नेहरू, इंदिरा, राजीव… आकाशवाणी पर तीनों के निधन की खबर देने वाले राजेंद्र अग्रवाल चले गए
कौन से थे राजेंद्र अग्रवाल के यादगार बुलेटिन
राजेंद्र अग्रवाल के पास दिलचस्प किस्सों का खजाना था। यूं तो उन्होंने अनगिनत बार खबरें सुनाई थीं, पर पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की मृत्यु के समाचारों को पढ़ते हुए उनके हाथ कांप रहे थे। वे ऐसा स्वंय बताते थे। इतनी बड़ी शख्सियतों की मृत्यु का सामाचार देश को प्रसारित करना कोई आसान काम तो नहीं था। उन्होंने देश को भारत-चीन युद्ध और भारत पाकिस्तान युद्ध (1965, 1971) के समाचार भी सुनाए थे। राजेंद्र अग्रवाल कहते थे कि उन्होंने देवकीनंदन पांडे से खबरों को पढ़ने का सलीका जाना।
वे बताते थे कि आकाशवाणी के सुबह 8 बजे या फिर रात 9 बजे के 15-15 मिनट के बुलेटिनों करोड़ों लोग सुनकर देश-दुनिया की हलचलों को जान पाते थे। तब समाचारों में शोर और कोलाहल के लिए जगह नहीं होती थी। खबरों को बिना किसी निजी राय या दृष्टिकोण के परोसा जाता था। समाचार जैसे होते थे, वैसे ही प्रस्तुत कर दिए जाते थे। यह वह समय था जब आकाशवाणी और दूरदर्शन पर उच्चारण और प्रस्तुति का बहुत महत्व था।
किससे खबरें पढ़ना सब सीखते थे
देवकीनंदन पांडे आकाशवाणी के समाचार वाचकों की कई पीढ़ियों के आदर्श रहे और अब भी हैं। राजेंद्र अग्रवाल कहते थे कि पांडे जी से सब नुक्ते के प्रयोग से लेकर शब्दों के सही उच्चारण को सीखा करते थे। पांडे जी मौजूदा उत्तराखंड के मूल निवासी थे। उनका उच्चारण अतुलनीय था। आकाशवाणी की लोकप्रिय समाचार वाचिकाओं में विनोद कश्यप भी थीं। 30 वर्षों से अधिक समय तक अपनी आवाज़ से समाचारों को घर-घर पहुंचाने वाली विनोद जी 1992 मे आकाशवाणी से रिटायर हुईं थीं। इस बीच, आकाशवाणी के महान समाचार वाचकों की चर्चा हो और अंग्रेजी भाषा के समाचार वाचक मेलविल डिमेलो का नाम छूट जाए यह तो नहीं हो सकता।
पंडित जवाहरलाल नेहरु ने आकाशवाणी से 30 जनवरी, 1948 को रात 8 बजे देश-दुनिया को रुधे गले से महात्मा गांधी के संसार से चले जाने का समाचार दिया। उसके फौरन बाद 35 साल के एंग्लो इंडियन नौजवान मेलविल डिमेलो ने अंग्रेजी के समाचार बुलेटिन में विस्तार से महात्मा गांधी की हत्या संबंधी खबर सुनाई। उन्होंने ही बापू की महाप्रयाण यात्रा का आंखों देखा हाल सुनाया था।