निमोनिया का पैटर्न बदला,आरटीपीसीआर नेगेटिव, लेकिन फेफड़ों में संक्रमण कोविड जैसा | COVID-19 vs. flu: What’s the difference | Patrika News
भोपालPublished: Mar 04, 2023 02:21:06 pm
जो खांसी तीन-चार दिन में ठीक हो जानी चाहिए वह कम से कम दो हफ्ते तक खांसते-खांसते जान निकाल ले रही है। हफ्तेभर में ठीक हो जाने वाला वायरल पखवाड़े भर का मरीज बना दे रहा है। भोपाल में मौसम में आए बदलाव ने हर घर को बीमार कर दिया है। इसकी वजह से इन्फ्लूएंजा और वायरल समेत अन्य बीमारियों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है।
भोपाल. जो खांसी तीन-चार दिन में ठीक हो जानी चाहिए वह कम से कम दो हफ्ते तक खांसते-खांसते जान निकाल ले रही है। हफ्तेभर में ठीक हो जाने वाला वायरल पखवाड़े भर का मरीज बना दे रहा है। मौसम में आए बदलाव ने हर घर को बीमार कर दिया है। इसकी वजह से इन्फ्लूएंजा और वायरल समेत अन्य बीमारियों का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। हालांकि, ब्रेन स्ट्रोक और दिल से जुड़े रोगों के मरीजों की संख्या में कमी आई है। सबसे अधिक बीमारी की चपेट में बच्चे आ रहे हैं। जेपी और हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। जेपी अस्पताल की ओपीडी पिछले एक सप्ताह से दो हजार पहुंच रही है। जबकि, हमीदिया का आंकड़ा 3 हजार के करीब है।
फेफड़ों में संक्रमण के मामले बढ़े
डॉक्टरों का कहना है कि इन दिनों फेफड़ों में संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। हालांकि, कोविड टेस्ट निगेटिव है। चिंता वाली बात यह है कि निमोनिया का पैटर्न बदला है। मरीजों का आरटीपीसीआर नेगेटिव है, लेकिन फेफड़ों में संक्रमण कोविड जैसा ही है। मरीज गले में खराश व दर्द महसूस कर रहे हैं। खांसी 15 से 20 दिन तक परेशान कर रही है। हालांकि यह अपने आप ठीक भी हो रही है।
बच्चों तेजी से फैल रही बीमारी
निमोनिया दो महीनों से लेकर दो साल तक के बच्चों में तेजी से फैल रहा है। किसी के खांसने या छींकने पर बैक्टीरिया या वायरस की बूंदें हवा में फैल रही हैं। पीडि़त व्यक्ति द्वारा टच की गई किसी वस्तु को छूने और फिर उनके मुंह या नाक को छूने से भी निमोनिया हो रहा है। इससे बचने की जरूरत है।
जेपी के बच्चा वार्ड में बेड बढ़ीं
जेपी में बच्चों के लिए आरक्षित 25 बेड को बढ़ा कर 40 कर दिया गया है। सभी बेड 15 दिन से फुल हैं। ओपीडी भी 70 से बढ़कर 150 के पार पहुंच गई है। जिसमें 70 फीसदी के करीब बच्चे वायरल निमोनिया के हैं।
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सर्वाधिक मामले बच्चों में वायरल निमोनिया के हैं। बच्चों की ओपीडी 70 से बढ़कर 150 के पार पहुंच गई है। दो माह से दो साल तक के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। यह सीजनल बीमारी है। सावधानी बरतें।
डॉ.पीयूष पंचरत्न, शिशु रोग विशेषज्ञ, जेपी अस्पताल
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बदलते मौसम में सतर्क रहें। ज्यादा बुखार होने पर पैरासीटामोल लें। और डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। खुद से उपचार करने से समस्या बढ़ सकती है। गले में खराश, जुकाम, बदन दर्द और बुखार के मामले बढ़े हैं।
डॉ.योगेंद्र श्रीवास्तव, मेडिसिन विशेषज्ञ,जेपी अस्पताल