पति की मौत, दुखों का पहाड़, पेंटिंग से दुनिया में बनाई पहचान… 84 साल की जोधइया बाई बैगा की कहानी रुला देगी

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पति की मौत, दुखों का पहाड़, पेंटिंग से दुनिया में बनाई पहचान… 84 साल की जोधइया बाई बैगा की कहानी रुला देगी

पति की मौत, दुखों का पहाड़, पेंटिंग से दुनिया में बनाई पहचान… 84 साल की जोधइया बाई बैगा की कहानी रुला देगी


मध्य प्रदेश के उमरिया जिले की निवासी जोधइया बाई बैगा को प्रसिद्ध पद्म श्री सम्मान से नवाजा जाएगा। भारत सरकार ने 74 वें गणतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर बुधवार को इसकी सूची जारी की है। इसमें जोधइया बाई बैगा देश के उन 91 लोगों में शुमार हुई हैं, जिन्हें पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा। 84 वर्ष उम्र पर कर चुकीं जोधइया बाई बैगा ने विलुप्त होती बैगा चित्रकला को अपने कौशल के माध्यम से वैश्विक पहचान दिलाई है।

राष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित

दरअसल, 8 मार्च 2022 को महिला दिवस के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जोधाबाई बैगा को ‘नारी शक्ति सम्मान’ से भी सम्मानित कर चुके हैं। जोधइया बाई विलुप्त होती बैगा चित्रकला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए ख्याति प्राप्त हैं। उनकी पेंटिंग की प्रदर्शनी विदेशों में भी लगती है। 2019 में उनकी पेंटिंग को इटली में शोकेस में रखा गया था।

छोटे से गांव की रहने वाली हैं जोधइया बाई

छोटे से गांव की रहने वाली हैं जोधइया बाई

जोधइया बाई उमरिया के एक छोटे से गांव लोहरा की रहने वाली हैं। वे बैगिन पेंटिंग को पुनर्जीवित कर रही हैं। बैगाओं के घरों की दीवारों को सुशोभित करने वाले बड़ेदेव और बाघासुर की छवियां कम होते देखकर जोधइया बाई ने आधुनिक रंगों से कैनवास और ड्राइंग शीट पर उसी कला को उकेरना शुरू किया। इसके बाद तो बैगा जनजाति की यह कला एक बार फिर जीवंत हो उठी है। उनके चित्रों में पुरानी भारतीय परंपरा के अनुसार देवलोक भगवान शिव और बाघ की अवधारणा देखी जा सकती है।

विदेशों में भी पा चुकी हैं ख्याति

विदेशों में भी पा चुकी हैं ख्याति

जोधइया बाई बैगा के चित्र पेरिस और मिलान देशों में भी प्रदर्शित हो चुके हैं। इटली, फ्रांस में आयोजित आर्ट गैलरी में उनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को दिखाया गया है। जापान, इंग्लैंड, अमेरिका सहित कई अन्य देशों में भी उनकी पेंटिंग प्रदर्शित की गई हैं।

30 साल में ही गुजर गए थे पति

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जोधइया बाई भले आज दुनिया भर में नाम कमा रही हों, उन्हें पद्मश्री पुरस्कार मिलने वाला है, लेकिन इससे पहले उनका जीवन बहुत दुखों से भरा रहा है। जब वे 30 वर्ष की थी, तभी उनके पति का देहावसान हो गया था। इसके बाद से पेंटिंग के जरिए उन्होंने अपनी पहचान बनाई है।

पहले से दर्ज है उपलब्धियां

पहले से दर्ज है उपलब्धियां

जोधइया बाई के नाम पर जनजातीय संग्रहालय भोपाल में एक स्थायी दीवार बनाई गई है, जिस पर उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग लगाई गई हैं। इस उपलब्धि पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें बधाई दी है। यह आदिवासी समाज के लिए गर्व की बात है। जोधाइया बाई बैगा काफी पिछड़े इलाके से आती हैं।
भोपाल से दीपक राय की रिपोर्ट

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