परीक्षा से छुटकारा मुश्किल… सरकार ने DGP से कहा…DPC से पदोन्नति के जो कारण बताए वे उचित नहीं | Promotion difficult through DPC instead of examination | News 4 Social h3>
जयपुरPublished: Feb 21, 2024 06:47:40 pm
प्रस्ताव अटका, भजनलाल सरकार ने पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर उठाए सवाल। विधानसभा में गहलोत सरकार की ओर से की गई घोषणा के बाद गत वर्ष राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में संशोधन के लिए भेजा था प्रस्ताव। कांस्टेबल से उपनिरीक्षक तक की एक लाख की फोर्स की पोदन्नति का है मामला।
परीक्षा से छुटकारा मुश्किल… सरकार ने DGP से कहा…DPC से पदोन्नति के जो कारण बताए वे उचित नहीं
ओमप्रकाश शर्मा
जयपुर. परीक्षा के बजाय डीपीसी से पदोन्नति कराए जाने की पुलिस जवानों की मांग एक बार फिर खटाई में पड़ गई है। हेड कांस्टेबल से निरीक्षक तक होने वाली पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) कराने के लिए पुलिस मुख्यालय ने गत वर्ष सरकार को प्रस्ताव भेजा था। राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में बदलाव के लिए भेजे इस प्रस्ताव पर भजनलाल सरकार ने सवाल उठा दिया है। सरकार ने पुलिस मुख्यालय को कहा है कि प्रस्ताव में बदलाव के जो कारण बताए गए हैं वे उचित प्रतीत नहीं होते।
गृह विभाग ने यह पत्र सोमवार को ही पुलिस महानिदेशक को भेजा है। इसमें लिखा है कि लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के बजाय डीसीपी से पदोन्नत करने के लिए जो प्रस्ताव भेजा था उसमें विभागीय परीक्षा समय पर न होना, रिक्तियों की गणना में कठिनाई जैसे कारण गिनाए गए हैं। ये कारण प्रथम दृष्टया उचित प्रतीत नहीं होते। ऐसे में इनका पुन: परीक्षण करें।
गत भाजपा सरकार में उठा था मामला
दरअसल वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति को लेकर पुलिस जवानों की मांग लम्बे से चली आ रही है। जवानों की मांग को देखते हुए पिछली भाजपा सरकार ने कार्यकाल के अन्तिम समय में केवल कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नति के रिक्त पदों को पचास प्रतिशत डीपीसी से तथा पचास प्रतिशत परीक्षा से भरे जाने का प्रावधान किया था। हालांकि जवान पदोन्नति परीक्षा को पूरी तरह खत्म करने की मांग कर रहे थे। इसको देखते हुए गहलोत सरकार ने वर्ष 2023 में इस मांग को पूरी करने का वादा किया था।
डीजीपी सहित आठ आईपीएस ने तैयार किया था प्रस्ताव
पदोन्नति प्रक्रिया बदलने का प्रस्ताव तैयार करने के लिए तत्कालीन डीजीपी उमेश मिश्र की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। उसमें डीजी राजीव शर्मा, रवि प्रकाश मेहरड़ा, श्रीनिवास राव जंगा के अलावा एडीजी संजय अग्रवाल, बीजू जार्ज जोसफ, संजीब नार्जरी व आईजी अशोक गुप्ता शामिल थे। कमेटी ने ही पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में बदलाव के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा था। हालांकि सरकार इस पर निर्णय लेती उससे पहले आचार संहिता लग गई।
इन बदलाव के प्रस्ताव पर भी उठाए सवाल…
– राजस्थान औद्योगिक सुरक्षा बल के गठन क्यों जरूरी
– कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल के जिला व रेंज बदलने से वरिष्ठता प्रभावित होना
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जयपुरPublished: Feb 21, 2024 06:47:40 pm
प्रस्ताव अटका, भजनलाल सरकार ने पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर उठाए सवाल। विधानसभा में गहलोत सरकार की ओर से की गई घोषणा के बाद गत वर्ष राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में संशोधन के लिए भेजा था प्रस्ताव। कांस्टेबल से उपनिरीक्षक तक की एक लाख की फोर्स की पोदन्नति का है मामला।
परीक्षा से छुटकारा मुश्किल… सरकार ने DGP से कहा…DPC से पदोन्नति के जो कारण बताए वे उचित नहीं
ओमप्रकाश शर्मा
जयपुर. परीक्षा के बजाय डीपीसी से पदोन्नति कराए जाने की पुलिस जवानों की मांग एक बार फिर खटाई में पड़ गई है। हेड कांस्टेबल से निरीक्षक तक होने वाली पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर डीपीसी (विभागीय पदोन्नति समिति) कराने के लिए पुलिस मुख्यालय ने गत वर्ष सरकार को प्रस्ताव भेजा था। राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में बदलाव के लिए भेजे इस प्रस्ताव पर भजनलाल सरकार ने सवाल उठा दिया है। सरकार ने पुलिस मुख्यालय को कहा है कि प्रस्ताव में बदलाव के जो कारण बताए गए हैं वे उचित प्रतीत नहीं होते।
गृह विभाग ने यह पत्र सोमवार को ही पुलिस महानिदेशक को भेजा है। इसमें लिखा है कि लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के बजाय डीसीपी से पदोन्नत करने के लिए जो प्रस्ताव भेजा था उसमें विभागीय परीक्षा समय पर न होना, रिक्तियों की गणना में कठिनाई जैसे कारण गिनाए गए हैं। ये कारण प्रथम दृष्टया उचित प्रतीत नहीं होते। ऐसे में इनका पुन: परीक्षण करें।
गत भाजपा सरकार में उठा था मामला
दरअसल वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति को लेकर पुलिस जवानों की मांग लम्बे से चली आ रही है। जवानों की मांग को देखते हुए पिछली भाजपा सरकार ने कार्यकाल के अन्तिम समय में केवल कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल पद पर पदोन्नति के रिक्त पदों को पचास प्रतिशत डीपीसी से तथा पचास प्रतिशत परीक्षा से भरे जाने का प्रावधान किया था। हालांकि जवान पदोन्नति परीक्षा को पूरी तरह खत्म करने की मांग कर रहे थे। इसको देखते हुए गहलोत सरकार ने वर्ष 2023 में इस मांग को पूरी करने का वादा किया था।
डीजीपी सहित आठ आईपीएस ने तैयार किया था प्रस्ताव
पदोन्नति प्रक्रिया बदलने का प्रस्ताव तैयार करने के लिए तत्कालीन डीजीपी उमेश मिश्र की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। उसमें डीजी राजीव शर्मा, रवि प्रकाश मेहरड़ा, श्रीनिवास राव जंगा के अलावा एडीजी संजय अग्रवाल, बीजू जार्ज जोसफ, संजीब नार्जरी व आईजी अशोक गुप्ता शामिल थे। कमेटी ने ही पुलिस अधीनस्थ सेवा नियमों में बदलाव के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा था। हालांकि सरकार इस पर निर्णय लेती उससे पहले आचार संहिता लग गई।
इन बदलाव के प्रस्ताव पर भी उठाए सवाल…
– राजस्थान औद्योगिक सुरक्षा बल के गठन क्यों जरूरी
– कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल के जिला व रेंज बदलने से वरिष्ठता प्रभावित होना