नालंदा व बिहार के लोगों से बेहद लगाव में छोड़ी आईएएस की नौकरी h3>
नालंदा व बिहार के लोगों से बेहद लगाव में छोड़ी आईएएस की नौकरी : मनीष
जदयू में शामिल होकर जिले व सूबेवासियों के सुख-दुख का मददगार बन पूरा कर सकूंगा पिताजी का सपना
राजनीति में नीतीश कुमार का स्थान सुपर से भी ऊपर, उतराधिकारी नहीं बनूंगा फॉलोअर
फोटो :
मनीष कुमार वर्मा : अपने परिजनों के साथ मनीष कुमार वर्मा।
बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता।
लालफीताशाही से राजनीति में कदम रखने जा रहे मनीष कुमार वर्मा ने कहा-मेरे पिता डॉ. अशोक कुमार वर्मा नामी-गिरामी चिकित्सक थे। लेकिन, सेवादार के रूप जीवन जिआ। यही कारण रहा कि उच्च शिक्षा पाने में हमें और छोटे भाई डॉ. रजनीश कुमार वर्मा को आर्थिक तंगी से गुजरनी पड़ी। बावजूद, हौसला बनाये रखा। और, अपनी इच्छा के अनुरूप आईएएस बन सिविल सेवा की नौकरी की। लेकिन, हमें ओडिशा कैडर मिला। बड़ी सफलता पाकर मैं, मेरा भाई व पूरा परिवार काफी खुश था। लेकिन, मेरे पिताजी को ज्यादा खुशी नहीं मिली। कारण, ओडिशा कैडर मिलना। क्योंकि, ओडिशा में रहकर अपने जिले व सूबे के लोगों की अपेक्षित सेवा नहीं कर सकता था। सो वे अक्सर बिहार आने की बात करते। ओडिशा कैडर रहते हुए बिहार में सेवा देने का फैसला किया। मौका भी मिला। लेकिन, अवधि समाप्त होने के बाद आखिरकार हमने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।
2000 बैच के आईएएस अधिकारी रहे मनीष कुमार वर्मा मंगलवार को जदयू में शामिल होने वाले हैं। उनके इस फैसले से उनके पैतृक गांव नीमचकबथानी (गया) के बरैनी गांव के साथ ही वर्तमान आवास बिहारशरीफ व पूरे जिले के लोगों में खुशी है। श्री वर्मा बताते हैं कि जदयू में शामिल होकर वे जिले व सूबेवासियों के सुख-दुख का मददगार बन पिताजी के सपनों को पूरा कर सकेंगे। उनका कहना था कि जो जितने बड़े ओहदे पर जाता है, उसपर उतना बड़ा कर्ज परिवार, समाज, गांव, प्रखंड, जिला व सूबे का चढ़ जाता है। उसे भरसक उतारने का प्रयास करना जरूरी है।
मुख्यमंत्री के राजनीतिक कद के बारे में बताते हुए कहा कि राजनीति में नीतीश कुमार का स्थान ‘सुपर से भी ऊपर है। मैं कितना भी कर लूं, उनकी जगह नहीं ले सकता। मैं उनका उतराधिकारी नहीं, फॉलोअर बनकर उनकी राह पर चलने का हरसंभव प्रयास करूंगा। कहते हैं-मैं अधिकारी रहते हुए भी उनकी विकास के प्रति प्रतिबद्धता का कायल था। अब तो उनके साथ और नजदीक जाकर काम करने का मौका मिलेगा, ऐसे में उनके अधूरे कार्यों को पूरा कर सकूं, यही मेरा सौभाग्य होगा।
पैसों की कमी पर पढ़ा लेते थे ट्यूशन:
मनीष कुमार वर्मा के चचेरे भाई व सबसे नजदीकी कहे जाने वाले श्याम बिहारी उर्फ शहरी जी कहते हैं कि मध्यम वर्ग से होने के कारण उच्च शिक्षा पाने के दौरान कई मौके आये जब मनीष को पैसों की कमी से जूझना पड़ा। लेकिन, बचपन से ही संघर्षशील प्रवृत्ति के होने के कारण वे कभी घबराते नहीं थे। बल्कि, समस्याओं के समाधान के लिए ‘क्विक एंड करेक्ट (तुरंत और सही) फैसला ले लेते। शायद उनकी यही सबसे बड़ी खूबी ने उन्हें बड़े ओहदे के लायक बनाया। कई बार पैसों की कमी होने पर ट्यूशन पढ़ाकर उसकी भरपाई करते। खुद पैसों की कमी झेल रहे होते, लेकिन कोई जरूरतमंद आ जाता तो उसे वह रुपये दे देते। ऐसा स्वभाव विरले में ही पाये जाते हैं।
