पंजाब-हरियाणा से आया गेहूं खाकर गंजे हुए महाराष्ट्र के लोग: बुलढाणा में 279 लोगों के बाल झड़े, कलेक्टर बोले- नहीं पता कहां से आया

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पंजाब-हरियाणा से आया गेहूं खाकर गंजे हुए महाराष्ट्र के लोग:  बुलढाणा में 279 लोगों के बाल झड़े, कलेक्टर बोले- नहीं पता कहां से आया

पंजाब-हरियाणा से आया गेहूं खाकर गंजे हुए महाराष्ट्र के लोग: बुलढाणा में 279 लोगों के बाल झड़े, कलेक्टर बोले- नहीं पता कहां से आया

32 साल के प्रदीप आईने के सामने खड़े होकर कंघी कर रहे थे। प्रदीप ने नोटिस किया कि उनके बाल बहुत ज्यादा झड़ रहे हैं। पहले तो उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन 4-5 दिन में ही वे लगभग गंजे हो गए। ऐसा सिर्फ प्रदीप के साथ नहीं हुआ।

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महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में बीते दिसंबर और जनवरी में 279 लोगों के बाल अचानक झड़ने लगे। हेयरफॉल इतना ज्यादा था कि खींचने पर पूरे बाल हाथ में आने लगे। ये किसी एक गांव में नहीं, जिले की शेगांव, नांदूरा और खामगांव तालुका के 18 गांव में हो रहा था।

इसकी वजह जानने दिल्ली से टीमें आईं। हेल्थ डिपार्टमेंट के अफसर गांवों में पहुंचे। पद्मश्री डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने अपने लेवल पर रिसर्च की। उनकी रिपोर्ट में अंदेशा जताया गया कि सरकारी राशन दुकान से मिले गेहूं को खाने की वजह से ये दिक्कत हुई है। ये गेहूं पंजाब या हरियाणा का हो सकता है। हालांकि, कलेक्टर के मुताबिक गेहूं कहां से आया, उन्हें नहीं पता।

डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने अपनी रिपोर्ट में 14 फरवरी 2025 तक का डेटा जुटाया है। उनके मुताबिक कुल 279 लोगों के बाल झड़ गए। इनमें बच्चियां और महिलाएं भी शामिल हैं।

दैनिक NEWS4SOCIALबुलढाणा के बोंडगांव पहुंचा। प्रभावित लोगों के अलावा अफसरों और डॉ. हिम्मतराव बावस्कर से भी बात की। पता चला कि रिपोर्ट आने के बाद गांव के लोगों ने सरकारी गेहूं खाना बंद कर दिया है। गांव के PDS सेंटर भी बंद मिले। अच्छी बात ये है कि इलाज के बाद लोगों के सिर पर बाल आने लगे हैं।

डॉक्टरों की टीम ने प्रभावित लोगों का आयुर्वेदिक और एलोपैथिक तरीके से इलाज किया। इसके बाद उनके सिर पर दोबारा बाल आने लगे हैं।

पहली कहानी प्रदीप की

सिर्फ 3 दिन में बाल झड़ गए, एक हफ्ते बाद उगने भी लगे बोंडगांव में रहने वाले प्रदीप कलस्कर खेती करते हैं। गारमेंट का भी काम है। प्रदीप बताते हैं, ‘दिसंबर के आखिर में मैंने देखा कि बहुत ज्यादा बाल झड़ रहे हैं। 2-3 दिन में बाल कम हो गए, तो मैं घबरा गया। एक दिन सरपंच रामेश्वर गजानन मिले, तो उन्हें बताया। उनसे पता चला कि कई लोगों को ये दिक्कत हो रही है। बात फैली तो गांव के आसपास तक लोग डर गए।’

बोंडगाव की आबादी करीब 500 है। सिर्फ यहीं 29 लोगों में गंजेपन की शिकायत आ चुकी थी। एक हफ्ते में ही लोगों के 50-80% बाल गिर गए।

