नहीं देखी होगी ऐसी साड़ी, बॉर्डर पर बना डाले रामायण, महाभारत के दृश्य, जानिए कितनी है कीमत ? | Sarees Fashion: borders of Baluchari sarees have beautiful mythology and abstract designs | News 4 Social h3>
भोपाल। साड़ियों के फैशन और डिजाइन में हर साल एक नया ट्रेंड देखने को मिलता है। भोपाल हाट में लगे सिल्क फेब में यही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। सिल्क फेब में इस बार कुछ ऐसी अनोखी साड़ियां आई हैं जो महिलाओं को देखते ही पसंद आ रही हैं। इनमें वाराणसी से लेकर तिरुपति तक की खास साड़ियां शामिल हैं। बता दें कि भोपाल हाट में 30 नवंबर तक जारी सिल्क फेब में देशभर से कारीगर भाग लेने आए हैं।
बालूचरी साड़ी: आंचल पर पौराणिक कथा
एक साड़ी की बॉर्डर पर डिजाइन के रूप में पूरी रामायण कथा अंकित हो जाए तो अचंभा तो होगा ही। इस खूबसूरत साड़ी को आप सिल्क फेब में देख सकते हैं। कोलकाता से आए जयंत देव शर्मा इस बार सिल्क हब में बालूचरी साड़ी लाए हैं। जयंत देव ने बताया कि इस विशेष प्रकार की साड़ी की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल में हुई है और यह साड़ी के आंचल पर पौराणिक दृश्यों के चित्रण के लिए जानी जाती है। ये बंगाल की ट्रेडिशनल साड़ी है। इसका इतिहास 500 वर्ष से भी पुराना है। इस साड़ी को तैयार करने के लिए हेवी और प्योर सिल्क का इस्तेमाल किया जाता है।
बालूचरी साड़ियों के बॉर्डर पर हिंदू पौराणिक कथाओं, रामायण, महाभारत के दृश्यों, प्रकृति, लोककथाओं, किंवदंतियों, ऐतिहासिक घटनाओं और अमूर्त डिजाइनों को सुंदर चित्र अंकित होता है। इतना ही नहीं बालूचरी साड़ी पर देवताओं, नायकों, प्रकृति तत्वों, प्रेम कहानियों, लड़ाइयों और समकालीन पैटर्न चित्रित कर सकते हैं। जयंत देव ने बताया कि महिलाएं गुलाबी, पीले, हल्के नीले और पिस्ता हरे रंग की बालूचरी साड़ियों को पसंद कर रही हैं। अन्य साड़ियों की तुलना में बालूचरी साड़ी भारी और अधिक कॉम्पैक्ट होती है। इस साड़ी की शुरुआत 14 हजार रुपए से होती है। यह साड़ी पूरी तरह से हाथों से बुनी जाती है।
कांथा वर्क साड़ी
बंगाल की फेमस ट्रेडिशनल साड़ी महिलाओं की सिल्क फेब में खास पसंद बनी हुई है। इस साड़ी की खास बात है कि एक साड़ी को स्टिच करने में 8 से 9 महीने का समय लगता है। इसको स्टिच करने के लिए एक साड़ी पर एक कारीगर अपनी हाथों की सफाई दिखाता है। इस कांथा साड़ी की कीमत दस हजार से शुरू होती है और 25 हजार तक जाती है।
तन्चुई साड़ी है खास
वाराणसी की अनोखी तन्चुई साड़ी सिल्क फेब में खास है। आसिफ ने इस तन्चुई साड़ी को लेकर बताया कि साड़ी की बुनाई के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री दो गुना मुड़ा हुआ शहतूत रेशम का धागा है। इसे वाराणसी में स्थानीय रूप से उपयोग किया जाता है, सूत के रेशम तंतुओं को मोड़कर तैयार किया जाता है जो इसे टिकाऊ बनाता है।
वेंकटगिरी सिल्क साड़ी
आंद्रा प्रदेश के विजयवाड़ा से आए यू पुल्ला रेड्डी भोपाल के लिए तिरूपति में बनने वाली ट्रेडिशनल वेंकटगिरी साड़ी लाए हैं। ये साड़ी आंध्र प्रदेश के तिरूपति जिले के वेंकटगिरी में बुनी गई प्योर सिल्क साड़ी है जो जामदानी डिजाइन के लिए जानी जाती है। इस साड़ी को चार बार राष्ट्रपति अवार्ड मिला है। इस साड़ी को तैयार करने में लगभग दो महीने का समय लगता है।
मटका सिल्क साड़ी
झारखंड से आए मनीष सिंह सिल्क फेब में मटका सिल्क साड़ी लाए हैं। इसकी चमक और आकर्षक रंग किसकी खास पहचान है। यही कारण है कि इस साड़ी को पार्टी वियर के लिए पसंद किया जाता है। मनीष सिंह बताते हैं कि मटका रेशम मूल रूप से खुरदुरा हथकरघा रेशम का कपड़ा है। इस साड़ी की कीमत छ: हजार रुपए से शरू होती है।
हम पूरी फैमिली के साथ सिल्क फेब में क्रिसमस शॉपिंग के लिए आए हैं। मैं अपने लिए प्योर सिल्क साड़ी खरीदी है। ये सिल्क साड़ी क्रिसमस पर मुझे एक ट्रेडिशनल लुक देगी। सिल्क फेब में पार्टी वीयर से लेकर ट्रेडिशनल सिल्क साड़ी और सूट के काफी नए डिजाइन हैं। – गुंजन फ्रांसीसी, आकृति इको सिटी