नेताजी जोश में, मतदाता होश में, चुनावी तस्वीर दिलचस्प है | seats are in discussion in jabalpur | News 4 Social h3>
जबलपुर। प्रतिद्वंदिता जितनी पुरानी होती है उतनी हीे गहरी होती जाती है। ऐसे में इसमें जीत-हार प्रतिष्ठा का प्रश्र और हिसाब बराबर करने का मौका भी होता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में भी महकोशल के जबलपुर, कटनी और नरसिंहपुर की कुछ सीटों पर पुराने प्रदिद्वंदी फिर चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं। यह सीटें पुराना हिसाब चुकता करने के लिए चर्चा में हैं। पिछली बार के चुनाव में हार का सामना करने वाले नेताजी इस बार पूरी ताकत झोंक रहे हैं। उनके मन की कसक प्रचार के दौरान बार-बार छलक-छलक कर बाहर आ रही है। उनकी कोशिश है कि जीत दर्ज कर पुरानी हार का बदला लिया जाए। वहीं जीत दर्ज करने वालों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
बात मान-सम्मान-विरासत की
बरगी विधानसभा क्षेत्र में पिछली बार भाजपा को कड़ी चुनौती में कांग्रेस ने हरा दिया था। परम्परागत सीट पर हार की टीस को चुकाने का मौका भाजपा ने इस बार पुराने प्रत्याशी के पुत्र को दी है। विजेता कांग्रेस प्रत्याशी दो बार शहरी सीटों पर हार का सामना कर चुके थे। ऐसे में पिछले चुनाव की जीत को कायम रखना उनके लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं भाजपा प्रत्याशी अपनी विरासत फिर से हासिल करने के लिए दम भर रहे हैं।
रसूख की परीक्षा
जबलपुर पूर्व विधानसभा सीट हमेशा चर्चा में रहती है। यहां से दो पारम्परिक लड़ाके इस बार भी चुनावी जंग में हैं। कांग्रेस ने पिछली बार भाजपा पर दमदार जीत दर्ज की थी। कांग्रेस की सरकार बनी, तो क्षेत्र कैबिनेट मंत्री का इलाका बनने का इनाम भी मिला। वहीं भाजपा ने भी इस क्षेत्र के प्रत्याशी को मंत्री पद से नवाजा था। अब वे पुरानी हार का बदला लेने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। कांग्रेस को रुतबा बरकरार रखने की चुनौती है। उनके कुछ अपने भी चुनाव मैदान में ताल ठोक कर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
अप्रत्याशित हार की बेचैनी
पाटन विधानसभा में भी भाजपा और कांग्रेस के पिछले दो चुनावों में एक-एक बार जीत दर्ज कर हिसाब बराबर किया था। इस बार कांग्रेस पिछली हार को चुकता कर बढ़त लेना चाहेगी। भाजपा के मंत्री को हरा कर २०१३ में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस क्षेत्र में सक्रिय भी रही लेकिन २०१८ के चुनाव में भाजपा ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली। इस हार की कसक पूरा करने कांग्रेस पूरी तैयारी में हैं।
हजम नहीं हुई थी हार
कटनी की बहोरीबंद सीट पर भी कांग्रेस हार का बदला लेने की पूरी कोशिश करेगी। पिछले चुनाव में उसको भाजपा से हार मिली थी। इस बार फिर वहीं प्रत्याशी आमने-सामने हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए यह हार का हिसाब चुकता करने का मौका है। वहीं भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा की लड़ाई साबित हो रही है।
बदले का अवसर
नरसिंहपुर की तेंदूखेड़ा सीट पर भी दोनों पार्टियों ने पुराने प्रत्याशी दोहराकर मुकाबले में पुरानी अदावत का तडक़ा लगा दिया है। भाजपा पिछली यह सीट हार गई थी। पिछली हार से सबक लेकर पार्टी ने पुराने उम्मीदवार पर भरोस जताया है। ऐसे में इस सीट पर पुरानी हार को जीत में बदलने का मौका है।