प्रदीप बताते हैं, ‘4-5 दिन में ही मेरे 80% बाल गिर गए। मेरे अच्छे घने बाल थे। बाल ऐसी चीज हैं कि उन पर सबकी नजर पड़ती है। गंजेपन से शरीर में दर्द तो नहीं हुआ, लेकिन दिमागी तौर पर मैं हिल गया। कोई भी मुझे देखता, तो बालों के बारे में पूछता। लोगों ने मुंह फेरना शुरू कर दिया। मिलने, बात करने से भी कतराने लगे। ये सब देखकर मैं परेशान रहने लगा। घर से निकलना बंद कर दिया। मैं काम पर भी नहीं जाता था।’

दूसरी कहानी 8 साल की प्रियल की

बेटी के बाल झड़ने लगे तो मम्मी-पापा डर गए बोंडगांव में हमें 8 साल की प्रियल मिली। कंधे पर बस्ता टांगकर स्कूल जा रही थी। दिसंबर के आखिर में प्रियल के भी बाल झड़ गए थे। प्रियल कैमरे पर ठीक से बात नहीं कर पाती, लेकिन जो भी बोलती है, उससे बाल खोने का गम छलक उठता है।

प्रियल हिंदी नहीं बोल पाती। हमने उससे मराठी में पूछा- केस कशे गलले यानी बाल कैसे कम हो गए? प्रियल ने जवाब दिया- पानी और शैंपू नी झालं, मतलब पानी और शैंपू से झड़ गए।

प्रियल के मम्मी-पापा बताते हैं कि अचानक बेटी के बाल झड़ने से हम डर गए। परिवार के दो और लोगों के बाल झड़ रहे थे। हमें लगा कोई बीमारी है। ऐसे अचानक गंजा होने के बारे में न पहले कभी सुना था और न देखा था। बीमारी से बाल झड़ते भी हैं तो धीरे-धीरे। एक हफ्ते में ज्यादातर बाल गिर गए, ये तो बहुत डरावना था।’

ये 8 साल की प्रियल है। प्रियल के 80% बाल झड़ गए थे। इलाज के बाद दोबारा बाल आ रहे हैं।

बाहर के लोग, फेरीवाले तक गांव में आने से डरने लगे बोंडगांव में लोगों के बाल झड़ रहे हैं, ये खबर आसपास के गांवों में भी फैल गई। दूसरे गांव के लोगों ने बोंडगांव में आना बंद कर दिया। व्यापारी, फेरीवाले और जरूरत की चीजें पहुंचाने वालों ने भी गांव से दूरी बना ली।

बोंडगांव के सरपंच रामेश्वर गजानन बताते हैं, ‘28 दिसंबर को गांव में पहला केस आया। एक परिवार में 8 और 12 साल की दो बच्चियों के साथ उनकी मां के बाल झड़ने लगे। रात में सिर में खुजली हुई, सुबह कंघी की, तो उसमें बहुत सारे बाल आ गए। दो दिन में तीनों के आधे से ज्यादा बाल झड़ गए।’

‘शुरुआत में हमने उन्हें एक पहचान के डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने बताया कि शैंपू और साबुन की वजह से ऐसा हो जाता है। इसके बाद 4-5 दिन में और ज्यादा बाल झड़ने लगे।’

जिन लोगों के बाल झड़े थे, उनकी 6 से 8 हफ्ते में रिकवरी हो गई। ये फोटो डॉ. हिम्मतराव बावस्कर की रिपोर्ट से ली गई है।

‘मुझे पता चला कि दूसरे गांवों में भी ऐसा हो रहा है। मैं वहां भी गया। लोगों को इकट्‌ठा किया और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से मिला। इसके बाद प्रशासन ने गांव में टीम भेजी। 14 से 17 जनवरी तक ICMR और दिल्ली एम्स की टीम आई। प्रभावित लोगों और उनके घर से गेहूं, चावल, पानी, मिट्टी के सैंपल लिए।’

