नाटक के जरिए ध्येय व लक्ष्य के प्रति पूर्ण आस्था रखने का संदेश | The message of having complete faith in the goal and goal through dram | Patrika News h3>
महावीर जयंती के अवसर पर बुधवार को अरिहन्त नाट्य संस्था की ओर से रवींद्र मंच पर नाटक ‘महारानी चेलना ‘का मंचन किया गया।
जयपुर
Published: April 14, 2022 12:05:24 am
नाटक के जरिए ध्येय व लक्ष्य के प्रति पूर्ण आस्था रखने का संदेश
रवींद्र मंच पर हुआ नाटक’ महारानी चेलना’ का मंचन
जयपुर।
महावीर जयंती के अवसर पर बुधवार को अरिहन्त नाट्य संस्था की ओर से रवींद्र मंच पर नाटक ‘महारानी चेलना ‘का मंचन किया गया। नाटक भगवान महावीर की मौसी रानी चेलना के जीवन पर आधारित था, जिसमें बताया गया कि रानी चेलना राजा श्रेणिक की पत्नी होने केसाथ जैन धर्म की अनुयायी है और उसे अपने धर्म पर अटूट विश्वास है। चेलनाक े पति कुछ ढोंगी गुुरुओं के जाल में फंस जाते हैं और वह महारानी को भी अपने जाल में फंसाना चाहते हैं जिससे पूरे राज्य में उनका प्रभाव हो लेकिन रानी चेलना अपनी बुद्धि से उनकी पीक्षा लेनी है और उन ढोंगी साधुओं का झूठ सामने आ जाता है। वह पकड़े जाने के डर से राजा श्रेणिक को महारानी चेलना के खिलाफ बरगलाते हैं और राजा आक्रोशित होकर चेलना के गुरु के अपमान का बदला लेने का फैसला करते हैं। एक दिन जंगल में श्रेणिक को यशोधर मुनिराज मिलते हैं और राजा उन पर ७०० जंगली कुत्ते छोड़ देते हैं लेकिन कुत्ते यशोधर की मुनि मुद्रा देखकर शांत हो जाते हैं। इसके बाद श्रेणिक उनके गले में मरा हुआ नाग डाल देते हैं। जिससे मुनिराज को उपसर्ग और राजा श्रेणिक को सातवें नर्क का बंध होता है और रानी मुनिराज का उपसर्ग दूर करती है। तो मुनिराज सभी को धर्मवृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। जिससे सुनकर राजा आश्चर्य चकित होते हैं और जैन धर्म के अनुयायी बन जाते हैं और अपने राज्य में धर्म की स्थापना करते हैं। नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार रानी चेलना अपने धर्म पर अडिग रहती है कोई भी बाधा उन्हें अपने धर्म से डिगा नही पाती। नाटक के जरिए पीढ़ी को संदेश देने का प्रयास किया गया कि हम हमारे ध्येय व लक्ष्य के प्रति पूर्ण आस्था और विश्वास रखें, सफलता सदी उसी का साथ देती है जो उसमें पूर्ण रूप से विश्वास रखते हैं। हरिराम जैन द्वारा लिखित नाटक का निर्देशन युवा रंगकर्मी अजय जैन मोहनबाड़ी ने किया। नाटक का सह निर्देशन विक्रम सिंह का रहा जबकि सेजल जैन नृत्य निर्देशिका रही। नाटक में अजय जैन मोहनबाड़ी, सचिन सौकरिया, मोनिका प्रतिहार, मास्टर दुर्वा जैन, गौरव गौतम,तथागत महर चंदानी, सुमित निठारवाल,शब्दिका शर्मा सहित ३० कलाकारों ने अभिनय किया। नाटक में सम्यक ज्ञान की महिमा और तत्वज्ञान को उजागर किया गया।
नाटक के जरिए ध्येय व लक्ष्य के प्रति पूर्ण आस्था रखने का संदेश
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महावीर जयंती के अवसर पर बुधवार को अरिहन्त नाट्य संस्था की ओर से रवींद्र मंच पर नाटक ‘महारानी चेलना ‘का मंचन किया गया।
जयपुर
Published: April 14, 2022 12:05:24 am
नाटक के जरिए ध्येय व लक्ष्य के प्रति पूर्ण आस्था रखने का संदेश
रवींद्र मंच पर हुआ नाटक’ महारानी चेलना’ का मंचन
जयपुर।
महावीर जयंती के अवसर पर बुधवार को अरिहन्त नाट्य संस्था की ओर से रवींद्र मंच पर नाटक ‘महारानी चेलना ‘का मंचन किया गया। नाटक भगवान महावीर की मौसी रानी चेलना के जीवन पर आधारित था, जिसमें बताया गया कि रानी चेलना राजा श्रेणिक की पत्नी होने केसाथ जैन धर्म की अनुयायी है और उसे अपने धर्म पर अटूट विश्वास है। चेलनाक े पति कुछ ढोंगी गुुरुओं के जाल में फंस जाते हैं और वह महारानी को भी अपने जाल में फंसाना चाहते हैं जिससे पूरे राज्य में उनका प्रभाव हो लेकिन रानी चेलना अपनी बुद्धि से उनकी पीक्षा लेनी है और उन ढोंगी साधुओं का झूठ सामने आ जाता है। वह पकड़े जाने के डर से राजा श्रेणिक को महारानी चेलना के खिलाफ बरगलाते हैं और राजा आक्रोशित होकर चेलना के गुरु के अपमान का बदला लेने का फैसला करते हैं। एक दिन जंगल में श्रेणिक को यशोधर मुनिराज मिलते हैं और राजा उन पर ७०० जंगली कुत्ते छोड़ देते हैं लेकिन कुत्ते यशोधर की मुनि मुद्रा देखकर शांत हो जाते हैं। इसके बाद श्रेणिक उनके गले में मरा हुआ नाग डाल देते हैं। जिससे मुनिराज को उपसर्ग और राजा श्रेणिक को सातवें नर्क का बंध होता है और रानी मुनिराज का उपसर्ग दूर करती है। तो मुनिराज सभी को धर्मवृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। जिससे सुनकर राजा आश्चर्य चकित होते हैं और जैन धर्म के अनुयायी बन जाते हैं और अपने राज्य में धर्म की स्थापना करते हैं। नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार रानी चेलना अपने धर्म पर अडिग रहती है कोई भी बाधा उन्हें अपने धर्म से डिगा नही पाती। नाटक के जरिए पीढ़ी को संदेश देने का प्रयास किया गया कि हम हमारे ध्येय व लक्ष्य के प्रति पूर्ण आस्था और विश्वास रखें, सफलता सदी उसी का साथ देती है जो उसमें पूर्ण रूप से विश्वास रखते हैं। हरिराम जैन द्वारा लिखित नाटक का निर्देशन युवा रंगकर्मी अजय जैन मोहनबाड़ी ने किया। नाटक का सह निर्देशन विक्रम सिंह का रहा जबकि सेजल जैन नृत्य निर्देशिका रही। नाटक में अजय जैन मोहनबाड़ी, सचिन सौकरिया, मोनिका प्रतिहार, मास्टर दुर्वा जैन, गौरव गौतम,तथागत महर चंदानी, सुमित निठारवाल,शब्दिका शर्मा सहित ३० कलाकारों ने अभिनय किया। नाटक में सम्यक ज्ञान की महिमा और तत्वज्ञान को उजागर किया गया।
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