एक व्यक्ति को दो से ढाई घंटे तक हम ऑक्सीजन लगा रहे हैं। इतनी देर में व्यक्ति अपना कुछ और भी अरेंजमेंट कर लें ताकि यहां ज्यादा लोगों को मदद मिल सके।
हमारी कोशिश किसी को ना हो परेशानी
दमदमा साहिब गुरुद्वारे में ऑक्सीजन लंगर ‘हम चाकर गोबिंद के’ सेवक जत्था की ओर से लगाया गया है। इस लंगर को जसमीत सिंह खालसा और अजीत सिंह लीड कर रहे हैं। पहले यह लंगर भोगल में लगाया गया था लेकिन रेजिडेंशियल एरिया होने की वजह से वहां से शिफ्ट करके दमदमा साहिब गुरुद्वारे में यह लंगर लगाया जा रहा है। जसमीत सिंह खालसा का कहना है कि सिख हमेशा जरूरतमंदों की मदद करने के लिए आगे रहे हैं और इस मुश्किल घड़ी में भी आगे हैं। वहीं ऑक्सीजन लंगर में सेवक करन सिंह का कहना है कि हमारी कोशिश यही है कि किसी को भी ऑक्सिजन से संबंधित परेशानी ना हो। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद कर सकें।
मयंक(बाएं से पहले), शिवशंकर महतो (बीच में) और मनप्रीत सिंह।