रामेश्वर गजानन आगे बताते हैं, ‘गांव में 29 केस सामने आए। सभी गरीब परिवारों से हैं। ज्यादातर सरकारी राशन की दुकान से मिलने वाला गेहूं खाते थे। हमने उनका डेटा कलेक्ट किया। हेल्थ टीम यहां आई और पीड़ितों का यूनानी, होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और एलोपैथिक तरीकों से ट्रीटमेंट शुरू किया। जिन लोगों के बाल झड़ गए थे, उनके सिर मुंडवाए गए। फिर इलाज शुरू हुआ। एक हफ्ते से 10 दिन के भीतर बालों की रिकवरी शुरू हो गई। सिर के जिस हिस्से से बाल चले गए थे, वहां बाल आने लगे।’

अब भी बदनामी का डर, कैमरे पर बात नहीं करते लोग पूरा बोंडगांव घूमने के बाद सिर्फ प्रदीप और प्रियल ने हमसे बात की। उनके अलावा कोई भी कैमरे पर नहीं आया। हम एक परिवार से मिले। उनके 27 साल के बेटे को गंजेपन की दिक्कत हुई थी। लड़के की मां ने हमें देखते ही पति से चेहरा छिपाने के लिए कहा। उन्हें डर था कि अगर फोटो मीडिया में आ गई, तो बदनामी होगी। मां बोलीं कि बेटे की कुछ दिन बाद शादी है। ये सब पता चल गया तो उसकी शादी टूट जाएगी।’

रिसर्च में दावा- सरकारी गेहूं में ज्यादा सेलेनियम, इससे बाल झड़े मेडिकल रिसर्चर और पद्मश्री अवॉर्डी डॉ. हिम्मतराव बावस्कर बुलढाणा के ही रहने वाले हैं। उन्हें पता चला कि आसपास के गांवों में लोगों में गंजेपन की दिक्कत हो रही है। वे प्रभावित इलाकों में गए और रिसर्च शुरू की।

डॉ. बावस्कर कहते हैं,

आम तौर पर बाल झड़ने की वजह आर्सेनिक, कैडमियम, जिंक, थेलेनियम या सेलेनियम की अधिकता होती है। 2010 में हमने इसी इलाके में स्टडी की थी। तब ब्लड सैंपल से पता चला था कि यहां आर्सेनिक नहीं है।

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‘हमने अभी गांव का सर्वे किया। गंजेपन से प्रभावित लोगों ने बताया कि उन्होंने PDS से मिलने वाला सरकारी गेहूं खाया था। इसके बाद उन्हें उल्टी, दस्त, बुखार और सिरदर्द शुरू हुआ। फिर बाल झड़ने लगे। गांववालों ने सिर मुंडवाना शुरू कर दिया।’

डॉ. हिम्मतराव की रिसर्च से पता चला कि PDS के तहत बंटे गेहूं में सेलेनियम की मात्रा ज्यादा थी। इसलिए लोगों में गंजेपन की समस्या हुई। गेहूं में जिंक की मात्रा काफी कम पाई गई।

डॉ. हिम्मतराव बावस्कर ने प्रभावित इलाकों और पीड़ितों के घर से गेहूं और पानी के सैंपल इकट्ठे किए। उन्हें ठाणे की प्राइवेट लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक, गेहूं में सेलेनियम का स्तर 14.52 mg प्रति किलो पाया गया। आम तौर पर ये 1.9 mg होता है। मतलब सेलेनियम की मात्रा सामान्य से करीब 8 गुना ज्यादा पाई गई।

गेहूं की बोरियों पर पंजाब-हरियाणा का टैग हम प्रभावित इलाकों में पहुंचे, सरकारी राशन दुकानों पर भी गए। पता करने की कोशिश की कि लोगों में बंटने वाला गेहूं कहां से आ रहा है। राशन दुकान बंद थी। ये दुकान एक घर में है। हमने घर के लोगों से बात करनी चाही, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।

बोंडगांव से मिली गेहूं की बोरियों पर ‘गवर्नमेंट ऑफ पंजाब’ और ‘गवर्नमेंट ऑफ हरियाणा’ लिखा है। इसलिए अंदेशा जताया गया कि ये गेहूं पंजाब और हरियाणा से आया था। इसमें मिला सेलेनियम बाल झड़ने की बड़ी वजह हो सकता है।

