पाकिस्तान और दुबई में पसंद की जाती हैं बनारसी सेवईं: ईद पर खूब फलता-फूलता है हिंदू भाइयों के पीढ़ियों का व्यापार, रोजाना बन रहा 700 कुंतल माल – Varanasi News h3>
वाराणसी की सेवईं से होगा ईद पर पाकिस्तान और सऊदी अरब में मेहमानों का मुंह मीठा।
‘हमारी तीसरी पीढ़ी है जो सेवईं के काम में लगी है। वाराणसी की सेवईं मंडी बनारस के साथ ही पूरे देश को सेवईं खिलाती है। इसके अलावा हमारे महाराष्ट्र के ग्राहक ये सेवईयां पकिस्तान, सऊदी, दुबई और बांग्लादेश तक पहुंचाते हैं। ईद पर बनारसी सेवईं के बिना त्योहा
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ये कहना है वाराणसी सेवईं गृह उद्योग व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष और सेवईं के थोक विक्रेता सच्चे लाला अग्रहरि का। सच्चे लाल का मकान और कारखाना काशी की प्रसिद्ध सेवईं मंडी में हैं। जहां से पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में सेवईं की सप्लाई होती है। यह सेवईं हिंदू भाई आस्था और पवित्रता के साथ बनाते हैं।
ऐसे में दैनिक NEWS4SOCIALने वाराणसी की प्रसिद्ध सेवईं मंडी की पड़ताल की। साथ ही यहां सेवईं बनने के प्रोसेस के बारे में जाना। इस दौरान हमने यहां के कारीगरों से सेंवईं की खासियत की भी बात की। पेश है खास रिपोर्ट…
सबसे पहले जानते हैं सेवईं कैसे बनती है और सच्चे लाल अग्रहरि कितनी पीढ़ियों से इसे बना रहे है ?
तीन पीढ़ियों से सेवईं का कारोबार वाराणसी का भदऊ चुंगी इलाका सेवईं मंडी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां 70 मकानों में कारखाने हैं। जिनमे काशी की प्रसिद्ध सेवईं बनाई जाती है। हमने इस सेवईं मंडी के व्यापारी और व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष सच्चे लाल मौर्या से बात की।
उन्होंने बताया- 3 पीढ़ियों से हमारा परिवार सेवईं, दूधफेनी और भुनी सेवईं का व्यापार कर रहा है। साल भर हमारे यहां सेवईं बनती है। लेकिन ईद की तैयारी इस्लामिक कैलेन्डर रजब के महीने से शुरू हो जाती है।
हिंदू भाइयों की गद्दी, कारीगर दोनों समुदाय के सच्चे लाल अग्रहरि ने बताया- इस मंडी में कोई भी मुस्लिम व्यक्ति का कारखाना नहीं है। सिर्फ हिंदू भाई ही इस कार्य को कर रहे हैं।
जो अपने आप में एक पैगाम है देश के लिए। कारीगर दोनों समुदाय के हैं जो यहां काम कर रहे हैं। सभी लोग पूरी पवित्रता और साफ-सफाई का ध्यान रखते हुए सेवईं का निर्माण करते हैं।
आम दिनों में 4 कुंतल और ईद पर 9 से 10 कुंतल रोज सचिन कुमार अग्रहरि ने बताया- आम दिनों में सेवईं 4 कुंतल ही बनती है एक दिन में वो सभी तरह की मिलाकर। लेकिन ईद पर रोजाना 700 कुंतल तक पूरी मंडी में सेवईं बनती है।
इसमें मौसम का साथ जरूरी होता है। बारिश में थोड़ी दिक्कत होती है पर उसके बाद हर मौसम में हमें आसानी होती है। सेवईं बनाने में।
मायदा और पानी से बनती है सेवईं सचिन बताते हैं – सेवईं बनाने में कोई राकेट साइंस नहीं है। इसमें मायदे और पानी का ही इस्तेमाल होता है। उसे सानकर तय समय तक रखा जाता है। फिर डाई में डाला जाता है जो मकान के सबसे आखरी तल पर लगी होती है।
वहां से यह सेवईं दूसरे तल पर आती है। जिसे लोहे की प्लेट पर इकट्ठा कर सुखाया जाता है। फिर उसे इकठ्ठा कर कार्टूनों में भर दिया जाता है। सेवईं बनाने में ढाई से तीन घंटे का समय लगता है।
अब जानिए कहां-कहां होती है बनारसी सेवईं की सप्लाई ? और कितने प्रकार की बनती है ?
