नीलिमा अजीम 23 की उम्र में बनी थीं मां, कहा- मैं स्टेज पर परफॉर्म करती थी और शाहिद वहीं… h3>
संजय दत्त की ‘सड़क’, अमिताभ बच्चन की ‘सूर्यवंशम’ और इरफान की ‘ब्लैकमेल’, शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) और ईशान खट्टर (Ishan Khattar) की मां नीलिमा अजीम (Neelima Azeem) ने बॉलिवुड से लेकर टीवी पर ‘सांस’ और ‘द सोर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ जैसे पॉप्युलर सीरियल्स में भी काम किया है। शाहिद कपूर का जन्म तब हुआ, जब नीलिमा अजीम ने पंकज कपूर (Pankaj Kapur) से शादी की। जबकि ईशान खट्टर, नीलिमा और राजेश खट्टर (Rajesh Khattar) की संतान हैं। नीलिमा अब दादी भी बन चुकी हैं। बहू मीरा राजपूत (Mira Rajput) ने उन्हें मीशा और जैन के रूप में यह सुख दिया है। जब शाहिद का जन्म हुआ तब नीलिमा महज 23 साल की थीं। ऐक्टिंग करियर भी उफान पर था, ऐसे में पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाना एक मां होने के नाते नीलिमा के लिए बड़ा काम था।
‘शाहिद स्टेज के कोने में बैठा रहता था’
हमारे सहयोगी ETimes को दिए इंटरव्यू में नीलिमा बताती हैं, ‘मैं तब काम कर रही थी। इस कारण मुझे बहुत ट्रेवल भी करना पड़ता था। मैं स्टेज पर परफॉर्म करती रहती थी और वह स्टेज के किनारे में बैठकर मुझे देखता रहता था। उसने बचपन से ही मुझे सिर्फ काम करते हुए नहीं देखा, बल्कि मेरे काम से सीख भी लेता गया। बाद में जब मैं मुंबई शिफ्ट हुई तो मुझे ऐक्टिंग के कई ऑफर्स मिलने लगे। वह अपने नाना-नानी के साथ रहा। बाद में वह मेरे पास मुंबई आ गया। किसी भी छोटे बच्चे के लिए इस तरह रहना मुश्किल होता है, लेकिन मुझे खुशी है कि शाहिद न सिर्फ सबसे घुलमिल कर रहा, जबकि इसने उसकी जिंदगी को आकार भी दिया।’
मां-बाप का तलाक और शाहिद का बचपन
शाहिद कपूर जब तीन साल के थे, तभी पंकज कपूर और नीलिमा अजीम का तलाक हो गया। पंकज कपूर ने सुप्रिया पाठक से शादी कर ली। शाहिद तब दिल्ली में ही अपने नाना-नानी और मामा-मामी के पास थे। नीलिमा बताती हैं कि शाहिद पढ़ने-लिखने में अच्छे थे। आर्ट्स में वह बहुत अच्छे थे। वह खेलकूद में भी खूब हिस्सा लेते थे।
नीलिमा की नजर में शाहिद की टॉप तीन फिल्में
नीलिमा को शाहिद पर गर्व हैं। वह उनके ऐक्टिंग करियर से बेहद खुश हैं। नीलिमा बताती हैं कि शाहिद की ‘हैदर’, ‘कमीने’ और ‘कबीर सिंह’ उनके हिसाब से ऐक्टर के करियर की टॉप तीन फिल्में हैं। हालांकि, वह यह भी मानती हैं कि शाहिद ने अपने करियर में कई ऐसी फिल्मों में भी काम किया, जो उन्हें नहीं करनी चाहिए थी।
जब पहली बार मां के पास किया मीरा का जिक्र
नीलिमा ने उस वाकये का भी जिक्र किया जब शाहिद ने पहली बार मां से मीरा राजपूत को लेकर बात की थी। नीलिमा कहती हैं, ‘शाहिद शुरू से शर्मीला रहा है। जबकि ईशान एक्सप्रेसिव रहा है। ऐसे में वह मीरा के बारे में भी बताते हुए भी बहुत शरमा रहा था। लेकिन जैसे-तैसे उसने मुझे बता दिया। मैं तत्काल मीरा से मिली। मीरा मुझे बहुत प्यारी लगी। वह सिर्फ सुंदर और ग्लैमरस नहीं थी, बल्कि उसमें मुझे एक ऐसी लड़की दिखी जो जिंदगी को बैलेंस करना जानती है। वह मुझे झट से पसंद आ गई थी। मैं मीरा के मां की दोस्त भी थी।’
‘मीरा मेरी बेटी, शाहिद खुश रहता है’
नीलिमा कहती हैं, ‘मीरा मेरी बेटी की तरह है। असल में हमारा रिश्ता दोस्ती का भी है। वह जब से शाहिद की जिंदगी में आई है, वह शादी के बाद रिलैक्स हो गया है। वह हमेशा खुश दिखने लगा है।’ नीलिमा बताती हैं कि शाहिद के बच्चों मीशा और जैन में उनकी जान बसती है। वह कहती हैं, ‘मैं जब बच्चों से मिलती हूं तो सब भूल जाती हूं। ईशान तो मीशा और जैन का दीवाना है।’
एक-दूसरे से कितने अलग हैं शाहिद और ईशान?
