न चांद पर जाने जैसी बात.. न UPSC की परीक्षा, नए सोशल मीडिया नियमों पर क्या बोले – रविशंकर प्रसाद h3>
हाइलाइट्स:
- सुप्रीम कोर्ट ने प्रज्वला केस में कहा था सोशल मीडिया को लेकर एक सख्त कानून बनना चाहिए
- चाइल्ड पोर्नोग्राफ्री से जुड़ा कोई मामला है तो तय समय में पता चलना चाहिए कि मैसेज कहां से आया
- कहीं कोई दंगा फैलता है तो हम यह जानना चाहते हैं कि आखिर खुराफात किसने शुरू किया
नई दिल्ली
सोशल मीडिया की नई गाइडलाइन के बाद सरकार और खासकर ट्विटर Twitter के विवाद के बीच केंद्रीय आईटी और लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने साफ कहा कि नियम तो मानना ही होगा। सोशल मीडिया को लेकर नई गाइडलाइन कहीं से भी कोई अभिव्यक्यित की आजादी पर रोक नहीं है। facebook,Twitter,Whatsapp,Instagram और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के लिए नई गाइडलाइन और उसके बाद के विवाद को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते केंद्रीय मंत्री ने कई सवालों के जवाब दिए।
क्या किसी प्रकार का कंट्रोल चाहती है सरकार
इस गाइडलाइन को लेकर ऐसी धारणा बनी कि सरकार कंट्रोल करना चाहती है। आखिर सोशल मीडिया कंपनियां सरकार से गुस्सा क्यों हैं। इसके जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह गाइडलाइन अचानक से नहीं जारी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने प्रज्वला केस 2018 में कहा था कि रेप इत्यादि पर सोशल मीडिया को लेकर एक सख्त कानून बनना चाहिए। दूसरा मामला 2019 में आया जब फेसबुक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफ्री से जुड़ा कोई मामला है तो तय समय में पता चलना चाहिए कि यह मैसेज कहां से आया। संसद, सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा के बाद इसको लाया गया है।
वो भारत में बिजनस करने और मुनाफा कमाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन भारत के संविधान के के प्रति उनकी जवाबदेही है। व्यापार भारत में करेंगे और कानून अमेरिका का पालन करेंगे यह हमको मंजूर नहीं।
रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री
मुनाफा यहां और कानून अमेरिका का ऐसा नहीं चलेगा
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बाल यौन शोषण को लेकर संसद के कई सत्र में न जाने कितने सवाल आए। उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू की ओर से कमिटी बनाई गई । कई बार की चर्चा और और सुझाव के बाद इसको लाया गया और हमारी कोई मंशा कंट्रोल करने की नहीं है। यह कानून आया ही क्यों इसके जवाब में रविशंकर प्रसाद का कहना है कि यह लोगों की डिमांड, कोर्ट के निर्देश और संसदीय कमिटी की चर्चा के बाद इसको लाया गया है। यदि कोई मां अपनी बेटी जिसके साथ बदला लेने के लिए कोई गलत तस्वीर डालता है तो क्या इसकी शिकायत लेकर वह अमेरिका जाएगी। यदि किसी महिला की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की जाती है तो वो क्या करेगी। राजनेता, पत्रकार, और अब जजों के भी निशाना बनाया जा रहा है। किसी मैसेज के कारण कहीं कोई दंगा फैलता है तो हम यह जानना चाहते हैं कि आखिर खुराफात किसने शुरू किया।
आखिर दिक्कत कहां है इसको लेकर
