नौ साल बाद होने वाली पदोन्नति की पॉलिसी का विरोध: साल दर साल प्रमोशन के बजाय एक पदोन्नति मिलने की सूचना पर आंदोलन के मूड में संगठन – Bhopal News

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नौ साल बाद होने वाली पदोन्नति की पॉलिसी का विरोध:  साल दर साल प्रमोशन के बजाय एक पदोन्नति मिलने की सूचना पर आंदोलन के मूड में संगठन – Bhopal News

नौ साल बाद होने वाली पदोन्नति की पॉलिसी का विरोध: साल दर साल प्रमोशन के बजाय एक पदोन्नति मिलने की सूचना पर आंदोलन के मूड में संगठन – Bhopal News

एसीएस को ज्ञापन सौंपने जाते मंत्रालय कर्मचारी अधिकारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक।

नौ साल से अटकी पदोन्नति की प्रक्रिया फिर शुरू किए जाने के बीच पदोन्नति के प्रावधानों को लेकर कर्मचारी संगठन मुखर होने लगे हैं। पदोन्नति का लाभ वर्षवार दिए जाने के बजाय नौ साल में एक ही पदोन्नति दिए जाने की सरकार की तैयारी की विरोध भी शुरू हो गया है औ

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मंत्रालय सेवा अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा नौ सालों से बंद पदोन्नति के संबंध में घोषणा कर पदोन्नति प्रक्रिया प्रारंभ करने की बात कही गई है। इस बीच कर्मचारी संगठनों तक अपुष्ट सूत्रों से जानकारी आई है कि पदोन्नति प्रक्रिया में पदोन्नति के लिए पात्र शासकीय सेवकों को केवल एक पदोन्नति का ही लाभ दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। साथ ही वर्ष 2016 से वरिष्ठता की गणना करते हुए केवल वर्तमान स्थिति में ही पदोन्नत करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। संघ के अनुसार पदोन्नति में हर संवर्ग में वर्टिकल आरक्षण का ध्यान नहीं रखा जा रहा है, यह बात भी संज्ञान में आई है। संघ ने शुरू से यह मांग की है कि वर्ष 2016 से पदोन्नति बंद रहने से कर्मचारियों का कोई दोष नहीं है, इसलिए इसकी सजा कर्मचारियों को नहीं मिलनी चाहिए। साथ ही पदोन्नति के हर संवर्ग में 16 प्रतिशत एससी, 20 प्रतिशत एसटी और हर संवर्ग में शेष सभी पदों पर अनारक्षित वर्ग को पदोन्नति दी जानी चाहिए। अधिकारी वर्ग इस तरह का पदोन्नति प्रस्ताव तैयार नहीं कर हा है। ऐसा किए जाने पर आंदोलन की स्थिति बनना तय है। इसलिए सरकार से आग्रह है कि सभी वर्गों के साथ समान न्यायसंगत व्यवहार करते हुए वर्ष 2016 से वरिष्ठता और सभी संवर्गों में वर्टिकल आऱक्षण के अनुसार ही पदोन्नति नीत बनाने की कार्यवाही की जाए।

कर्मचारी संघ ने कहा है कि यदि 2016, 2017, 2018, 2019, 2020, 2021, 2022, 2023, 2024 की डीपीसी अलग-अलग नहीं की गयी और प्रत्येक संवर्ग में वर्टिकल आरक्षण नहीं रखा गया तो फिर सभी वर्ग के साथ न्याय नहीं हो पायेगा । ऐसे में नई नीति को चुनौती देने वाली सैकड़ों याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर होने की स्थिति निर्मित होगी।

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