पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न? UN के आरोपों पर भारत की नसीहत- करारा जवाब देंगे h3>
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि पत्रकार राणा अय्यूब पर लगातार ऑनलाइन गलत और सांप्रदायिक हमले हो रहे हैं। यूएन ने आगे कहा कि इस तरह के हमलों की भारतीय अधिकारियों द्वारा तुरंत और पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और उनके खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। वहीं, यूएन के इस बयान पर भारत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और यूएन को आगाह किया है।
बता दें कि यूएन की ओर से उठाए गए सवाल पर भारत ने कहा कि राणा अय्यूब को लेकर तथाकथित न्यायिक उत्पीड़न के आरोप निराधार और अनुचित हैं। भारत कानून के शासन को कायम रखता है, लेकिन यह भी उतना ही स्पष्ट है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि एसआर वस्तुनिष्ठ और सटीक रूप से सूचित होंगे। भ्रामक स्टोरी को आगे बढ़ाना केवल संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है।
एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इसके बाद जिनेवा में हमारे स्थायी मिशन की ओर से एक नोट वर्बल जारी किया जाएगा। वे इसे जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में भी उठाएंगे।
यूएन ने क्या कहा
यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि स्वतंत्र खोजी पत्रकार राणा अय्यूब अब भी दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी समूहों द्वारा ऑनलाइन हमलों और धमकियों का शिकार हो रही हैं। उन्होंने हमलों को देश में अल्पसंख्यक मुसलमानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उनकी रिपोर्टिंग, महामारी से निपटने के लिए सरकार की आलोचना और कर्नाटक में स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर हालिया प्रतिबंध पर उनकी टिप्पणियों के परिणामस्वरूप होने की ओर इशारा किया।
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में पत्रकार राणा अय्यूब की 1.77 करोड़ रुपए से अधिक की राशि कुर्क की है। आरोप है कि उन्होंने ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म केटो के जरिए राहत कार्य के लिए जुटाए गए दान को निजी खर्चों के लिए इस्तेमाल किया गया। एजेंसी ने जांच के दौरान पाया कि अय्यूब न केवल राहत कार्य पर खर्च का दावा करने के लिए कुछ संस्थाओं के नाम पर फर्जी बिल तैयार किया है, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुटाए गए फंड से 50 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट भी की है।
गाजियाबाद पुलिस की ओर से पहली FIR के आधार पर पिछले साल सितंबर में अय्यूब के खिलाफ जांच शुरू की गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता विकास सांकृत्यायन ने उन पर अवैध रूप से सार्वजनिक धन प्राप्त करने का आरोप लगाया था। मामला दर्ज बोते समय अय्यूब ने दावा किया था कि उनके खिलाफ धन की हेराफेरी के आरोप दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं।
इन तीन अभियानों के लिए केटो पर जुटाए धन
यूपी पुलिस की प्राथमिकी में यह दावा किया गया था कि राणा अय्यूब ने इन अभियानों के लिए धन जुटाया था– पहला झुग्गीवासियों और किसानों के लिए, असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य और अप्रैल 2020 और जून 2021 के बीच भारत में कोरोना प्रभावित लोगों की मदद के लिए। यह सब अनुमोदन प्रमाण पत्र और सरकार से पंजीकरण लिए बिना किया गया, जो कि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के अनुसार आवश्यक है।
जुटाई गई धनराशि को पिता और बहन के खाते में भी भेजा