25 फरवरी को नई गाइडलाइंस को नोटिफाई किया गया और तीन महीने का वक्त दिया गया कि वो यहां एक शिकायत का केंद्र बनाए एक अधिकारी की नियुक्ति करें। चांद पर जाने जैसी कोई बात तो नहीं कही और ना ही ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति के लिए आईएएस की परीक्षा लेनी होगी। या तो वो इसको अपनाना ही नहीं चाहते।
आप करोड़ों का मुनाफा कमाइए लेकिन किसी को कोई शिकायत दर्ज करानी है तो वह पुलिस के पास जाए या अमेरिका जाए जिसका नाम तक नहीं सुना। यहां मुनाफा कमाएंगे और भारतीय कानून और संविधान को नहीं मानेंगे ऐसा नहीं चलेगा। मैं ऐसे लोगों को याद दिलाना चाहता हूं ईस्ट इंडिया कंपनी जब भारत में आई थी वो बीते दौर की बात है। भारत में व्यापार करिए स्वागत है लेकिन नियम तो मानना ही होगा।
सरकार की आलोचना से नहीं घबराते
सरकार की आलोचना पर रोक के लिए ऐसा किया जा रहा .. रविशंकर प्रसाद का कहना है कि हमें कोई दिक्कत नहीं कि कोई सरकार की आलोचना करे। प्रधानमंत्री की आलोचना करे, सवाल पूछे यह ठीक इससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन किसी व्यक्ति के साथ कुछ होता है तो इसका हल भी निकलना चाहिए। कोई खुराफात हुई है तो पता चलना चाहिए कि आखिर वह शुरू कहां से हुई।
ट्विटर के साथ क्यों है तनातनी
ट्विटर के साथ तनातनी चल रही है ऐसा क्यों है। इसके जवाब में कानून मंत्री का कहना है कि मैं कहना चाहता हूं ट्विटर से अमेरिकी कंपनी है और आपके यहां करोड़ो यूजर्स हैं। आप अपने ही यूजर्स को किसी शिकायत का समाधान नहीं दे रहे और हमें डेमोक्रेसी का लेक्चर दे रहे। आप कौन होते हैं ज्ञान देने वाले। भारत का संविधान है निष्पक्ष न्याय प्रणाली है, मीडिया है। हमारी जवाबदेही है और आपका एक ऐसा ऑफिस और अधिकारी तक नहीं जो ऐसे मामलों को देख सके।
हाइलाइट्स:
- सुप्रीम कोर्ट ने प्रज्वला केस में कहा था सोशल मीडिया को लेकर एक सख्त कानून बनना चाहिए
- चाइल्ड पोर्नोग्राफ्री से जुड़ा कोई मामला है तो तय समय में पता चलना चाहिए कि मैसेज कहां से आया
- कहीं कोई दंगा फैलता है तो हम यह जानना चाहते हैं कि आखिर खुराफात किसने शुरू किया
सोशल मीडिया की नई गाइडलाइन के बाद सरकार और खासकर ट्विटर Twitter के विवाद के बीच केंद्रीय आईटी और लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने साफ कहा कि नियम तो मानना ही होगा। सोशल मीडिया को लेकर नई गाइडलाइन कहीं से भी कोई अभिव्यक्यित की आजादी पर रोक नहीं है। facebook,Twitter,Whatsapp,Instagram और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के लिए नई गाइडलाइन और उसके बाद के विवाद को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते केंद्रीय मंत्री ने कई सवालों के जवाब दिए।
क्या किसी प्रकार का कंट्रोल चाहती है सरकार
इस गाइडलाइन को लेकर ऐसी धारणा बनी कि सरकार कंट्रोल करना चाहती है। आखिर सोशल मीडिया कंपनियां सरकार से गुस्सा क्यों हैं। इसके जवाब में रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह गाइडलाइन अचानक से नहीं जारी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने प्रज्वला केस 2018 में कहा था कि रेप इत्यादि पर सोशल मीडिया को लेकर एक सख्त कानून बनना चाहिए। दूसरा मामला 2019 में आया जब फेसबुक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफ्री से जुड़ा कोई मामला है तो तय समय में पता चलना चाहिए कि यह मैसेज कहां से आया। संसद, सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा के बाद इसको लाया गया है।