पूरे इंडिया में सप्लाई वाराणसी की सेवईं मंडी से पूरे इंडिया में सप्लाई होती है। यह सप्लाई का काम शबरात के महीने से ही शुरू हो जाता है। सच्चे लाल ने बताया- वाराणसी की सेवईं मंडी की सेवईं पूरे देश में सप्लाई होती है।
साल भर पूर्वांचल के के दूकानदार यहां से ले जाते हैं। लेकिन ईद में इसकी डिमांड पूरे देश से होती है। क्योंकि यहां की फेमस किमामी सेवईं कहीं और नहीं बनती।
पकिस्तान, दुबई और सऊदी में भी दीवाने सच्चे लाल ने बताया- हम डायरेक्ट तो यहां से पकिस्तान या सऊदी नहीं भेजते पर हमारे कस्टमर जो महाराष्ट्र के हैं। जिनका इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का लाइसेंस बना हुआ है।
वो बानारसी सेवईं को पकिस्तान, सऊदी अरब और दुबई तक पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा बांग्लादेश में भी बनारसी सेवईं का बाजार है। वहां भी लोगों की पसंद में शुमार है बनारसी सेवईं।
5 प्रकार की सेवईं, किमामी सबसे मशहूर सचिन ने बताया- पांच प्रकार की सेवईयां बनाई जाती है। जिसमें सबसे मशहूर ट्रिपल जीरो किमामी सेवईं है। जो 55 रुपए थोक में और 75 रुपए फुटकर में बिक रही है।
इसके अलावा 1 नंबर, जीरो नंबर, डबल जीरो और रॉड वाली सेवईयां भी बनती हैं। इन्हे बनाकर पहले धुप में और कमरे में पंखे के नीचे सुखाया जाता है। उसके बाद इनकी तह लगाईं जाती है।
अब जानिए 10 साल में कितना बदला व्यापार ? सालाना और ईद में कितने का होता है कारोबार ?
10 साल में मायदा और घी का दमा बढ़ा, असर सेवईं पर आया सच्चे लाल ने बताया- 10 साल पहले से आज की डेट में तीन गुना दाम बढ़ गया है। जो सेवईं 25 रुपए किलो थी वो आज 75 रुपए किलो हो गई है।
इसके अलावा जो पिछले साल 50 में थी वो इस साल 60 में बिक रही है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि मायदा, घी का जो दाम बढ़ा उसका असर सेवईं पर देखने को मिल रहा है।
ईद पर होता है मार्केट में 2 करोड़ से ज्यादा का व्यापार सच्चे लाल ने बताया- यहां मार्केट में 70 कारखाने हैं। ऐसे में आज दिनों में जहां महीने में 5 से 8 लाख का माल बिकता है। तो ईद पर यह बढ़ जाता है। मेरा खुद का 30 से 35 लाख का माल बिकता है।
ऐसे में 70 कारखानों के हिसाब से 2 करोड़ से अधिक का व्यापार ईद के मौके पर होता है। लोगों की पसंद डबल जीरो और ट्रिपल जीरो है। लोग फुटकर में भी खरीदने आ रहे हैं।
केरल से लेकर जम्मू तक धाक सेवईं कारोबारी ने बताया- यहां से सेवईं पूर्वांचल के गोरखपुर, देवरिया, बस्ती, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, गाजीपुर, जौनपुर, भदोही, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज के अलावा लखनऊ, बरेली, सहरानपुर, देवबंद, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, मेरठ, आदि शहरों में जाती है। इसके अलावा महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसग़ढ, झारखंड, आदि प्रदेशों में भी सप्लाई होती है।
अब जानिए हिंदू कारीगर कैसे घोल रहे हैं इसमें मिठास ?
28 से काम कर रहे हैं श्याम जी कोनिया के निवासी श्याम जी पिछले 28 सालों से सेवईं की कारीगरी कर रहे हैं। शयाम जी ने कहा- आज 28 साल हो गए हैं। ऐसे में सेवईं की हजार कला को जानता हूं और बना लेता हूं।
28 साल में बहुत सारे प्रयोग किए गए पर कोई सक्सेज नहीं हुआ और जो पूर्णी पारंपरिक सेवईं है। उसे ही बनाया जा रहा है। जिसमें किमामी सेवईं फेमस है।
राजनीति और वोट के लिए लड़ाते हैं दैनिक NEWS4SOCIALने जब श्याम से पूछा कि आप हिंदू हैं और सेवईं बना रहे हैं। क्या कभी मन में विचार आया हिंदू-मुस्लिम को लेकर तो उन्होंने कहा- हिंदू मुस्लिम की बात तो नेता और विधायक लोग वोट बैंक के लिए करते हैं।
उनकी राजनीति का हिस्सा है फुट डालो राज करो। वहीं इस श्याम ने कहा- 28 सालों में कभी ऐसा नहीं लगा कि ईद अपना त्यौहार नहीं है।