निशानेबाजी में नाम कमा रहीं नुपूर | Nupur earning name in shooting | Patrika News
इंदौरPublished: Mar 20, 2023 11:37:56 am
बेटमा की बिटिया : खेल के लिए झेला घर व बाहर विरोध, पिता ने दिया साथ, अनेक पदक जीते
निशानेबाजी में नाम कमा रहीं नुपूर
मनीष यादव @ इंदौर
पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा, बेटा हमारा ऐसा काम करेगा… ये फिल्मी गीत है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बेटे ही नाम करते हैं, बेटियां भी ऐसा काम करती हैं कि पापा का नाम रोशन हो जाता है। आज बेटियां किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं हैं। ऐसी ही एक बिटिया हैं बेटमा की नुपूर कुमरावत, जो निशानेबाजी में नाम कमा रही हैं।
नुपूर ने हाल ही में राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। नुपूर की कहानी भी कम फिल्मी नहीं है। पिता उसे पहले एथलीट बनाना चाहते थे। वह उसमें कुछ कमाल नहीं दिखा पाईं। इसी तरह से दो अन्य खेलों में प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सकीं। पिता का सपना था कि बेटी को खिलाड़ी के रूप में देखें। फिर क्या था, बिटिया पापा का सपना पूरा करने के लिए लग गईं निशानेबाजी में। पहली बार में ही जूनियर वर्ग में सिलेक्शन हो गया। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। नुपूर ने केरल, दिल्ली, भोपाल, असम, मिस्र आदि स्थानों पर आयोजित कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है और छह स्वर्ण, एक रजत व तीन कांस्य पदक जीत चुकी हैं।
घर में विरोध, दादाजी ने किया मना
12 साल की उम्र में नुपूर का भोपाल खेल अकादमी में सिलेक्शन हो गया था। एक तो ग्रामीण क्षेत्र का माहौल, जिसके चलते बाहर के साथ ही घर में भी विरोध हुआ। दादाजी को पता चला कि उसे भोपाल जाना है तो उन्होंने मना कर दिया। उनके सामने पिता चट़्टान बन गए। उन्होंने अपने पिता को समझाया। इसके बाद नुपूर को भोपाल भेज दिया गया। वहां पर रहकर ही वो निशानेबाजी की प्रैक्टिस के साथ पढ़ाई भी कर रही हैं।
सुबह 5 बजे उठकर जाते भोपाल
छोटी बच्ची अपने परिवार से दूर रहने के कारण उदास न हो जाए और उसकी प्रैक्टिस पर असर नहीं पड़े, इसलिए उसके माता-पिता हर सप्ताह सुबह 5 बजे उठकर भोपाल पहुंच जाते हैं। वहां पर पूरा दिन उसके साथ रहते हैं ताकि नुपूर परिवार की कमी महसूस नहीं करे। यह सिलसिला महीनों तक चलता रहा, तब तक कि नुपूर वहां के माहौल में ढल नहीं गईं।
स्कूल-कॉलेज का भी मिला साथ
पिता दिलीप कुमरावत ने बताया कि नुपूर की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसलिए एकेडमी के साथ स्कूल प्रबंधन से भी मिले। सभी ने अनुमति दे दी कि सिर्फ परीक्षा देने के लिए ही वह आ सकती हैं। अब वह कॉलेज में है। वहां भी वह सिर्फ परीक्षा देने के लिए जाती हैं।