नैनों की खिड़की से तुमको पल-पल मैं निहारूं… दिल में बसा लूं, आरती उतारूं | inspiration of Acharyashree, jabalpur got various projects of service | News 4 Social

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नैनों की खिड़की से तुमको पल-पल मैं निहारूं… दिल में बसा लूं, आरती उतारूं | inspiration of Acharyashree, jabalpur got various projects of service | News 4 Social

नैनों की खिड़की से तुमको पल-पल मैं निहारूं… दिल में बसा लूं, आरती उतारूं | inspiration of Acharyashree, jabalpur got various projects of service | News 4 Social

सत्य, अहिंसा, संयम और त्याग का मार्ग दिखलाने वाले आचार्यश्री का सानिध्य प्राप्त करने में शहर को विशेष कृपा प्राप्त रही। संतों का गमन या विहार किस दिशा में होगा, यह तो कोई नहीं जान सकता, लेकिन शहरवासी सौभाग्यशाली हैं कि आचार्यश्री ने अपने जीवनकाल में यहां अनुयायियों को अपने आशीष से अभिसिंचित किया। उनकी मोहक मुस्कान हर श्रावक-श्राविका को सारे कष्टों से मुक्त कर देती थी। उनकी स्मृतियां यहां हमेशा अक्षुण्ण बनी रहेंगी।

आचार्यश्री की प्रेरणा से संस्कारधानी को मिले सेवा के विभिन्न प्रकल्प

आचार्य श्री विद्यासागर की प्रेरणा से संस्कारधानी में कई ऐसे सेवा प्रकल्प की स्थापना हुई जिन्होंने समाज को नई दिशा दी। इनमें गो संरक्षण के लिए दयोदय तीर्थ, बालिका शिक्षा के लिए प्रतिभा स्थली, आयुर्वेद को बढ़ावा देने पूर्णायु आयुर्वेद की स्थापना हुई।

गो सरंक्षण और गो रक्षा के लिए आचार्यश्री की प्रेरणा से संस्कारधानी में दयोदय पर्यावरण एवं पशु संवर्धन केन्द्र प्रारंभ हुआ। राष्ट्र के प्रति चिंतन, स्वदेशी, एवं परम्परागत सामग्री को बढ़ावा देने के लिए आचार्यश्री की प्रेरणा से शुरू किए गए प्रकल्प आज देशभर में नई पहचान बना रहे हैं। बालिकाओं की शिक्षा के लिए आचार्यश्री की प्रेरणा से प्रतिभास्थली प्रारंभ हुई। खादी के उत्पादों को भी बढ़ावा देने का कार्य उन्होंने किया। चल चरखा के माध्यम से खादी को प्रोत्साहन देने का प्रकल्प शुरू किया। आयुर्वेद चिकित्सा केन्द्र अब बालिकाओं का कॉलेज बन चुका है।

25 वर्षों से संचालित है गोशाला
गोवंश की रक्षा के लिए आचार्यश्री की प्रेरणा से आर्यिका माता के सानिध्य में आर्यिका माता के ससंघ सानिध्य में युवाओं की टीम बनाकर 1999 में यहां गोशाला शुरू की गई। गोशाला का काम जब प्रारंभिक चरण में रहा उस समय सन् 2000 में आचार्यश्री का ससंघ चातुर्मास भी यहां पर हुआ। देश में आज 150 गोशालाओं का संचालन किया जा रहा है।

चल चरखा केन्द्र से रोजगार, स्वदेशी प्रकल्प से शाकाहार
आचार्य श्री ने स्वदेशी को प्रेरित किया। आचार्य श्री और उनके प्रकल्प के संपर्क में आने के बाद लोगों ने आजीवन शाकाहार का व्रत भी लिया। आचार्य श्री की प्रेरणा से ही महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रोत्थान के लिए दयोदय तीर्थ में चल चरखा केंद्र प्रारंभ हुआ। यहां का संचालन ब्रम्हचारी बहने करती हैं और दो सौ ज्यादा महिलाओं को यहां रोजगार मिला है। केंद्र में निर्मित हथकरघा पर बुना वस्त्र, परंपरागत दाबू बघरू, बाघ इंडिगो शिबोरी की छपाई से बने वस्त्र, जड़ी-बूटियों से रंगे औषधीय वस्त्र, धागों की कढ़ाई आदि हस्तशिल्प से सजी वस्तुओं में अनन्यता, सौंदर्य लावण्य, रचनात्मकता का आकर्षण है। यहां के बाद तिहाड़ जेल में यह प्रकल्प शुरू हुआ।

बालिकाओं की शिक्षा के लिए बनाया प्रतिभा स्थली
आचार्य की प्रेरणा से तिलवारा दयोदय तीर्थ परिसर में प्रतिमा स्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ का निर्माण और संचालन सन् 2005 में प्रारंभ हुआ। छह बालिकाओं से प्रारंभ हुए प्रकल्प में आज एक हजार से ज्यादा बालिकाएं अध्ययन कर रही हैं। चौथी से 12वीं तक की बालिकाओं के लिए शालेय परिसर में आवासीय व्यवस्था है। यहां शिक्षण के साथ सांस्कृतिक, खेलकूद, विविध कलाओं से श्रेष्ठ जैन समाज की ब्रहाचारिणी बहनें मानद सेवाएं प्रदान कर रही है। प्रतिभा स्थली में अध्ययन करने के बाद छात्राएं डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस जैसे उच्च पदों पर आसीन हैं।

आयुर्वेद को प्रोत्साहन दे रहा पूर्णायु
दयोदय तीर्थ तिलवाराघाट में पूर्णायु की आधारशिला आचार्य श्री के ससंघ सानिध्य में 7 मई 2019 को रखी गई थी। इसका उद्देश्य छात्राओं को शिक्षित करना और आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुसंधान के लिए प्रेरित करना है। यहां आयुर्वेद पर अनुसंधान और रिसर्च हो रहे हैं।

नंदीश्वर दीप का हुआ निर्माण
आचार्य श्री विद्यासागर के ससंघ सानिध्य में 1984 में पिसनहारी की मढिया में नंदीश्वर दीप का निर्माण प्रांरभ हुआ। जो बाद में भव्य मंदिदर बना। यहां संगमरमर के 52 जिनालयों में 132 प्रतिमाएं विराजित हैं, जो अनुपम छटा लिए हुए हैं।

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