वो भारत में बिजनस करने और मुनाफा कमाने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन भारत के संविधान के के प्रति उनकी जवाबदेही है। व्यापार भारत में करेंगे और कानून अमेरिका का पालन करेंगे यह हमको मंजूर नहीं।
रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री
मुनाफा यहां और कानून अमेरिका का ऐसा नहीं चलेगा
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बाल यौन शोषण को लेकर संसद के कई सत्र में न जाने कितने सवाल आए। उप राष्ट्रपति वैंकेया नायडू की ओर से कमिटी बनाई गई । कई बार की चर्चा और और सुझाव के बाद इसको लाया गया और हमारी कोई मंशा कंट्रोल करने की नहीं है। यह कानून आया ही क्यों इसके जवाब में रविशंकर प्रसाद का कहना है कि यह लोगों की डिमांड, कोर्ट के निर्देश और संसदीय कमिटी की चर्चा के बाद इसको लाया गया है। यदि कोई मां अपनी बेटी जिसके साथ बदला लेने के लिए कोई गलत तस्वीर डालता है तो क्या इसकी शिकायत लेकर वह अमेरिका जाएगी। यदि किसी महिला की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की जाती है तो वो क्या करेगी। राजनेता, पत्रकार, और अब जजों के भी निशाना बनाया जा रहा है। किसी मैसेज के कारण कहीं कोई दंगा फैलता है तो हम यह जानना चाहते हैं कि आखिर खुराफात किसने शुरू किया।
आखिर दिक्कत कहां है इसको लेकर
25 फरवरी को नई गाइडलाइंस को नोटिफाई किया गया और तीन महीने का वक्त दिया गया कि वो यहां एक शिकायत का केंद्र बनाए एक अधिकारी की नियुक्ति करें। चांद पर जाने जैसी कोई बात तो नहीं कही और ना ही ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति के लिए आईएएस की परीक्षा लेनी होगी। या तो वो इसको अपनाना ही नहीं चाहते।
आप करोड़ों का मुनाफा कमाइए लेकिन किसी को कोई शिकायत दर्ज करानी है तो वह पुलिस के पास जाए या अमेरिका जाए जिसका नाम तक नहीं सुना। यहां मुनाफा कमाएंगे और भारतीय कानून और संविधान को नहीं मानेंगे ऐसा नहीं चलेगा। मैं ऐसे लोगों को याद दिलाना चाहता हूं ईस्ट इंडिया कंपनी जब भारत में आई थी वो बीते दौर की बात है। भारत में व्यापार करिए स्वागत है लेकिन नियम तो मानना ही होगा।
सरकार की आलोचना से नहीं घबराते
सरकार की आलोचना पर रोक के लिए ऐसा किया जा रहा .. रविशंकर प्रसाद का कहना है कि हमें कोई दिक्कत नहीं कि कोई सरकार की आलोचना करे। प्रधानमंत्री की आलोचना करे, सवाल पूछे यह ठीक इससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन किसी व्यक्ति के साथ कुछ होता है तो इसका हल भी निकलना चाहिए। कोई खुराफात हुई है तो पता चलना चाहिए कि आखिर वह शुरू कहां से हुई।
ट्विटर के साथ क्यों है तनातनी
ट्विटर के साथ तनातनी चल रही है ऐसा क्यों है। इसके जवाब में कानून मंत्री का कहना है कि मैं कहना चाहता हूं ट्विटर से अमेरिकी कंपनी है और आपके यहां करोड़ो यूजर्स हैं। आप अपने ही यूजर्स को किसी शिकायत का समाधान नहीं दे रहे और हमें डेमोक्रेसी का लेक्चर दे रहे। आप कौन होते हैं ज्ञान देने वाले। भारत का संविधान है निष्पक्ष न्याय प्रणाली है, मीडिया है। हमारी जवाबदेही है और आपका एक ऐसा ऑफिस और अधिकारी तक नहीं जो ऐसे मामलों को देख सके।