पानी को तरस रहा MP का ये गांव… जिसके चलते यहां नहीं हो रही लड़कों की शादी, चट्टानों के रिसते पानी से बुझ रही प्यास h3>
कटनी : एमपी के कई जिलों पानी को को लेकर त्राहि-त्राहि (madhya pradesh village facing water problem) है। प्यास बुझाने के लिए लोगों को हर दिन घंटों जतन करना पड़ा रहा है। बूंद-बूंद पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करते हैं। एमपी के कटनी जिले स्थित एक गांव का हाल भी कुछ ऐसा हैं। इस गांव के लोग चट्टानों की खाई से रिसने वाली एक-एक बूंद को एकत्रित कर गुजारा (katni village water crisis) करने को मजबूर हैं। चट्टानों के बीच नीचे उतरकर दूर से पानी ढोने का काम ये लोग कई पीढ़ियों से करने को मजबूर हैं। पानी की समस्या से लोग इस गांव में अपनी बेटी को ब्याहने से भी परहेज करते हैं।
कटनी जिले से महज 65 किलोमीटर दूर बहोरीबंद के रीठी का खुसरा गांव है। यहां सदियों से पानी की समस्या से लोग जूझ रहे है। खुसरा गांव में खाई नुमा चट्टानों के बीच एक महादेव मंदिर बना हुआ है, जहां चट्टानों से रिसने वाले एक-एक बूंद पानी को एकत्रित कर गांव के लोग गुजर बसर करते हैं। गांव की महिलाएं और बच्चे दूर से पानी ढोने का काम पीढ़ियों से कर रहे है।
खुसरा गांव की बुजर्ग महिला रातरानी ने बताया कि 70 साल पहले जब वह इस खुसरा गांव में शादी कर आई है , तब से वह इसी महादेव मंदिर के नीचे बने खाई के पहाड़ से एक-एक बूंद रिस रहे पानी को एकत्रित कर अपना गुजारा कर रही हैं। बर्तनों में पानी भरकर पहाड़ चढ़ती हैं, तब घर पहुंचती हैं। अब तो उनके लड़के बच्चे भी बड़े हो गए हैं और वह अपनी बहुओं के साथ आज भी इसी खाई में पहाड़ से रिसने वाले पानी को भर रही हैं।
बुजुर्ग महिला रातरानी ने यह भी बताया कि गर्मी के दिनों में तो जंगली खूंखार जानवर तक पानी की तलाश में आ जाते हैं लेकिन आज तक ग्राम के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। गांव वालों का कहना है कि ग्राम के कई युवा ऐसे हैं, जिनकी शादी इस पानी की समस्या के चलते नहीं हुई है, इस गांव में कोई अपनी बहन-बेटी देना पसंद नहीं करता। शादी के लिए अब तो उनके लिए रिश्ते तक आना बंद हो गए हैं।
खुसरा गांव के युवा मदन सिंह और उनके अन्य साथियों ने बताया कि वे बचपन से देखते आ रहे हैं, उनका पूरा परिवार महादेव की खाई के पहाड़ों से रिसने वाले पानी को एकत्रित कर पहाड़ चढ़ पानी ला रहे हैं। पानी की परेशानी से गांव के कई युवा कुंवारे बैठे हैं। ग्राम सरपंच से कई बार शिकायत कर चुके है, गांव में पचासों बोर भी हुए लेकिन उनमें से पानी नहीं निकला।
ग्राम खुसरा के सरपंच से जब पानी की विकराल समस्या के बारे में पूछा गया तो कहा कि मैंने पीएचई विभाग से कई शिकायत कर पचासों बोर कराए। उन बोरों से कभी पानी नहीं निकला। जंगल के बाहर से पानी लाने के लिए एक ही टैंकर है, जिससे पानी लाकर पांच गांव को पानी सप्लाई कराई जा रही जो पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि खुसरा गांव के लोगों को जंगल स्थित खाई के नीचे जाकर एक-एक बूंद पानी एकत्रित कर पहाड़ी चढ़ पानी लाना पड़ रहा है।
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कटनी जिले से महज 65 किलोमीटर दूर बहोरीबंद के रीठी का खुसरा गांव है। यहां सदियों से पानी की समस्या से लोग जूझ रहे है। खुसरा गांव में खाई नुमा चट्टानों के बीच एक महादेव मंदिर बना हुआ है, जहां चट्टानों से रिसने वाले एक-एक बूंद पानी को एकत्रित कर गांव के लोग गुजर बसर करते हैं। गांव की महिलाएं और बच्चे दूर से पानी ढोने का काम पीढ़ियों से कर रहे है।
खुसरा गांव की बुजर्ग महिला रातरानी ने बताया कि 70 साल पहले जब वह इस खुसरा गांव में शादी कर आई है , तब से वह इसी महादेव मंदिर के नीचे बने खाई के पहाड़ से एक-एक बूंद रिस रहे पानी को एकत्रित कर अपना गुजारा कर रही हैं। बर्तनों में पानी भरकर पहाड़ चढ़ती हैं, तब घर पहुंचती हैं। अब तो उनके लड़के बच्चे भी बड़े हो गए हैं और वह अपनी बहुओं के साथ आज भी इसी खाई में पहाड़ से रिसने वाले पानी को भर रही हैं।
बुजुर्ग महिला रातरानी ने यह भी बताया कि गर्मी के दिनों में तो जंगली खूंखार जानवर तक पानी की तलाश में आ जाते हैं लेकिन आज तक ग्राम के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। गांव वालों का कहना है कि ग्राम के कई युवा ऐसे हैं, जिनकी शादी इस पानी की समस्या के चलते नहीं हुई है, इस गांव में कोई अपनी बहन-बेटी देना पसंद नहीं करता। शादी के लिए अब तो उनके लिए रिश्ते तक आना बंद हो गए हैं।
खुसरा गांव के युवा मदन सिंह और उनके अन्य साथियों ने बताया कि वे बचपन से देखते आ रहे हैं, उनका पूरा परिवार महादेव की खाई के पहाड़ों से रिसने वाले पानी को एकत्रित कर पहाड़ चढ़ पानी ला रहे हैं। पानी की परेशानी से गांव के कई युवा कुंवारे बैठे हैं। ग्राम सरपंच से कई बार शिकायत कर चुके है, गांव में पचासों बोर भी हुए लेकिन उनमें से पानी नहीं निकला।
ग्राम खुसरा के सरपंच से जब पानी की विकराल समस्या के बारे में पूछा गया तो कहा कि मैंने पीएचई विभाग से कई शिकायत कर पचासों बोर कराए। उन बोरों से कभी पानी नहीं निकला। जंगल के बाहर से पानी लाने के लिए एक ही टैंकर है, जिससे पानी लाकर पांच गांव को पानी सप्लाई कराई जा रही जो पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि खुसरा गांव के लोगों को जंगल स्थित खाई के नीचे जाकर एक-एक बूंद पानी एकत्रित कर पहाड़ी चढ़ पानी लाना पड़ रहा है।