न मिली नौकरी, ना ही बदला स्कूल का नाम, 16 महीने से ठोकरे खा रहा राजस्थान का यह शहीद परिवार

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न मिली नौकरी, ना ही बदला स्कूल का नाम, 16 महीने से ठोकरे खा रहा राजस्थान का यह शहीद परिवार

न मिली नौकरी, ना ही बदला स्कूल का नाम, 16 महीने से ठोकरे खा रहा राजस्थान का यह शहीद परिवार


दौसा: जब भी कोई शहीद होता है तो पूरे देश में लोग शहीद की बहादुरी पर फक्र करते हैं। शहीद की पार्थिव देह का अंतिम संस्कार होता है तो हजारों की भीड़ जयकारे लगाती है। नेता पहुंचते हैं तो पुष्प चक्र भेंट करते हैं और कहते हैं कि शहीद परिवार को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी। जो पैकेज है वह शीघ्र मिल जाएगा। शायद ही ऐसा कोई शहीद परिवार होता होगा जिसे बिना तकलीफें मिले सभी सुविधाएं मिलती होगी।

2021 उग्रवादी हमले में शहीद हुए थे राजेंद्र

वर्तमान में पूरे देश में शहीद वीरांगनाओं का मामला चर्चित में है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं दौसा के दिलावरपुरा गांव में रहने वाली शहीद वीरांगना ममता मीना की दास्तां। ममता मीना के पति राजेंद्र प्रसाद मीणा 2013 में असम राइफल्स में भर्ती हुए थे। 13 नवम्बर 2021 उग्रवादी हमले में मणिपुर में वे शहीद हो गए थे। 15 नवंबर 2021 को जब शहीद का अंतिम संस्कार किया गया तो बड़ी संख्या में राजस्थान सरकार के नेता और मंत्री पहुंचे। भरोसा दिया कि 1 महीने में शहीद परिवार को पूरे पैकेज का लाभ दे दिया जाएगा। राजेंद्र मीणा को शहीद हुए करीब 16 महीने बीत चुके हैं, लेकिन शहीद परिवार को अभी तक पैकेज के नाम पर कुछ विशेष नहीं मिला है। ना तो शहीद राजेंद्र मीणा की पत्नी ममता मीणा को अभी सरकारी नौकरी मिली है और ना ही शहीद के माता- पिता के खाते में जमा होने वाली 5-5 लाख रुपए राशि आ पाई है।

इतना ही नहीं अभी शहीद राजेंद्र मीणा के नाम से स्कूल का नामकरण भी नहीं हुआ है। शहीद वीरांगना ममता को आयकर विभाग में नौकरी दिए जाने की बात कही जा रही है । इसके लिए नवंबर माह में वेरिफिकेशन भी हो चुका है लेकिन अभी तक नौकरी नहीं लगी है। ऐसे में पति की शहादत के बाद पिछले 16 महीने से शहीद वीरांगना ममता नौकरी की आस में बैठी हुई है। वहीं शहीद के माता-पिता के खातों में भी पैसा नहीं आया है।

राजेंद्र को उनकी ग्राम पंचायत में नहीं मिल रहा नाम का हक

स्कूल का नामकरण नहीं हो पाया है पहले प्रशासन दिलावरपुरा के प्राथमिक स्कूल का नामकरण करवाने की बात कह रहा था लेकिन शहीद के परिजन और ग्रामीण ग्राम पंचायत मुख्यालय राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय मूही का नामकरण करवाना चाहते हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग ने प्रस्ताव सरकार को भिजवा रखा है लेकिन अभी तक नामकरण नहीं हुआ है, जबकि आये दिन नेताओं के नाम से दूसरे गांव और शहरों में भी स्कूल, कॉलेज, अस्पतालों के नामकरण हो जाते है लेकिन शहीद राजेंद्र मीना के परिवार को उनकी ग्राम पंचायत में ही नाम का हक नहीं मिल पा रहा है।

कई मुद्दे, जिन पर सरकार की उदासीनता

प्रशासन की उदासीनता का सिलसिला यहीं नहीं रुकता है। शहीद वीरांगना के नाम कृषि कनेक्शन दिए जाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अभी तक कृषि कनेक्शन नहीं मिला। वहीं शहीद वीरांगना के नाम सहित के पिता की ओर से जमीन का नामांतरण करवाने के लिए भी ठोकरें खाई जा रही हैं लेकिन अभी तक नामांतरण नहीं खुला। इसके चलते कृषि कनेक्शन भी नहीं हो पा रहा है। शहीद के अंतिम संस्कार के दौरान नेताओं ने शहीद के स्मृति स्थल से लेकर घर तक सड़क बनाने की बात कही थी लेकिन इस ओर तो अभी ना तो नेताओं ने और ना ही अफसरों ने ध्यान दिया है।
रिपोर्ट : रेखा शर्मा

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