संक्षिप्त जीवनी :
बिहारशरीफ के सरकारी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद उस वक्त के नामी स्कूलों में शुमार आदर्श हाईस्कूल (सरकारी स्कूल) से वर्ष 1988 में मैट्रिक पास किया। वे 723 नंबर लाकर जिला टॉपर बने थे। साइंस कॉलेज से इंटर साइंस पास करके आईआईटी दिल्ली से सिविल ब्रांच में बी-टेक किया। इसके बाद बड़ोदरा में इंडियन ऑयल कंपनी में बतौर इंजीनियर काम किया। इसी दौरान, आईएएस का एग्जाम दिया। लेकिन, खेल के दौरान उनके छोटे भाई का बॉल आंखों को घायल कर गया। ऐसे में उनकी तैयारी पूरी न हो सकी। यही कारण रहा कि दूसरी दफा में आईएएस की परीक्षा पास की।
ओडिशा व बिहार में डीएम :
ओडिशा में उनकी पहली पोस्टिंग गंजाम जिले के ब्रह्मपुर में बतौर एसडीएम हुई। इसके बाद 27 दिसंबर 2004 को मलकांगिरि के डीएम बने। इसके बाद संघमाग और बालासोर के डीएम के रूप में काम किया। पहली अप्रैल 1974 को जन्मे श्री वर्मा इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बुलावे पर बिहार आ गये। वर्ष 2012 में समाज कल्याण विभाग में निदेशक बने। तब, दिव्यांगों की बेहतरी के लिए परवरिश योजना लायी। इसी साल पूर्णिया तो 2014 में पटना के डीएम बने। 2022 में बिहार सरकार ने नया पद का सृजन कर उन्हें सीएम का अतिरिक्त परामर्शी बनाया गया। इस दौरान आपदा विभाग के सदस्य के रूप में भी काम किया। इनके छोटे भाई डॉ. रजनीश कुमार वर्मा व पत्नी डॉ. रश्मि चिकित्सक हैं। दो पुत्र अर्जुन व अर्णव हैं।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News
नालंदा व बिहार के लोगों से बेहद लगाव में छोड़ी आईएएस की नौकरी : मनीष
जदयू में शामिल होकर जिले व सूबेवासियों के सुख-दुख का मददगार बन पूरा कर सकूंगा पिताजी का सपना
राजनीति में नीतीश कुमार का स्थान सुपर से भी ऊपर, उतराधिकारी नहीं बनूंगा फॉलोअर
फोटो :
मनीष कुमार वर्मा : अपने परिजनों के साथ मनीष कुमार वर्मा।
बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता।
लालफीताशाही से राजनीति में कदम रखने जा रहे मनीष कुमार वर्मा ने कहा-मेरे पिता डॉ. अशोक कुमार वर्मा नामी-गिरामी चिकित्सक थे। लेकिन, सेवादार के रूप जीवन जिआ। यही कारण रहा कि उच्च शिक्षा पाने में हमें और छोटे भाई डॉ. रजनीश कुमार वर्मा को आर्थिक तंगी से गुजरनी पड़ी। बावजूद, हौसला बनाये रखा। और, अपनी इच्छा के अनुरूप आईएएस बन सिविल सेवा की नौकरी की। लेकिन, हमें ओडिशा कैडर मिला। बड़ी सफलता पाकर मैं, मेरा भाई व पूरा परिवार काफी खुश था। लेकिन, मेरे पिताजी को ज्यादा खुशी नहीं मिली। कारण, ओडिशा कैडर मिलना। क्योंकि, ओडिशा में रहकर अपने जिले व सूबे के लोगों की अपेक्षित सेवा नहीं कर सकता था। सो वे अक्सर बिहार आने की बात करते। ओडिशा कैडर रहते हुए बिहार में सेवा देने का फैसला किया। मौका भी मिला। लेकिन, अवधि समाप्त होने के बाद आखिरकार हमने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।