ईडी की जांच से पता चला है कि अय्यूब ने इन तीन अभियानों के लिए केटो पर कुल 2.69 करोड़ रुपये जुटाए थे। ये धनराशि उनकी बहन इफ्फत शेख और पिता मोहम्मद अय्यूब वक्विफ के बैंक खातों में बड़े पैमाने पर निकाली गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि इस राशि में से उन्होंने अपने बैंक खाते में 72 लाख रुपये, बहन के खाते में 37.15 लाख और पिता के खाते में 1.60 करोड़ रुपये भेजे थे।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि पत्रकार राणा अय्यूब पर लगातार ऑनलाइन गलत और सांप्रदायिक हमले हो रहे हैं। यूएन ने आगे कहा कि इस तरह के हमलों की भारतीय अधिकारियों द्वारा तुरंत और पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए और उनके खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। वहीं, यूएन के इस बयान पर भारत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और यूएन को आगाह किया है।
बता दें कि यूएन की ओर से उठाए गए सवाल पर भारत ने कहा कि राणा अय्यूब को लेकर तथाकथित न्यायिक उत्पीड़न के आरोप निराधार और अनुचित हैं। भारत कानून के शासन को कायम रखता है, लेकिन यह भी उतना ही स्पष्ट है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि एसआर वस्तुनिष्ठ और सटीक रूप से सूचित होंगे। भ्रामक स्टोरी को आगे बढ़ाना केवल संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है।
एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इसके बाद जिनेवा में हमारे स्थायी मिशन की ओर से एक नोट वर्बल जारी किया जाएगा। वे इसे जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में भी उठाएंगे।
यूएन ने क्या कहा
यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि स्वतंत्र खोजी पत्रकार राणा अय्यूब अब भी दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी समूहों द्वारा ऑनलाइन हमलों और धमकियों का शिकार हो रही हैं। उन्होंने हमलों को देश में अल्पसंख्यक मुसलमानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उनकी रिपोर्टिंग, महामारी से निपटने के लिए सरकार की आलोचना और कर्नाटक में स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर हालिया प्रतिबंध पर उनकी टिप्पणियों के परिणामस्वरूप होने की ओर इशारा किया।
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में पत्रकार राणा अय्यूब की 1.77 करोड़ रुपए से अधिक की राशि कुर्क की है। आरोप है कि उन्होंने ऑनलाइन क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म केटो के जरिए राहत कार्य के लिए जुटाए गए दान को निजी खर्चों के लिए इस्तेमाल किया गया। एजेंसी ने जांच के दौरान पाया कि अय्यूब न केवल राहत कार्य पर खर्च का दावा करने के लिए कुछ संस्थाओं के नाम पर फर्जी बिल तैयार किया है, बल्कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जुटाए गए फंड से 50 लाख रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट भी की है।
गाजियाबाद पुलिस की ओर से पहली FIR के आधार पर पिछले साल सितंबर में अय्यूब के खिलाफ जांच शुरू की गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता विकास सांकृत्यायन ने उन पर अवैध रूप से सार्वजनिक धन प्राप्त करने का आरोप लगाया था। मामला दर्ज बोते समय अय्यूब ने दावा किया था कि उनके खिलाफ धन की हेराफेरी के आरोप दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं।
इन तीन अभियानों के लिए केटो पर जुटाए धन
यूपी पुलिस की प्राथमिकी में यह दावा किया गया था कि राणा अय्यूब ने इन अभियानों के लिए धन जुटाया था– पहला झुग्गीवासियों और किसानों के लिए, असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य और अप्रैल 2020 और जून 2021 के बीच भारत में कोरोना प्रभावित लोगों की मदद के लिए। यह सब अनुमोदन प्रमाण पत्र और सरकार से पंजीकरण लिए बिना किया गया, जो कि विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के अनुसार आवश्यक है।
जुटाई गई धनराशि को पिता और बहन के खाते में भी भेजा
ईडी की जांच से पता चला है कि अय्यूब ने इन तीन अभियानों के लिए केटो पर कुल 2.69 करोड़ रुपये जुटाए थे। ये धनराशि उनकी बहन इफ्फत शेख और पिता मोहम्मद अय्यूब वक्विफ के बैंक खातों में बड़े पैमाने पर निकाली गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि इस राशि में से उन्होंने अपने बैंक खाते में 72 लाख रुपये, बहन के खाते में 37.15 लाख और पिता के खाते में 1.60 करोड़ रुपये भेजे थे।