पटना व बेगूसराय में दसवीं के विद्यार्थी अंग्रेजी में बेहतर h3>
पटना और बेगूसराय जिले के दसवीं के विद्यार्थियों की अंग्रेजी सूबे में सबसे बेहतर है। जहां पटना जिले के दसवीं के 49 फीसदी विद्यार्थी अंग्रेजी लिख, बोल और समझ लेते हैं। वहीं बेगूसराय के 45 फीसदी विद्यार्थियों की अंग्रेजी अच्छी है। बिहार बोर्ड के मैट्रिक रिजल्ट और नेशनल अचीवमेंट सर्वे में यह बातें निकल कर आयी हैं।
नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य भर के 38 जिलों में केवल पटना और बेगूसराय जिले के लगभग 50 फीसदी दसवीं के छात्रों की अंग्रेजी अच्छी है। बाकि ज्यादातर जिलों की स्थिति अच्छी नहीं है। पटना और बेगूसराय जिला ही राज्य और राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
बिहार बोर्ड मैट्रिक रिजल्ट के अनुसार पटना के 70 फीसदी और बेगूसराय के 50 फीसदी विद्यार्थियों को अंग्रेजी में 80 फीसदी से अधिक अंक आए। वहीं अन्य जिलों में पांच से 10 फीसदी विद्यार्थियों को ही 50 फीसदी तक अंक मिले। राज्य के 13 जिले ऐसे हैं, जहां के विद्यार्थी राज्य की औसत से अधिक या उसके बराबर हैं। ज्ञात हो कि राज्य का औसत 36 और राष्ट्रीय औसत 43 फीसदी है। राज्य औसत से रोहतास, सारण, वैशाली, अरवल, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, जमुई, कैमूर, मुजफ्फरपुर, नालंदा और नवादा शामिल हैं।
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मैट्रिक में छात्र नहीं चाहते अनिवार्य हो अंग्रेजी
बिहार बोर्ड की परीक्षा प्रणाली में कई बदलाव हुए, लेकिन अभी तक अंग्रेजी अनिवार्य नहीं की जा सकी। ज्यादातर जिलों के नौवीं और दसवीं के छात्र अंग्रेजी अनिवार्य विषय के तौर पर नहीं चाहते हैं। बोर्ड की मानें तो छात्रों के फीडबैक के कारण ही अभी तक मैट्रिक में अंग्रेजी अनिवार्य नहीं की गई है। ज्ञात हो मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी विषय में उपस्थिति होना अनिवार्य है
नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट में अंग्रेजी में जिलों की स्थिति
पटना – 49 फीसदी, पूर्वी चंपारण – 36 फीसदी, पूर्णिया – 34 फीसदी, रोहतास – 36 फीसदी, सहरसा – 33 फीसदी, समस्तीपुर – 37 फीसदी, सारण – 41 फीसदी, शेखपुरा – 35 फीसदी, शिवहर – 32 फीसदी, सीतामढ़ी – 34 फीसदी, सीवान – 35 फीसदी, सुपौल – 33 फीसदी, वैशाली – 36 फीसदी, अररिया – 33 फीसदी, अरवल – 36 फीसदी, औरंगाबाद – 35 फीसदी, बांका – 34 फीसदी, बेगूसराय – 45 फीसदी, भागलपुर – 41 फीसदी, भोजपुर – 40 फीसदी, बक्सर – 32 फीसदी, दरभंगा – 40 फीसदी, गया – 37 फीसदी, गोपालगंज – 34 फीसदी, जमुई – 37 फीसदी, जहानाबाद – 34 फीसदी, कैमूर – 36 फीसदी, कटिहार – 35 फीसदी, खगड़िया – 33 फीसदी, किशनगंज – 34 फीसदी, लखीसराय – 32 फीसदी, मधेपुरा – 32 फीसदी, मधुबनी – 33 फीसदी, मुंगेर – 34 फीसदी, मुजफ्फरपुर – 42 फीसदी, नालंदा – 38 फीसदी, नवादा – 37 फीसदी, पश्चिम चंपारण – 33 फीसदी।
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पटना और बेगूसराय जिले के दसवीं के विद्यार्थियों की अंग्रेजी सूबे में सबसे बेहतर है। जहां पटना जिले के दसवीं के 49 फीसदी विद्यार्थी अंग्रेजी लिख, बोल और समझ लेते हैं। वहीं बेगूसराय के 45 फीसदी विद्यार्थियों की अंग्रेजी अच्छी है। बिहार बोर्ड के मैट्रिक रिजल्ट और नेशनल अचीवमेंट सर्वे में यह बातें निकल कर आयी हैं।
नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य भर के 38 जिलों में केवल पटना और बेगूसराय जिले के लगभग 50 फीसदी दसवीं के छात्रों की अंग्रेजी अच्छी है। बाकि ज्यादातर जिलों की स्थिति अच्छी नहीं है। पटना और बेगूसराय जिला ही राज्य और राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
बिहार बोर्ड मैट्रिक रिजल्ट के अनुसार पटना के 70 फीसदी और बेगूसराय के 50 फीसदी विद्यार्थियों को अंग्रेजी में 80 फीसदी से अधिक अंक आए। वहीं अन्य जिलों में पांच से 10 फीसदी विद्यार्थियों को ही 50 फीसदी तक अंक मिले। राज्य के 13 जिले ऐसे हैं, जहां के विद्यार्थी राज्य की औसत से अधिक या उसके बराबर हैं। ज्ञात हो कि राज्य का औसत 36 और राष्ट्रीय औसत 43 फीसदी है। राज्य औसत से रोहतास, सारण, वैशाली, अरवल, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, जमुई, कैमूर, मुजफ्फरपुर, नालंदा और नवादा शामिल हैं।
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नेशनल अचीवमेंट सर्वे रिपोर्ट में अंग्रेजी में जिलों की स्थिति
पटना – 49 फीसदी, पूर्वी चंपारण – 36 फीसदी, पूर्णिया – 34 फीसदी, रोहतास – 36 फीसदी, सहरसा – 33 फीसदी, समस्तीपुर – 37 फीसदी, सारण – 41 फीसदी, शेखपुरा – 35 फीसदी, शिवहर – 32 फीसदी, सीतामढ़ी – 34 फीसदी, सीवान – 35 फीसदी, सुपौल – 33 फीसदी, वैशाली – 36 फीसदी, अररिया – 33 फीसदी, अरवल – 36 फीसदी, औरंगाबाद – 35 फीसदी, बांका – 34 फीसदी, बेगूसराय – 45 फीसदी, भागलपुर – 41 फीसदी, भोजपुर – 40 फीसदी, बक्सर – 32 फीसदी, दरभंगा – 40 फीसदी, गया – 37 फीसदी, गोपालगंज – 34 फीसदी, जमुई – 37 फीसदी, जहानाबाद – 34 फीसदी, कैमूर – 36 फीसदी, कटिहार – 35 फीसदी, खगड़िया – 33 फीसदी, किशनगंज – 34 फीसदी, लखीसराय – 32 फीसदी, मधेपुरा – 32 फीसदी, मधुबनी – 33 फीसदी, मुंगेर – 34 फीसदी, मुजफ्फरपुर – 42 फीसदी, नालंदा – 38 फीसदी, नवादा – 37 फीसदी, पश्चिम चंपारण – 33 फीसदी।