2000 बैच के आईएएस अधिकारी रहे मनीष कुमार वर्मा मंगलवार को जदयू में शामिल होने वाले हैं। उनके इस फैसले से उनके पैतृक गांव नीमचकबथानी (गया) के बरैनी गांव के साथ ही वर्तमान आवास बिहारशरीफ व पूरे जिले के लोगों में खुशी है। श्री वर्मा बताते हैं कि जदयू में शामिल होकर वे जिले व सूबेवासियों के सुख-दुख का मददगार बन पिताजी के सपनों को पूरा कर सकेंगे। उनका कहना था कि जो जितने बड़े ओहदे पर जाता है, उसपर उतना बड़ा कर्ज परिवार, समाज, गांव, प्रखंड, जिला व सूबे का चढ़ जाता है। उसे भरसक उतारने का प्रयास करना जरूरी है।
मुख्यमंत्री के राजनीतिक कद के बारे में बताते हुए कहा कि राजनीति में नीतीश कुमार का स्थान ‘सुपर से भी ऊपर है। मैं कितना भी कर लूं, उनकी जगह नहीं ले सकता। मैं उनका उतराधिकारी नहीं, फॉलोअर बनकर उनकी राह पर चलने का हरसंभव प्रयास करूंगा। कहते हैं-मैं अधिकारी रहते हुए भी उनकी विकास के प्रति प्रतिबद्धता का कायल था। अब तो उनके साथ और नजदीक जाकर काम करने का मौका मिलेगा, ऐसे में उनके अधूरे कार्यों को पूरा कर सकूं, यही मेरा सौभाग्य होगा।
पैसों की कमी पर पढ़ा लेते थे ट्यूशन:
मनीष कुमार वर्मा के चचेरे भाई व सबसे नजदीकी कहे जाने वाले श्याम बिहारी उर्फ शहरी जी कहते हैं कि मध्यम वर्ग से होने के कारण उच्च शिक्षा पाने के दौरान कई मौके आये जब मनीष को पैसों की कमी से जूझना पड़ा। लेकिन, बचपन से ही संघर्षशील प्रवृत्ति के होने के कारण वे कभी घबराते नहीं थे। बल्कि, समस्याओं के समाधान के लिए ‘क्विक एंड करेक्ट (तुरंत और सही) फैसला ले लेते। शायद उनकी यही सबसे बड़ी खूबी ने उन्हें बड़े ओहदे के लायक बनाया। कई बार पैसों की कमी होने पर ट्यूशन पढ़ाकर उसकी भरपाई करते। खुद पैसों की कमी झेल रहे होते, लेकिन कोई जरूरतमंद आ जाता तो उसे वह रुपये दे देते। ऐसा स्वभाव विरले में ही पाये जाते हैं।
संक्षिप्त जीवनी :
बिहारशरीफ के सरकारी स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद उस वक्त के नामी स्कूलों में शुमार आदर्श हाईस्कूल (सरकारी स्कूल) से वर्ष 1988 में मैट्रिक पास किया। वे 723 नंबर लाकर जिला टॉपर बने थे। साइंस कॉलेज से इंटर साइंस पास करके आईआईटी दिल्ली से सिविल ब्रांच में बी-टेक किया। इसके बाद बड़ोदरा में इंडियन ऑयल कंपनी में बतौर इंजीनियर काम किया। इसी दौरान, आईएएस का एग्जाम दिया। लेकिन, खेल के दौरान उनके छोटे भाई का बॉल आंखों को घायल कर गया। ऐसे में उनकी तैयारी पूरी न हो सकी। यही कारण रहा कि दूसरी दफा में आईएएस की परीक्षा पास की।
ओडिशा व बिहार में डीएम :
ओडिशा में उनकी पहली पोस्टिंग गंजाम जिले के ब्रह्मपुर में बतौर एसडीएम हुई। इसके बाद 27 दिसंबर 2004 को मलकांगिरि के डीएम बने। इसके बाद संघमाग और बालासोर के डीएम के रूप में काम किया। पहली अप्रैल 1974 को जन्मे श्री वर्मा इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बुलावे पर बिहार आ गये। वर्ष 2012 में समाज कल्याण विभाग में निदेशक बने। तब, दिव्यांगों की बेहतरी के लिए परवरिश योजना लायी। इसी साल पूर्णिया तो 2014 में पटना के डीएम बने। 2022 में बिहार सरकार ने नया पद का सृजन कर उन्हें सीएम का अतिरिक्त परामर्शी बनाया गया। इस दौरान आपदा विभाग के सदस्य के रूप में भी काम किया। इनके छोटे भाई डॉ. रजनीश कुमार वर्मा व पत्नी डॉ. रश्मि चिकित्सक हैं। दो पुत्र अर्जुन व अर्णव हैं।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।