शाहिद और ईशान एक-दूसरे से कितने अलग हैं? इस सवाल के जवाब में नीलिमा कहती हैं, ‘बहुत ज्यादा नहीं। लेकिन हां, शाहिद इंट्रोवर्ट (अंतर्मुखी) है और ईशान एक्सट्रोवर्ट (बहिर्मुखी) है। ईशान के साथ रहकर शाहिद भी तेजतर्रार बन जाता है। शाहिद को क्रिकेट पसंद है, जबकि ईशान को फुटबॉल और ट्रेकिंग है। शाहिद स्कूल के दिनों में शरारती थी। वह बहुत प्रैंक्स करता था। लेकिन श्यामक डावर के डांस क्लास में इंस्ट्रक्टर बनने के बाद वह बहुत शांत हो गया। कई ऐसे मौके होते हैं जब दोनों भाई किताबों, खेलकूद और सिनेमा पर चर्चा करते हैं। दोनों को सुनने में मजा आता है। लेकिन ईशान और शाहिद के बीच एक समानता भी है। दोनों बहुत अच्छी मिमिक्री करते हैं।’
‘शाहिद स्टेज के कोने में बैठा रहता था’
हमारे सहयोगी ETimes को दिए इंटरव्यू में नीलिमा बताती हैं, ‘मैं तब काम कर रही थी। इस कारण मुझे बहुत ट्रेवल भी करना पड़ता था। मैं स्टेज पर परफॉर्म करती रहती थी और वह स्टेज के किनारे में बैठकर मुझे देखता रहता था। उसने बचपन से ही मुझे सिर्फ काम करते हुए नहीं देखा, बल्कि मेरे काम से सीख भी लेता गया। बाद में जब मैं मुंबई शिफ्ट हुई तो मुझे ऐक्टिंग के कई ऑफर्स मिलने लगे। वह अपने नाना-नानी के साथ रहा। बाद में वह मेरे पास मुंबई आ गया। किसी भी छोटे बच्चे के लिए इस तरह रहना मुश्किल होता है, लेकिन मुझे खुशी है कि शाहिद न सिर्फ सबसे घुलमिल कर रहा, जबकि इसने उसकी जिंदगी को आकार भी दिया।’
मां-बाप का तलाक और शाहिद का बचपन
शाहिद कपूर जब तीन साल के थे, तभी पंकज कपूर और नीलिमा अजीम का तलाक हो गया। पंकज कपूर ने सुप्रिया पाठक से शादी कर ली। शाहिद तब दिल्ली में ही अपने नाना-नानी और मामा-मामी के पास थे। नीलिमा बताती हैं कि शाहिद पढ़ने-लिखने में अच्छे थे। आर्ट्स में वह बहुत अच्छे थे। वह खेलकूद में भी खूब हिस्सा लेते थे।
नीलिमा की नजर में शाहिद की टॉप तीन फिल्में
नीलिमा को शाहिद पर गर्व हैं। वह उनके ऐक्टिंग करियर से बेहद खुश हैं। नीलिमा बताती हैं कि शाहिद की ‘हैदर’, ‘कमीने’ और ‘कबीर सिंह’ उनके हिसाब से ऐक्टर के करियर की टॉप तीन फिल्में हैं। हालांकि, वह यह भी मानती हैं कि शाहिद ने अपने करियर में कई ऐसी फिल्मों में भी काम किया, जो उन्हें नहीं करनी चाहिए थी।
जब पहली बार मां के पास किया मीरा का जिक्र
नीलिमा ने उस वाकये का भी जिक्र किया जब शाहिद ने पहली बार मां से मीरा राजपूत को लेकर बात की थी। नीलिमा कहती हैं, ‘शाहिद शुरू से शर्मीला रहा है। जबकि ईशान एक्सप्रेसिव रहा है। ऐसे में वह मीरा के बारे में भी बताते हुए भी बहुत शरमा रहा था। लेकिन जैसे-तैसे उसने मुझे बता दिया। मैं तत्काल मीरा से मिली। मीरा मुझे बहुत प्यारी लगी। वह सिर्फ सुंदर और ग्लैमरस नहीं थी, बल्कि उसमें मुझे एक ऐसी लड़की दिखी जो जिंदगी को बैलेंस करना जानती है। वह मुझे झट से पसंद आ गई थी। मैं मीरा के मां की दोस्त भी थी।’
‘मीरा मेरी बेटी, शाहिद खुश रहता है’
नीलिमा कहती हैं, ‘मीरा मेरी बेटी की तरह है। असल में हमारा रिश्ता दोस्ती का भी है। वह जब से शाहिद की जिंदगी में आई है, वह शादी के बाद रिलैक्स हो गया है। वह हमेशा खुश दिखने लगा है।’ नीलिमा बताती हैं कि शाहिद के बच्चों मीशा और जैन में उनकी जान बसती है। वह कहती हैं, ‘मैं जब बच्चों से मिलती हूं तो सब भूल जाती हूं। ईशान तो मीशा और जैन का दीवाना है।’
एक-दूसरे से कितने अलग हैं शाहिद और ईशान?
शाहिद और ईशान एक-दूसरे से कितने अलग हैं? इस सवाल के जवाब में नीलिमा कहती हैं, ‘बहुत ज्यादा नहीं। लेकिन हां, शाहिद इंट्रोवर्ट (अंतर्मुखी) है और ईशान एक्सट्रोवर्ट (बहिर्मुखी) है। ईशान के साथ रहकर शाहिद भी तेजतर्रार बन जाता है। शाहिद को क्रिकेट पसंद है, जबकि ईशान को फुटबॉल और ट्रेकिंग है। शाहिद स्कूल के दिनों में शरारती थी। वह बहुत प्रैंक्स करता था। लेकिन श्यामक डावर के डांस क्लास में इंस्ट्रक्टर बनने के बाद वह बहुत शांत हो गया। कई ऐसे मौके होते हैं जब दोनों भाई किताबों, खेलकूद और सिनेमा पर चर्चा करते हैं। दोनों को सुनने में मजा आता है। लेकिन ईशान और शाहिद के बीच एक समानता भी है। दोनों बहुत अच्छी मिमिक्री करते हैं।’