नामकरण संस्कार गोशाला में कराएंगे तो बच्चों को मिलेगा प्रभु भक्ति का संस्कार – Sehore News h3>
.
ग्राम पंचायत कोटरा में चल रही संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक पंडित महेंद्र व्यास ने कहा कि गाय में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है। कंस से छुपकर भगवान का नामकरण संस्कार गंगाचार्य ऋषि ने नंदबाबा यशोदा के साथ गोकुल की गोशाला में किया था, जिससे बचपन से ही गो भक्ति के संस्कार बालगोपाल में आ गए थे। लेकिन अब होटलों में बच्चों के नामकरण संस्कार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जहां से बच्चों को केवल कुसंस्कार ही मिल रहे हैं।
गोशाला में बच्चों का नामकरण संस्कार होगा, तो बच्चों में प्रभु भक्ति स्वयं ही प्रगट होगी। पूतना वध प्रसंग सुनाते हुए पंडित व्यास ने कहा कि भगवान ने जिसको एक बार पकड़ लेते हैं, फिर उसे छोड़ते नहीं हैं। पूतना राक्षसी ग्वालन का रूप रखकर कन्हैया को जहरीला दूध पिलाकर मारने के लिए पहुंची थी, लेकिन जब भगवान दूध पीते पीते पूतना के प्राण हरने लगे तो पूतना छोड़ो छोड़ो चिल्लाने लगी, लेकिन भगवान ने पूतना को बैँकुंठ भेजकर उसका उद्धार करा दिया था। भगवान का नाम शत्रुता पूर्वक लेने वाले में प्रभु के प्रिय हो जाते हैं।
गोपियों के संग खेलते हैं होली, मटकियों को फोड़ते हैं कृष्ण भगवान की बाल लीलाएं सुनाते हुए पंडित व्यास ने कहा कि भगवान को मारने के लिए कंस ने कई राक्षसों को भेजा, भगवान ने सभी राक्षसों का वध किया। इस दौरान माखन चोरी, गोप गोपियों के संग होली, रासलीला, राधाजी का प्रेम, गोपी पद्मावती कथा, भगवान के माखन खाने पर घंटियों का बजना जैसे अनेक प्रसंग गोकुल में हुए। बालगोपाल बने बच्चों के द्वारा माखन मिश्री से भरी मटकियों को फोड़ा। आयोजक राम बाई सिसोदिया, मुख्य यजमान गिरवर सिंह सिसोदिया और रोजाना सैकड़ों श्रद्धालुजनों ने भागवत कथा का पूजन किया। कथा हर दिन दोपहर 12.30 बजे से शाम 4 बजे तक हो रहीे है।
सुमंत को प्राण दंड देने के लिए निकले राम राम से बड़ा राम का नाम प्रसंग सुनाते हुए पंडित महेंद्र व्यास ने कहा कि ऋषियों की सभा में नारदजी के कहने पर रामजी के मंत्री सुमंत ऋषि विश्वामित्र के चरण स्पर्श नहीं करते हैं। जिससे विश्वामित्र स्वयं को अपमानित मानते है और राजाराम को सुमंत के द्वारा की गई गलती को बताते हैं। तब रामजी सुमंत को प्राण दंड देने के लिए निकल पड़ते हैं। सुमंत अब नारद को तलाशते हैं। नारद मिलने के बाद माता अंजनी की शरण में जाने के लिए सुमंत से कहते हैं। हनुमान जी सुमंत की रक्षा करने के बात अंजनी माता से कहते हैं। तब हनुमान जी सुमंतजी को पहाड़ी की गुफा में पहुंचकर राम राम जपने के लिए कहते हैं। लेकिन भय के कारण सुमंत मरा मरा जपते हैं और रामचंद्रजी उनको रामनाम के कारण क्षमादान देते हैं।
मध्यप्रदेश की और खबर पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे – Madhya Pradesh News
.
ग्राम पंचायत कोटरा में चल रही संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक पंडित महेंद्र व्यास ने कहा कि गाय में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है। कंस से छुपकर भगवान का नामकरण संस्कार गंगाचार्य ऋषि ने नंदबाबा यशोदा के साथ गोकुल की गोशाला में किया था, जिससे बचपन से ही गो भक्ति के संस्कार बालगोपाल में आ गए थे। लेकिन अब होटलों में बच्चों के नामकरण संस्कार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जहां से बच्चों को केवल कुसंस्कार ही मिल रहे हैं।
गोशाला में बच्चों का नामकरण संस्कार होगा, तो बच्चों में प्रभु भक्ति स्वयं ही प्रगट होगी। पूतना वध प्रसंग सुनाते हुए पंडित व्यास ने कहा कि भगवान ने जिसको एक बार पकड़ लेते हैं, फिर उसे छोड़ते नहीं हैं। पूतना राक्षसी ग्वालन का रूप रखकर कन्हैया को जहरीला दूध पिलाकर मारने के लिए पहुंची थी, लेकिन जब भगवान दूध पीते पीते पूतना के प्राण हरने लगे तो पूतना छोड़ो छोड़ो चिल्लाने लगी, लेकिन भगवान ने पूतना को बैँकुंठ भेजकर उसका उद्धार करा दिया था। भगवान का नाम शत्रुता पूर्वक लेने वाले में प्रभु के प्रिय हो जाते हैं।
गोपियों के संग खेलते हैं होली, मटकियों को फोड़ते हैं कृष्ण भगवान की बाल लीलाएं सुनाते हुए पंडित व्यास ने कहा कि भगवान को मारने के लिए कंस ने कई राक्षसों को भेजा, भगवान ने सभी राक्षसों का वध किया। इस दौरान माखन चोरी, गोप गोपियों के संग होली, रासलीला, राधाजी का प्रेम, गोपी पद्मावती कथा, भगवान के माखन खाने पर घंटियों का बजना जैसे अनेक प्रसंग गोकुल में हुए। बालगोपाल बने बच्चों के द्वारा माखन मिश्री से भरी मटकियों को फोड़ा। आयोजक राम बाई सिसोदिया, मुख्य यजमान गिरवर सिंह सिसोदिया और रोजाना सैकड़ों श्रद्धालुजनों ने भागवत कथा का पूजन किया। कथा हर दिन दोपहर 12.30 बजे से शाम 4 बजे तक हो रहीे है।
सुमंत को प्राण दंड देने के लिए निकले राम राम से बड़ा राम का नाम प्रसंग सुनाते हुए पंडित महेंद्र व्यास ने कहा कि ऋषियों की सभा में नारदजी के कहने पर रामजी के मंत्री सुमंत ऋषि विश्वामित्र के चरण स्पर्श नहीं करते हैं। जिससे विश्वामित्र स्वयं को अपमानित मानते है और राजाराम को सुमंत के द्वारा की गई गलती को बताते हैं। तब रामजी सुमंत को प्राण दंड देने के लिए निकल पड़ते हैं। सुमंत अब नारद को तलाशते हैं। नारद मिलने के बाद माता अंजनी की शरण में जाने के लिए सुमंत से कहते हैं। हनुमान जी सुमंत की रक्षा करने के बात अंजनी माता से कहते हैं। तब हनुमान जी सुमंतजी को पहाड़ी की गुफा में पहुंचकर राम राम जपने के लिए कहते हैं। लेकिन भय के कारण सुमंत मरा मरा जपते हैं और रामचंद्रजी उनको रामनाम के कारण क्षमादान देते हैं।