गांव के सरपंच ने हमें एक फोटो दिखाई। इसमें बोरियों पर ‘गवर्नमेंट ऑफ पंजाब’ और ‘गवर्नमेंट ऑफ हरियाणा’ लिखा है। ये बोरियां PDS सेंटर में रखी थीं।

ICMR ने भी गांव से गेहूं के सैंपल इकट्ठे किए थे। सूत्रों के मुताबिक, ICMR ने भी अपनी स्टडी में सेलेनियम की ज्यादा मात्रा को बाल झड़ने की सबसे बड़ी वजह माना है। ICMR ने 28 जनवरी को इसकी रिपोर्ट हेल्थ मिनिस्ट्री को सौंपी थी। रिपोर्ट के मुताबिक प्रभावित लोगों में सेलेनियम की मात्रा तीन से 31 गुना ज्यादा पाई गई। इलाके से गेहूं का सैंपल लिया गया, उसमें 2 से 8 गुना तक ज्यादा सेलेनियम मिला।

इस पर हमने ICMR के साइंटिस्ट मनोज मुरहेकर से बात की। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि बुलढाणा में हेयरफॉल पर बनी रिपोर्ट आगे भेज दी है। फिलहाल इस पर कुछ नहीं कह सकते।

पंजाब के होशियारपुर और नवाशहर में ज्यादा सेलेनियम की दिक्कत डॉ. बावस्कर बताते हैं, ‘हमने PDS से मिलने वाले गेहूं के अलावा बुलढाणा के आसपास उगने वाले गेहूं और दूसरे अनाजों का टेस्ट करवाया। लोकल अनाजों में सेलेनियम की मात्रा सामान्य मिली।’

डॉ. बावस्कर ने PDS के तहत मिलने वाले गेहूं को धोकर भी टेस्ट करवाया। फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि सेलेनियम गेहूं के अंदर ही मौजूद है।

‘इसके बाद मैंने पंजाब और हरियाणा में होने वाले गेहूं उत्पादन पर रिसर्च की। पंजाब और हरियाणा हिमालय की शिवालिक पर्वतमाला के फुटहिल में हैं। हिमालय की इस रेंज में फॉसिल की वजह से सल्फर ज्यादा है। यही वजह है कि यहां प्राकृतिक संसाधनों में सेलेनियम की तादाद काफी ज्यादा है। पंजाब के होशियारपुर और नवाशहर में सेलेनियम की सबसे ज्यादा दिक्कत है।’

कलेक्टर बोले- गेहूं कहां से आया, हमें नहीं पता बुलढाणा के कलेक्टर डॉ. किरण पाटील से हमने पूछा कि अचानक गंजेपन की दिक्कत का क्या कारण पता चला है? वे बताते हैं, ‘अब तक हमारे पास इससे जुड़ी रिपोर्ट नहीं आई है। गंजेपन की शिकायत मिली, तो सबसे पहले हमने वहां पानी की टेस्टिंग करवाई। पानी में हैवी मेटल्स चेक किया। होम्योपैथी और यूनानी पद्धति से लोगों का ट्रीटमेंट शुरू किया।’

हमने पूछा कि बाल झड़ने की वजह पंजाब और हरियाणा से आने वाले गेहूं को बताया जा रहा है। क्या आपने इसकी जांच करवाई है, ये गेहूं कहां से आया था? डॉ. किरण पाटील ने बताया, ‘गेहूं का लॉट कहां से आता है, ये हमें नहीं पता। इसकी जानकारी फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को होती है। गंजेपन के लिए सिर्फ गेहूं जिम्मेदार है, ऐसा नहीं है। दूसरे कारण भी हो सकते हैं।’

‘जो दावा किया जा रहा है कि गेहूं पंजाब-हरियाणा से आया है। मैंने जांच की तो पता चला कि PDS सेंटर में कई बोरियां पड़ी होती हैं। किसी बोरी पर पंजाब-हरियाणा लिखा है तो जरूरी नहीं कि गेहूं पंजाब या हरियाणा से ही आया हो।’

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